मनमोहन सिंह

बिजली केंद्रित अर्थव्यवस्था बनाने में जुटी मोदी सरकार

अब मोदी सरकार देश की समूची अर्थव्यवस्था को बिजली केंद्रित बनाने बनाने में जुटी है। उम्मीद है कि सरकार इस लक्ष्य को भी अवश्य प्राप्त कर लेगी।

अतीत से सबक न ले रही कांग्रेस के लिए भविष्य और कठिन होने वाला है

सोमवार को कांग्रेस की बैठक में से एक के बाद एक आए बयानों का सार यही है कि इस पार्टी के लिए गांधी परिवार ही सबकुछ है।

हर तरह से देशहित में है नागरिकता संशोधन क़ानून, बेमतलब है विरोध प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून से भारत के नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी, न उनसे सरकार नागरिकता पूछने जाती। सब कुछ यथावत चलता रहता। धार्मिक आधार पर उत्पीड़ित कुछ लोगों को पनाह मिल जाती, अवैध घुसपैठ के प्रति सावधानी बढ़ती। हर प्रकार से यह क़ानून देशहित में है। लेकिन ऐसे क़ानून को भी अराजकता में बदल दिया गया।

मोदी को पीएम पद की गरिमा का ज्ञान देने से पहले अपना इतिहास देखें, मनमोहन सिंह!

देश में चुनाव का मौसम है और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं। संप्रग सरकार में बतौर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े घोटालों पर मौन धारण किए रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बीच-बीच में बोलने लगे हैं। हाल में ही कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भाषा और पद की गरिमा का ध्यान रखने की नसीहत दी।

माल्या पर भाजपा सरकार को फिजूल में घेरने से कांग्रेस के अपराध धुल नहीं जाएंगे!

अरुण जेटली पर दिए गए बयान से सनसनी फैलाने के बाद विजय माल्या ने स्पष्ट किया है कि यह तथाकथित मुलाकात संसद के गलियारे में अचानक हुई थी, लेकिन कांग्रेस इस बात से बेखबर हंगामा मचाने में लगी हुई है। विजय माल्या ने कहा कि मीडिया ने उसके बयान को गलत तरीके से पेश किया।

आखिर किस मुँह से मोदी की भाषा पर सवाल उठा रहे हैं, मनमोहन सिंह !

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कभी अपने मौन के लिए प्रसिद्ध हुआ करते थे। अब अक्सर वर्तमान प्रधानमंत्री पर हमला बोलने के लिए मुखर दिखाई देते हैं। इस बार वह अपने मौन या बोलने के लिए चर्चा में नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रपति को लिखा गया उनका पत्र चर्चा में है। इसमें नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस पर हमला बोलने के प्रति नाराजगी जाहिर की गई है। मनमोहन सिंह ने मोदी की भाषा पर ऐतराज़ जताया है। वहीं कांग्रेस के दिग्गजों

2जी घोटाला : आरोपियों के बरी होने से घोटाला कैसे झूठा हो गया ?

यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सामने आए एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ के घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदोलिया समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कुछ भी साबित कर पाने में नाकाम

कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में सवालों के घेरे में मनमोहन सिंह

कॉमनवेल्थ घोटाले की वजह से वैश्विक स्तर पर देश की जो जगहँसाई हुई, यह बात किसी से छुपी नहीं है। उस वक्त यह खेल महोत्सव लूट महोत्सव का रूप ले लिया था। कांग्रेस का हर नेता मनमाने ढंग से लूट-खसोट मचाया हुआ था। भ्रष्ट अधिकारीयों की मिलीभगत के चलते आज़ाद भारत का सबसे बड़ा खेल समारोह देश के सबसे बड़े खेल घोटाले में तब्दील हो गया; परन्तु, उसवक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर बात की तरह इस पर भी मौन की चादर ओढ़े सोते रहे।

मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री मोदी के तंज़ से इतना बौखलाई क्यों है कांग्रेस ?

शब्दों के अर्थ को अनर्थ के फ्रेम में फिटकर किस तरह वितंडा खड़ा किया जाता है, यह कोई कांग्रेस से सीखे। संभवतः कांग्रेस खुद को भाषा की शुचिता और संसदीय मर्यादा का एकमात्र व्याकरणाचार्य और पैमाना समझ ली है, अन्यथा वह संसदीय विमर्श के शब्दों पर खुद को उपहास का पात्र नहीं बनाती। आश्चर्य है कि जब उसके सदस्य, संसद और सड़क पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिटलर, मुसोलिनी और

मोदी की भाषा पर सवाल उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस !

संसद का बज़ट सत्र चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र में दोनों सदनों के समक्ष अपना वक्तव्य रखा। अबसे पूर्व सदन में प्रधानमंत्री के जो भी संबोधन हुए थे, उनमें प्रायः विपक्षी दलों के प्रति उदार दृष्टि और सहयोग का आग्रह ही दिखायी दिया था। किन्तु, उनके विनम्र और उदार संबोधनों का कांग्रेस-नीत विपक्ष पर कोई विशेष प्रभाव पड़ता कभी नहीं दिखा। हर सत्र में विपक्ष का अनावश्यक असहयोग कमोबेश