रेपो दर

ग्यारह महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई, 2023 में रहेगी नियंत्रित

ग्यारह महीनों में खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है। साथ ही, यह रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा 6.00 प्रतिशत से नीचे है।

रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में वृद्धि से महँगाई में आएगी कमी

रेपो दर में बढ़ोतरी से महँगाई कम होती है, इसलिए, महँगाई को सहनशीलता सीमा के अंदर लाने के लिये रिजर्व बैंक को ताजा मौद्रिक समीक्षा में भी रेपो दर में इजाफ़ा करना पड़ा।

वैश्विक मंदी के दौर में भी विकास की राह पर आगे बढ़ता भारत

वर्तमान चुनौतीपूर्ण माहौल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत हुई है। देश में मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04 प्रतिशत रही।

रिजर्व बैंक के समायोजन मौद्रिक रुख से अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

बैंक क्रेडिट में वृद्धि होने लगी है और जमा में कमी आई है, जो यह दर्शाता है कि निजी खर्च और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। आने वाले दिनों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी।

कोरोना काल में कारोबारियों को राहत देने की कवायद

तीन जून को सेंसेक्स 382 पॉइंट चढ़कर रिकॉर्ड 52,232 पर और निफ्टी 15,690 पर बंद हुआ है। बाजार की बढ़त का मुख्य कारण देश में कोरोना वायरस का घटता संक्रमण दर और केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों को यथावत रखना है।

छूट की पेशकश से मांग बढ़ाने की कवायद में जुटी वाहन कम्पनियाँ

छोटे एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) ने भी अनेक राज्यों में काम करना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में अब तक 23 लाख छोटे एवं मझोले उद्योगों ने फिर से उत्पादन करना शुरू कर दिया है।

रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती से आर्थिक गतिविधियों में आएगी तेजी

मौद्रिक नीति समिति के 5 सदस्यों ने एकमत से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की सिफ़ारिश की, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2019 में नीतिगत दर में लगातार पाँचवीं बार कटौती की गई है। मौद्रिक नीति समिति ने रिवर्स रेपो दर में भी 25 आधार अंकों की कटौती की है। इस कटौती से यह 5.15 प्रतिशत से घटकर 4.90 प्रतिशत हो गया है। नीतिगत दर में 25