मुद्रा योजना

समावेशी विकास की वाहक बनती पीएम स्वनिधि योजना

पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण मिलने के बाद लोगों का कारोबार सशक्त हुआ है और लाभार्थी अब बुनियादी जरूरतों के अलावा दूसरे मदों में भी खर्च करने लगे हैं।

सरकार के प्रयासों से बेरोजगारी के चंगुल से मुक्त होता भारत

भारत में अब पुनः बड़ी मात्रा में उद्यमों को स्थापित किया जा रहा है, जिससे भारतीय नागरिक अब धीरे-धीरे नौकरी मांगने वाले से नौकरी देने वाले बनते जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने सृजित किए हैं रोजगार के करोड़ों नए अवसर

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए कुल ऋणों में लगभग 40 प्रतिशत उद्यमी ऐसे हैं जिन्होंने प्रथम बार कोई उद्यम प्रारम्भ किया है।

देश की युवा शक्ति को विकास की मजबूत कड़ी बनाने में जुटी मोदी सरकार

भारत में प्रति व्यक्ति आय को वर्ष 2047 तक लगभग तिगुना करने की योजना बनाई गई है। प्रति व्यक्ति औसत आय को 445,000 रुपए प्रति वर्ष तक ले जाना है।

ई-रुपी : ई-गवर्नेंस को मजबूती देने वाला कदम

ई-रुपी की सबसे ख़ास बात इसका ‘पर्सन और पर्पज बेस्ड’ होना है। यानी कि इसे जिस व्यक्ति और जिस काम के लिए जारी किया जाएगा उस व्यक्ति द्वारा उसी काम में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

मोदी 2.0 : चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने वाले दो वर्ष

मोदी ने सूझबूझ का परिचय देते हुए तीन महीने का सख्‍त लॉकडाउन लगाया एवं बाद में अनलॉक जैसे उपायों को ढील के साथ श्रृंखलाबद्ध रूप से लागू किया।

मोदी सरकार के प्रयासों से भारत की तरफ आकर्षित हो रहीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ

सरकार देश की आर्थिक एवं कारोबारी माहौल में सुधार लाने की कोशिश कर रही है, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत पर भरोसा बढ़ सके। सरकार के प्रयासों के कारण ही कारोबार सुगमता के मामले में भारत ने हाल ही में एक लंबी छलांग लगाई है। फिलवक्त, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और ग्लोबल इनहाउस इकाइयों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

ये आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार की नीतियों से बढ़ रहे रोजगार के अवसर

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार वर्ष 2018 में बेरोजगारी की दर भारत में 3.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि चीन में यह 4.8 प्रतिशत होगी। आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 1 से 2 दशकों में भारत के सेवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हुए हैं। इसके अनुसार भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल में असंगठित क्षेत्र में करीब 90 प्रतिशत कामगार हैं, जिसमें

रोजगार सृजन की दिशा में प्रभावी सिद्ध हो रही मुद्रा योजना

देश में अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन को लेकर बहस गर्मायी हुई है। विपक्ष अलग-अलग दावों से प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा रहा है और यह दिखाना चाह रहा है कि प्रधानमंत्री ने लोगों की उम्मीदों को तोड़ा है। मगर, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आर्थिक नीतियों में न केवल मोदी सरकार ने बेहद ठोस और अनुशासित कदम उठाये हैं, बल्कि देश की सम्पूर्ण अर्थनीति में एक सकारात्मक

विगत तीन वर्षों से सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत

भारत पिछले तीन सालों से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मुद्रास्फीति वर्ष 2014 से लगातार नीचे आ रही है और चालू वित्त वर्ष में भी यह चार प्रतिशत से ऊपर नहीं जायेगी। इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा दो प्रतिशत से कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। वर्ष 2010 के बाद पहली बार इस साल सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राजस्व के 72,500