सोनिया गाँधी

परिवारवाद के कारण डूब रहा है कांग्रेस का जहाज

गांधी-नेहरू परिवार के वर्चस्‍व का ही नतीजा है कि पिछले 20 साल में कांग्रेस में केवल दो अध्‍यक्ष रहे। कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव 1997 के बाद से नहीं हुए हैं। मई 2019 के बाद से कांग्रेस का कोई स्‍थायी अध्‍यक्ष नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेसियों में हताशा व्‍याप्‍त है।

राजीव गांधी फाउंडेशन प्रकरण : क्या चंदे के लिए कांग्रेस ने देश के हितों की बलि चढ़ा दी ?

यह चीन से कांग्रेस पार्टी को मिले चंदे की करामात है कि यूपीए सरकार ने चीन से आयातित वस्‍तुओं पर आयात शुल्‍क में लगातार कमी की।

दिल्ली हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर उंगली उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस!

देश ने पिछले दिनों राजधानी में हिंसा का नंगा नाच देखा और अफसोस है कि ऐसे में भी कुछ विपक्षी दल महज राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए लाशों पर सियासत किए जा रहे हैं। बुधवार, 11 मार्च को संसद का सत्र हंगामाखेज था। इसमें दिल्‍ली के दंगों का मामला उठा लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने हमेशा की तरह अपनी ओछी मानसिकता का परिचय देते हुए इसे अनावश्‍यक रूप से सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की।

कांग्रेस की सल्तनत तो चली गयी, लेकिन अकड़ अब भी सुल्तानों वाली है !

राजा के सिपहसालारों का काम होता है, वह राजा को हमेशा सच बताएं। अब राजा सच सुने या नहीं, यह उसपर निर्भर करता है। राजहित में यह ज़रूरी है कि राजा अपने सलाहकारों की बात सुने और उस पर अमल भी करे। जो ऐसा नहीं करता उसका पतन अवश्यम्भावी हो जाता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी है इंडियन नेशनल कांग्रेस, फ़िलहाल इसी तरह के संकट से गुजर रही है।

गुजरात में पहले से ही बदहाल कांग्रेस अब ‘सूपड़ा साफ’ होने की ओर बढ़ रही है !

राहुल गाँधी ने कहा कि उन्हें बिहार में घटित हुए सियासी घटनाक्रम के बारे में पहले से अंदेशा था, तो सवाल उठा कि उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ क्यों नहीं किया ? दूसरा सवाल अब ये उठ रहा कि क्या राहुल गाँधी को गुजरात में घटित हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में भी पहले से पता था और अगर हाँ, तो उन्होंने इसको रोकने के लिए भी क्यों कुछ नहीं किया? ये तो राहुल गांधी हैं जो धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के मज़ाक

विपक्षी कब समझेंगे कि अंधविरोध की राजनीति के दिन अब लद चुके हैं !

2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की दीवार दरकती हुई नज़र आ रही है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विरोधी जितने ज्यादा मुखर हुए हैं, बीजेपी के सितारे उतने ज्यादा प्रखर हुए हैं। अच्छी बात यह है कि भारत की जनता इस बात को अच्छी तरह समझ गई है कि केंद्र की एनडीए सरकार सियासी एजेंडे को केंद्र में रखकर अपनी योजनाएं नहीं बना रही है, बल्कि इसके पीछे लोक-कल्याण

अगस्ता-वेस्टलैंड घोटाले में ‘परिवार’ के ख़िलाफ मिले सबूत, सवालों के घेरे में नेहरू-गांधी परिवार

कांग्रेस-नीत संप्रग-1 सरकार के दौरान हुए वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से सम्बंधित अगस्ता-वेस्टलैंड घोटाले में पिछले दिनों तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एस के त्यागी की गिरफ्तारी के बाद अब फिर एक नया मोड़ आ गया है। खबरों के अनुसार जांच एजेंसियों को मिले ताज़ा साक्ष्यों में इस घोटाले में किसी अज्ञात ‘परिवार’ की मुख्य भूमिका होने की बात सामने आ रही है। खबरों की मानें तो 12 वीवीआईपी

भ्रम और नेतृत्वहीनता के भँवर में घिरी कांग्रेस

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त उस दौर से गुजर रही है जहां पार्टी नेतृत्व के सम्बन्ध में उसके नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में एक भ्रम और उलझन लक्षित किया जा सकता है । अपनी बीमारी और राहुल गांधी को आगे बढ़ाने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्षा ने खुद को नेपथ्य में रखा था । उनके नेपथ्य में रहने की वजह से पुरानी पीढ़ी के नेता स्वत: परिधि पर चले गए थे और राहुल गांधी के आसपास के

हताशा, निराशा और लगातार मिल रही हार से बीमार होती कांग्रेस

वर्तमान राजनीति में कांग्रेस आज जिस मुहाने पर खड़ी है उसे देश के हर व्यक्ति, अपने नेता और कार्यकर्ता, यहाँ तक कि हर नेता और राष्ट्रीय नेतृत्व तक को अपने आप पर भी भरोसा नहीं है। असल में हर-जीत के बीच यह एक प्रकार का मानसिक अवसाद है जिसमें शक, शंका, अविश्वास आदि का आना स्वाभाविक है।