महाराष्ट्र

कोरोना से लड़ाई में क्यों फेल हो रहे हैं ये चार राज्य ?

महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ – इन चार राज्यों की सरकारों को केंद्र सरकार द्वारा कोरोना के बढ़ते मामलों पर पत्र लिखना पड़ा है।

कोरोना से लड़ाई में अव्वल रहे यूपी-बिहार और गुजरात, महाराष्ट्र और केरल साबित हुए फिसड्डी

बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों ने कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग में देश में क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।

कंगना से बदला लेना छोड़ कोरोना से बेहाल महाराष्ट्र की चिंता करें उद्धव ठाकरे

जिस प्रकार से बीएमसी ने कंगना का ऑफिस तोड़ा है, वह सरकारी कार्यवाही कम और असामाजिक तत्‍वों की करतूत अधिक मालूम होती है।

श्रमिक हितों के लिए ‘आपदा काल’ में भी मोदी सरकार का कामकाज ‘आदर्श’ रहा है

सिर्फ विपक्ष ही नहीं, मीडिया के एक ख़ास धड़े ने भी पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों की कब्र खोदते हुए श्रमिकों के पलायन पर बेहद गैरजिम्मेदाराना रुख दिखाया।

केंद्र को नसीहत देने की बजाय महाराष्ट्र की स्थिति पर अपना रुख स्पष्ट करें राहुल गांधी

केंद्र को नसीहत देने और उससे सवाल पूछने की बजाय राहुल गांधी को महाराष्ट्र जैसे राज्यों की स्थिति पर रुख स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि सत्ता में भागीदार रहते हुए वे इनकी जवाबदेही से बच नहीं सकते।

इस संकटकाल में कानून व्‍यवस्‍था से जनहित तक हर मोर्चे पर विफल नजर आ रही उद्धव सरकार

लॉकडाउन के दौरान ही बीते एक पखवाड़े में महाराष्‍ट्र से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जो ये साबित करती हैं कि सरकार चलाना ठाकरे के बस की बात नहीं है। चाहे मजदूरों का पलायन हो, ब्रांदा रेलवे स्‍टेशन पर लॉकडाउन तोड़कर भारी भीड़ का जमा होना, उद्योगपति को घूमने जाने के लिए अनुमति मिलना हो या अब पालघर जैसी नृशंस घटना, हर मोर्चे पर ठाकरे सरकार बुरी तरह विफल हुई है।

‘महाराष्ट्र के इस प्रकरण ने कांग्रेस और शिवसेना दोनों का असली चेहरा सामने ला दिया’

महाराष्ट्र के घटनाक्रम को समझने से पहले आपको चुनाव के पहले के घटनाक्रम को देखना होगा। विधानसभा चुनाव से पहले हुए गठबंधन के तहत बीजेपी और शिव सेना ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसमें बीजेपी को 105 सीटें और शिव सेना को 54 सीटें हासिल हुईं।

लगातार राजनीतिक जमीन खो रही है आम आदमी पार्टी

पंजाब, गोवा, गुजरात, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश के बाद अब हरियाणा और महाराष्‍ट्र में भी आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्‍त मिली है। साल भर पहले पार्टी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का ऐलान किया था और नवीन जयहिंद को मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार भी घोषित कर दिया था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 90 में से

कांग्रेस आलाकमान के लिए शुभ संकेत नहीं हैं हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे

2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गईं थी लेकिन चाटुकार संस्‍कृति के हावी होने के कारण विरोध की आवाज दब गई। जिन नेताओं ने बागी तेवर दिखाया उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया। इसके बाद कई राज्‍यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना पड़ा लेकिन हाईकमान संस्‍कृति के खिलाफ बोलने का दुस्साहस बहुत कम कांग्रेसियों ने दिखाया।

जिम्मेदार विपक्ष की तरह व्यवहार करना कब सीखेगी कांग्रेस?

नोटबंदी 2016 में हुई थी और जीएसटी 2017 में पारित हुआ। इन दोनों निर्णयों के बाद हुए ज्यादातर राज्यों के चुनावों सहित इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस खासकर उसके युवराज राहुल गांधी ने इसे खूब मुद्दा बनाया। राफेल का राग भी गाया गया। लेकिन इन मुद्दों का कोई असर नहीं रहा और अधिकांश चुनावों में भाजपा को विजय प्राप्त हुई। लोकसभा चुनाव में तो पार्टी ने