विमुद्रीकरण

आर्थिक सुधारों को आकार देने वाले रहे हैं मोदी सरकार के सात साल

प्रधानमंत्री मोदी के सुधारात्मक प्रयासों और समय पर आमजन व कारोबारियों को राहत देने की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं।

विपक्ष के नकारने से ख़त्म नहीं हो जाते नोटबंदी के फायदे!

नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर विपक्षी दलों ने फिर से इसकी सार्थकता पर सवाल उठाया। साथ ही साथ इससे हुई परेशानी का ठीकरा सरकार के माथे पर फोड़ा। यह ठीक है कि नोटबंदी के कारण आमजन को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन केवल इस वजह से नोटबंदी के फ़ायदों को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है। यह एक साहसिक फैसला था, जिसने

विपक्षी विरोध से इतर तथ्य तो यही बताते हैं कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है!

आज से दो वर्ष पूर्व, यही 8 नवम्बर की तारीख थी, जब देश में काले धन, नकली नोट जैसी आर्थिक विसंगतियों पर चोट करने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में इस निर्णय का ऐलान किया जिसके बाद सब तरफ उथल-पुथल का एक अलग ही माहौल बन गया। निस्संदेह नोट बदलने के लिए लगने वाली लम्बी कतारों

99 प्रतिशत नोटों के वापस आ जाने से नोटबंदी विफल कैसे हो गयी?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 जुलाई को 1 जुलाई, 2017 से 30 जून, 2018 की अवधि की अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 2000 रूपये के नोट शामिल हैं का कुल मुद्रा संरचना में 80.6% हिस्सा है। विमुद्रीकरण के पहले बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 1000 रूपये के नोट शामिल थे का कुल मुद्रा संरचना में

एक साल में देश के लिए हर तरह से लाभकारी रही नोटबंदी !

आज से एक वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिये एक सार्थक पहल नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 व 1000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी, देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत ही अच्छा और सराहनीय कदम था। इससे आने वाले समय में देश में सुख और समृद्धि ही आएगी। विपक्ष नोटबंदी के फैसले का भले विरोध करता रहा हो, पर शुरूआती परेशानियों के

नोटबंदी का एक साल : बढ़ा आयकर संग्रह, कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर देश

नोटंबदी के एक वर्ष पूर्व होने पर स्थिति यह है कि इससे डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो रूपये में लगभग 1800 करोड़ होगी। मार्च एवं अप्रैल, 2017 में जब नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत लगभग दूर हो गई थी तब भी डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हो रही थी। मार्च एवं अप्रैल 2017 में लगभग 156 करोड़ रूपये

नोटबंदी से हुए फायदों की कहानी, इन आंकड़ों की जुबानी

आठ अगस्त को नोटबंदी के 9 महीने हो गये। आज बड़े मूल्य वर्ग के चलन से बाहर की गई मुद्राओं के बदले छापी गई नई मुद्रायेँ 84% चलन में है, जबकि नोटबंदी के पहले बड़े मूल्यवर्ग यथा 1000 और 500 की मुद्रायेँ 86% चलन में थी। फिलवक्त, चलन में मुद्राओं का केवल 5.4% ही बैंकों के पास उपलब्ध है, जबकि नवंबर, 2016 में बैंकों के पास 23.2% मुद्रायेँ उपलब्ध थी। नोटबंदी के तुरंत बाद बैंकों में नकदी की उपलब्धता उसकी

नोटबंदी के बाद से लगातार मज़बूत हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने, कैड में बेहतरी आने, केंद्रीय बैंक द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने, निर्यात में वृद्धि आने, डॉलर की तुलना में रूपये में मजबूती आने, जीडीपी के बेहतर होने के आसार और जीएसटी के लागू होने आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन आने की संभावना बढ़ गई है। मौजूदा समय में लगातार मजबूत होती मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर सकारात्मक निर्णय ले रही है, जिसके अपेक्षित परिणाम बहुत ही जल्द दृष्टिगोचर होंगे, ऐसे कयास लगाये जा सकते हैं।

विमुद्रीकरण : निर्णय एक आयाम अनेक

सचमुच अतुलनीय हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। अनपेक्षित और चौकाऊ, हर कयास से परे, हर वह साहसिक फैसला लेने को हमेशा तैयार जिससे देश का कोई भला होने वाला हो, जिससे माँ भारती का भाल ज़रा और ऊँचा उठने वाला हो। देश भर में भाजपा-जन जब राजनीति में शुचिता के प्रतीक पुरुष श्री लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन मना रहे थे, उसी दिन भारत में आर्थिक स्वच्छता के एक बड़े कदम, या यूं कहें