शिकागो

स्वामी विवेकानंद के ‘विश्व-बंधुत्व’ के संदेश की प्रासंगिकता

आज हमें स्वामी विवेकानंद के 128 वर्ष पूर्व दिए उस सन्देश को याद करने की आवश्यकता है जो संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की शिक्षा देता है।

युवाओं के लिए प्रेरणा का माध्यम बनेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा

स्वामी विवेकानंद की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रतिमा के होने का मतलब है इस विश्वविद्यालय के हर छात्र का भारतीयता के रंग में रंग जाना,

राजनीतिक-वैचारिक भेदों से परे हैं विवेकानंद के विचार

स्वामी विवेकानंद ने पूरा जीवन निस्वार्थ  भाव से भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया।  वह जीवन भर मनुष्य निर्माण के कार्य में लगे रहे।

‘हिन्दू चिंतन-दर्शन का अलग रूप है, तो यह हिन्दुओं के जीवन में दिखना भी चाहिए’

भारतीय चिंतन व ज्ञान में विश्व कल्याण की कामना समाहित रही है। तलवार के बल पर अपने मत के प्रचार की इसमें कोई अवधारणा ही नहीं है। सवा सौ वर्ष पहले स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में भारतीय संस्कृति के इस मानवतावादी स्वरूप का उद्घोष किया था। यह ऐतिहासिक भाषण शिकागो की पहचान से जुड़ गया। इसकी एक सौ पच्चीसवीं जयंती पर शिकागो में विश्व