विपिन रावत

चीन भूल रहा है कि ये 1962 के भारत की सेना और सरकार नहीं है !

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर खिटपिट कोई नयी बात नहीं है, मगर इसबार चीन ने सिक्किम में जो किया है, उसे मामूली नहीं कह सकते। पहले चीन ने सीमा पर मौजूद भारतीय सेना के बंकरों को क्षति पहुंचाई, फिर अब उलटे भारत से वहाँ सेना को हटाने की मांग कर रहा है। चीन का कहना है कि भारत जबतक सीमा पर से अपनी सेना को वापस नहीं बुला लेता तबतक सीमा विवाद को लेकर आगे कोई बात नहीं

संदीप दीक्षित ने कुछ नया नहीं किया, सेना का अपमान करना तो कांग्रेस की पुरानी परम्परा रही है !

काग्रेस सरकारों ने सेना को कभी खुली छूट नहीं दी, जिस कारण पाकिस्तानी गोलीबारी से लेकर कश्मीर के अराजक तत्वों तक से निपटने तक में सेना को अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। अब मोदी सरकार ने सेना को खुली छूट दे दी है, जिसका परिणाम है कि अब हमारे जवान न केवल आतंकियों का सफाया कर रहे बल्कि कश्मीर के अराजक तत्वों से भी कठोरता के साथ निपटने रहे हैं।

आतंकियों के मददगारों पर सेना प्रमुख के कठोर रुख से बौखलाए क्यों हैं विपक्षी दल ?

भारतीय थल सेनाध्यक्ष विपिन रावत का ताजा बयान सेना पर पत्थर बरसाने वालों के लिए कड़े सन्देश और चेतावनी की तरह नज़र आ रहा। लेकिन, राष्ट्रीय हित में जारी इस चेतावनी को भी कांग्रेस व कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राजनीतिक चश्मे से देखने में कोई गुरेज़ नहीं किया, जो देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही, यह इन विपक्षी दलों के राष्ट्र-हित के तमाम दावों की भी पोल खोल रहा है। गौरतलब है कि सभी