बिहार

बिहार में अपनी छवि गँवा चुके नीतीश किस आधार पर देश में विपक्षी एकता की संभावना तलाश रहे हैं ?

अब नीतीश देश में विपक्षी एकता की गुहार लगाते घूम रहे हैं। तेजस्वी के साथ वह दर-दर भटक रहे हैं। इनके राजनीतिक सपने तो हसीन हैं, लेकिन वास्तविकता से दूर हैं।

रामचरितमानस वो सेतु है जो पीढ़ियों को जोड़ता है

रामचरितमानस दिन के हर पहर की कहानी है। हर संबंधों की कहानी है। दुःख और सुख के भेद की कहानी है। ये जड़ से चेतन को जोड़ने की कहानी है।

कोरोना से लड़ाई में अव्वल रहे यूपी-बिहार और गुजरात, महाराष्ट्र और केरल साबित हुए फिसड्डी

बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों ने कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग में देश में क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।

मोदी सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर हैं चुनावी नतीजे

बिहार के साथ-साथ इन उपचुनावों के नतीजों को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की नीतियों, उपलब्‍धियों पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है।

‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल

बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।

‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’

बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।

बिहार : लालू के जंगलराज से नीतीश के सुशासन तक

बिहार अपनी बौद्धिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सक्रियता एवं सजगता के लिए जाना जाता रहा है। परंतु लालू का शासन वह दौर था, जब जातीय घृणा की फसल को भरपूर बोया गया।

लालू-राबड़ी शासनकाल के किन-किन गुनाहों के लिए माफी मांगेंगे तेजस्‍वी यादव!

इन दिनों बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लालू-राबड़ी यादव के पुत्र तेजस्‍वी यादव सूबे में घूम घूम कर जनता से माफी मांग रहे हैं। दरअसल तेजस्‍वी यादव यह माफीनामा लालू-राबड़ी के कुशासन के अपराधबोध से ग्रस्‍त होकर नहीं मांग रहे हैं।

‘अर्घ्य के दिन किसी छठ घाट पर चले जाइए, आप वो देखेंगे जो आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा !’

ये यूं ही नहीं कहा जाता कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है। दरअसल यहां शायद ही ऐसा कोई महीना बीतता हो जिसमें कोई व्रत या पर्व न पड़े। हमारे पर्वों में सबसे अलग बात ये होती है कि इन सब में हमारा उत्साह किसी न किसी आस्था से प्रेरित होता है। कारण ये कि भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी

देश की साझी विरासत सुरक्षित है, आप तो अपनी सीट की चिंता करिए शरद जी !

विपक्षी पार्टियों का जमावड़ा बड़े अर्न्तद्वन्द से गुजर रहा है। शरद यादव के साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में यही त्रासदी दिखाई दी। नामकरण से लग रहा था कि इसमें कोई बड़ा वैचारिक धमाका होने वाला है। साझी विरासत के रूप देश की गौरवपूर्ण सामाजिक व्यवस्था पर चर्चा होगी। यह भी सोचा गया कि इस विरासत को बचाने के लिए कोई नया प्रस्ताव आयेगा। लेकिन फिर वही ढांक के तीन पात। तीन वर्षों से जो बातें चल रही