मुद्रास्फीति

दुनिया में भले आर्थिक सुस्ती हो, मगर भारत में बरकरार रहेगी विकास की तेज गति

महंगाई और विकास की सुस्त वृद्धि दर से विकसित देशों समेत दुनिया भर के अधिकांश देश मंदी की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि भारत मजबूती से विकास की दिशा में अग्रसर है।

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में वृद्धि से महँगाई में आएगी कमी

रेपो दर में बढ़ोतरी से महँगाई कम होती है, इसलिए, महँगाई को सहनशीलता सीमा के अंदर लाने के लिये रिजर्व बैंक को ताजा मौद्रिक समीक्षा में भी रेपो दर में इजाफ़ा करना पड़ा।

ये तथ्य बताते हैं कि मजबूती की ओर अग्रसर है भारतीय अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने पहले वाले 7.2 प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान को बरकरार रखा है।

वैश्विक मंदी के दौर में भी विकास की राह पर आगे बढ़ता भारत

वर्तमान चुनौतीपूर्ण माहौल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत हुई है। देश में मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04 प्रतिशत रही।

अर्थव्यवस्था को गति देने वाले हैं रिजर्व बैंक के सुधारात्मक उपाय

अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए और सुधार प्रक्रिया को जारी रखने के लिए रिजर्व बैंक प्रतिबद्ध है और इस दिशा में वह निरंतर सुधारात्मक उपायों को अमलीजामा भी पहना रहा है।

रिज़र्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती से आमजन को मिलेगी राहत

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 22 मई को रेपो दर में 40 बीपीएस की कटौती करने से बैंक से कर्ज लेने वाले ग्राहकों को राहत मिलने का अनुमान है।

आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की पहल

भले ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से 6 फरवरी, 2020 की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथावत रखने का फैसला किया, लेकिन दूसरे उपायों से केंद्रीय बैंक, बैंकों को सस्ती पूँजी उपलब्ध करायेगा। रिजर्व बैंक का कहना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर वह दरों में कटौती भी कर सकता है। अभी मुद्रास्फीति की दर 7.4 प्रतिशत है और ऐसी

सातवें वेतन आयोग का मुद्रास्फीति पर नहीं पड़ेगा कोई नकारात्मक प्रभाव

आज समग्र सीपीआई में ग्रामीण सीपीआई की हिस्सेदारी 53.5% है, जिसमें आवास क्षेत्र का अंश शामिल नहीं है। लिहाजा, केंद्रीय कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कहना बेमानी है। इसका मुद्रास्फीति पर अप्रत्यक्ष प्रभाव भी न्यून पड़ेगा,