सेना ने अब जो ‘रणनीति’ अपनाई है, वो घाटी में आतंक की कमर तोड़ देगी !

एक के बाद एक सेना द्वारा आतंकियों का सफाया किए जाने से घाटी में आतंक की जड़ें कमजोर हो रही हैं। दूसरी तरफ, अलगाववादियों पर भी जाँच एजेंसियां नकेल कसने में लगी हैं। सेना और जांच एजेंसियों की इन कार्रवाइयों निश्चित तौर पर कश्‍मीर घाटी को आतंकियों से मुक्‍त कराने की दिशा में अहम पड़ाव साबित होगी। कह सकते हैं कि कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना  ‘खोज-खोजकर मारने’ की जिस रणनीति के तहत लड़ रही है, वो घाटी में आतंक की कमर तोड़ देगी।

कश्‍मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना का अभियान जोरशोर से चल रहा है। इसी क्रम में सेना को बीते सप्‍ताह बड़ी सफलता मिली। पुलवामा में सुरक्षाबलों ने लश्‍कर के कमांडर आतंकी अबु दुजाना सहित दो अन्‍य आतंकियों को मार गिराया। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी, लश्कर कमांडर जुनैट मट्टू और सब्‍जार भट जैसे बड़े आतंकियों के मारे जाने के बाद अब दुजाना के खात्‍मे को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। जुनैद भी एक खूंखार आतंकी था, जिस पर 10 लाख का इनाम था। वहीं 15 लाख का इनामी आतंकी दुजाना पूरे क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुका था और महिलाएं उससे अधिक असुरक्षित थीं। ऐसे में दुजाना को ढेर करना सेना की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

दुजाना की लंबे समय से तलाश जारी थी। वह एक घर में छुपा हुआ मिला। सुरक्षाबलों की टीम ने मुठभेड़ करके आतंकियों को घेरकर ख़त्म किया। लेकिन इस सफलता के साथ सेना के लिए सतर्क बने रहने की चुनौतियां भी और बढ़ी हैं। कारण स्‍पष्‍ट है, क्‍योंकि अभी घाटी में ढेरों आतंकी सक्रिय हैं। सेना की विक्‍टर फोर्स ने दावा किया है कि दक्षिण कश्‍मीर में इस समय 115 सक्रिय आतंकी हैं। संभावना इस बात की है कि इनमें से अधिकांश आतंकी विदेशी हैं। हालांकि एक बड़ा धड़ा स्‍थानीय आतंकियों का ही है। दुजाना के मारे जाने के बाद इनसे खतरा और बढ़ गया है, ऐसे में अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की दरकार होगी। पुलवामा सेक्‍टर में लश्‍कर के कमांडर अबु दुजाना और आरिफ के खात्‍मे से सुरक्षाबलों को निश्चित ही बड़ी कामयाबी मिली है।  

इधर, एक नए खुलासे ने सुरक्षाबलों की चुनौती में इजाफा कर दिया है। दुजाना का एक ऑडियो टेप सामने आया है जिसमें उसकी मारे गए आतंकी आरिफ के भाई से बातचीत के अंश हैं। अभी तक तो यही माना जा रहा था कि दुजाना लश्‍कर कमांडर था, लेकिन अब पता चल रहा है कि वह अलकायदा की एक इकाई का अंग है जिसका नेतृत्‍व खूंखार आतंकी ज़ाकिर मूसा करता है। यह भी गौर करने योग्‍य बात है कि जितने भी आतंकी सुरक्षाबलों के हाथों मारे जा रहे हैं, उनके शवों पर आईएस एवं अलकायदा का झंडा नज़र आने लगा है।

सेना ने आतंकी अबू दुजाना का किया काम तमाम

ताजा मुठभेड़ शुक्रवार की रात कश्‍मीर के सोपोर में हुई है, जहां सुरक्षाबलों ने तीन और आतंकियों को मार गिराया है। ये तीनों आतंकी भी लश्‍कर के ही थे, जो एक घर में छुपे हुए थे। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में इन्‍हें मार गिराया। वैसे, आंतकियों के लगातार हो रहे खात्‍मे से आतंकी कुनबे में खलबली मची हुई है और आतंक की नर्सरी बना पाकिस्‍तान भी असहज हो गया है। सलाउद्दीन को पनपाने वाले पाकिस्‍तान के लिए सलाउद्दीन का अंतरराष्‍ट्रीय आतंकी घोषित किया जाना ही बड़ा झटका रहा है। अपने आतंकी प्रेम के कारण जल्‍द ही पाक विश्‍व के सामने बेनकाब हो सकता है।

चूंकि कश्‍मीर के अवाम में ही कई आतंक समर्थक छुपे हैं, इसलिए वहां पुलिस को सतर्क बने रहने की जरूरत है। यह आशंका इस बात से और पुष्‍ट होती है कि दुजाना व दो अन्‍य आतंकियों के मारे जाने के बाद कश्‍मीर में हिंसा भड़क उठी। हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़पें कीं और घाटी में तनाव व्‍याप्‍त करने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों ने सीआरपीएफ जवानों के शिविर पर भी पथराव किया। हालांकि फोर्स ने स्थिति पर काबू पा लिया लेकिन इससे एक बात स्‍पष्‍ट हो गई कि प्रत्‍येक आतंकी की मौत के बाद कश्‍मीर में जनजीवन ठप हो जाता है और इसके पीछे वे अज्ञात तत्‍व शामिल होते हैं जो कि कश्‍मीर में ही नागरिकों के वेश में रह रहे हैं। ये लोग मौका पाकर अपनी वारदातें करने से बाज नहीं आते।

बहरहाल, एक के बाद एक सेना द्वारा आतंकियों का सफाया किए जाने से घाटी में आतंक की जड़ें कमजोर हो रही हैं। दूसरी तरफ, अलगाववादियों पर भी जाँच एजेंसियां नकेल कसने में लगी हैं। सेना और जांच एजेंसियों की इन कार्रवाइयों निश्चित तौर पर कश्‍मीर घाटी को आतंकियों से मुक्‍त कराने की दिशा में अहम पड़ाव साबित होगी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)