पुनर्निर्माण

आज़ाद भारत के पुनर्निर्माण के प्रति चिंतित थे दीनदयाल उपाध्याय

देेश जब गुलामी के दौर से गुजर रहा था, उस समय देश के नागरिकों और तत्कालीन नेताओं, बुद्धिजीवियों, छात्रों एवं समाजसेवियों का एक मात्र उद्देश्य था कि देश को अग्रेजों से आजाद कराया जाए। भारत माँ की गुलामी की बेड़ियों को किस प्रकार से तोड़ा जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, इस देश के असंख्य आजादी के दीवानों ने अपने-अपने तरीके से कार्य किया तथा आजादी की लड़ाई लड़ी। इनमें कई वर्ग ऐसे थे