वित्त वर्ष

बेहतर होता बैंकों का प्रदर्शन, अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत

बैंकों का सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए महामारी के पहले के स्तर से बेहतर हुआ है। अब ऋण खाते फिसलकर एनपीए में कम तब्दील हो रहे हैं।

वैश्विक मंदी के दौर में भी विकास की राह पर आगे बढ़ता भारत

वर्तमान चुनौतीपूर्ण माहौल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत हुई है। देश में मई में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 7.04 प्रतिशत रही।

भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी को दर्शाते हैं ये आंकड़े

अर्थव्यस्व्था के सभी मानकों में बेहतरी आ रही है और भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण गहराई मंदी से से तेजी से बाहर निकल रही है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहा सुधार

कोरोना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है। हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है।

दिखने लगे हैं आईबीसी क़ानून के सकारात्मक परिणाम

ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं,  हालाँकि, इसका सफर मुश्किलों भरा रहा है। लंबे समय की रणनीति और निरंतर सुधार की परिणति है यह। दूसरे देशों में भी इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन हेतु आईबीसी को लाने में लंबा समय लगा है।

मोदी की सलाह पर शिवराज सरकार ने किया वित्त वर्ष में बदलाव, किसानों को मिलेगा फायदा

मॉनसून के खराब रहने से भारत में अक्सर कुछ इलाक़ों में जून और सितंबर के बीच में सूखा पड़ता है। ऐसे में, अगर वित्तीय वर्ष की तारीख बदलती है, तो नवंबर में पेश होने वाले बजट में, कृषि से जुड़ी ऐसी समस्याओं का ध्यान रखा जा सकता है। उल्लेखनीय होगा कि दुनिया के 156 देशों का वित्तीय वर्ष कैलेंडर 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच ही होता है। साथ ही, वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मोनेट्री