युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विश्व पटल पर दिखा भारत की विदेश नीति का दम

रूस व अमेरिका दोनों के साथ संबंधों को साधना हो, इन सभी नीतियों के द्वारा भारत ने विदेश नीति के नए मानदंड स्थापित किए किए हैं।

युद्ध की बात करने वाले क्या युद्ध झेलने के लिए तैयार हैं ?

दिनकर के इन्हीं शब्दों में भारत की उन्नत्ति और सभी समस्याओं का समाधान है। आज भारत का बुद्धिजीवी वर्ग असमंजस में है, बहुत-सी भ्रामक धारणाएँ उन्हें दिगभ्रमित कर रही हैं! कायरतापूर्ण दर्शन और कुटिल हृदय-मस्तिष्क से देश का उद्धार नहीं होने को! आज मानवाधिकार, धर्मनिरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव की बातें बेमानी है, कोरा वितंडावाद है! सच तो ये है कि देश में एक अच्छा-खासा वर्ग है जो शल्य

राष्ट्र-प्रथम: अगर जापान पर बुद्ध ने भी आक्रमण कर दिया तो राष्ट्रहित में युद्ध को तैयार हैं जापानी बच्चे!

स्विट्जरलैंड की 77 प्रतिशत आबादी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित भारी-भरकम राशि (लगभग 1,75000 वयस्कों तथा 45000 अवयस्कों के लिए) लेने से मना कर दिया! अमेरिका ने अपनी मानवाधिकारवादी एवं लोकतांत्रिक छवि को दाँव पर लगा 9/11 की घटना को अंजाम देने वाले समुदाय के लिए कठोर जाँच-प्रक्रिया की पद्धत्ति अपनाई और वहाँ के नागरिकों ने इसके विरुद्ध कोई ह-हल्ला नहीं हुआ।