भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी को दर्शाते हैं ये आंकड़े

भारत विश्व की उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी जीडीपी वृद्धि दर कैलेंडर वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में सकारात्मक रही है। उल्लेखनीय है कि अधिकांश यूरोपीय देशों का कैलेंडर वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहा है। इतना ही नहीं, उनके जीडीपी में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में और भी संकुचन आने की संभावना जताई गई है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी  कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 26 फरवरी 2021 को जारी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.4 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी हुई है। वित्त वर्ष 2022 के दौरान जीडीपी में 11 प्रतिशत की दर से और नॉमिनल जीडीपी में 15 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो सकती है। 

कृषि

उम्मीद के अनुसार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में वृद्धि 3.4 प्रतिशत की दर से हुई, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें वृद्धि 3.9 प्रतिशत की दर से हुई थी। कोरोना के बीच यह वृद्धि दर ठीक ही कही जाएगी।  

उद्योग

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में उद्योग क्षेत्र में वृद्धि सकारात्मक हो गई है, जबकि पहली तिमाही में यह 35.9 प्रतिशत नकारात्मक थी। तीसरी तिमाही में इस क्षेत्र में 2.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जिसका कारण बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं में 7.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि का होना है। 

इतना ही नहीं, इस अवधि में निर्माण क्षेत्र में भी 6.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। हालांकि, खनन एवं उत्खनन क्षेत्र में वृद्धि दर अभी भी नकारात्मक है। उद्योग के उपखंडों के मिलेजुले प्रदर्शन की वजह से वित्त वर्ष 2021 में उद्योग क्षेत्र में 8.2 प्रतिशत की दर से नकारात्मक वृद्धि हो सकती है। 

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2020 में उद्योग क्षेत्र में वृद्धि नकारात्मक 1.2 प्रतिशत की दर से हुई थी। वित्त वर्ष 2021 के दौरान कृषि क्षेत्र को छोड़कर बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं में सकारात्मक वृद्धि होने का अनुमान है।

सेवा क्षेत्र

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र में 1.0 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। सेवा क्षेत्र में तीसरी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि होने का मुख्य कारण वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाओं में 6.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि होना है। 

अंतिम उपभोग

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में जीडीपी में सकारात्मक वृद्धि हुई है, लेकिन अंतिम उपभोग में नकारात्मक वृद्धि हुई है। हालांकि, गिरावट की गति में काफी कमी आई है। वैसे, सरकार द्वारा प्रतिशत के दो अंकों में खर्च करने के कारण अंतिम उपभोग व्यय में वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि होने का अनुमान है। निजी अंतिम उपभोग व्यय में भी वृद्धि हुई है और वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में इसमें 3.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है।  

पूँजी निर्माण

सकल स्थिर पूंजी निर्माण दर वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में नकारात्मक रहा, जो तीसरी तिमाही में वास्तविक और नाममात्र दोनों मानदंडों पर सकारात्मक हो गया। यह अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। हालांकि, निर्यात और आयात दोनों मोर्चों पर वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में गिरावट दर्ज हुई है और चौथी तिमाही में भी इनमें और भी कमी आने का अनुमान है।

वृद्धिशील ऋण वृद्धि

चालू वित्त वर्ष के 12 फरवरी 2021 तक सभी अनुसूचित व्यवसायिक बैंक (एएससीबी) का वाईओवाई ऋण वृद्धिशील आंकड़ा 6.6 प्रतिशत के स्तर पर पहुँच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 6.4 प्रतिशत था। इतना ही नहीं वाईटीडी के आधार पर एएससीबी का ऋण वृद्धि 12 फरवरी 2021 तक 3.2 प्रतिशत रहा, जो राशि में 3.3 लाख करोड़ रुपए था। 

वहीं, वित्त वर्ष 2020 में 12 फरवरी तक 2.8 प्रतिशत की दर से वृद्धिशील ऋण में वृद्धि हुई, जो राशि में 2.7 लाख करोड़ रुपए थी। इस प्रकार, वित्त वर्ष 2021 में वृद्धिशील ऋण वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक थी। 

रिजर्व बैंक के आंकड़े

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुसूचित व्यवसायिक बैंक (एससीबी) के जमा और ऋण के तिमाही आंकड़े जारी किए हैं, जिसके अनुसार वाईओवाई आधार पर ऋण में वृद्धि दिसंबर 2020 में बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गया, जो पिछली तिमाही में 5.8 प्रतिशत था। 

मामले में ग्रामीण, कस्बाई, शहरी और महानगरों में पिछले साल के मुक़ाबले कम ऋण वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, निजी क्षेत्र के बैंकों का ऋण दिसंबर 2020 में 6.7 प्रतिशत रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 13.1 प्रतिशत रहा था, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ऋण वृद्धि दर बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गया, जो दिसंबर 2019 में 3.7 प्रतिशत था। गौरतलब है कि एएससीबी का जनवरी 2021 के दौरान वृद्धिशील ऋण वृद्धि लगभग सभी क्षेत्रों में बेहतर रहा। 

क्षेत्रवार आंकड़े

जनवरी 2021 में जारी किए गए क्षेत्रवार आंकड़ों के अनुसार 33 एससीबी का वृद्धिशील ऋण लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों जैसे, कृषि, सेवा, उद्योग, व्यक्तिगत ऋण आदि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 के अप्रैल से जनवरी के दौरान उद्योग और गैर-सरकारी वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में वृद्धिशील ऋण में वृद्धि हुई है। उद्योग में ऋण वृद्धि नहीं होने का कारण उद्योग द्वारा बॉन्ड बाजार से पैसा जुटाना है। 

उद्योग के उपखंडों में खनन और उत्खनन, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम, कोयला उत्पाद, परमाणु ईंधन, कागज और कागज के बने उत्पाद, चमड़े और चमड़े के उत्पाद, वाहन, वाहन के पुर्जे और परिवहन उपकरण आदि क्षेत्रों में जनवरी 2021 में जनवरी 2020 से तेज ऋण वृद्धि हुई है। 

कॉर्पोरेट्स 

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में कॉर्पोरेट्स के वित्तीय परिणाम वित्त वर्ष 2020 की तुलना में बेहतर रहे हैं। बीएफएसआई और रिफाइनरी को छोड़कर 3000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि टॉप लाइन में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि ईबीआईडीटीए में लगभग 40 प्रतिशत की।

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही की तुलना में कर के बाद लाभ (पैट) में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी, फार्मा, सीमेंट, स्टील, उपभोक्ता टिकाऊ आदि क्षेत्रों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किये हैं।  

कर्ज एवं ब्याज में कमी

यह भी देखा गया है कि कंपनियों के कर्ज पोर्टफोलियो में कमी आने के कारण कंपनियों के ब्याज देयता में कमी आई है। कंपनियों की ऋण और ब्याज देयता में सितंबर 2020 में 20 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पिछले साल के सितंबर 2019 में 26 प्रतिशत की कमी आई थी, जबकि मार्च 2020 में 37 प्रतिशत की। इससे कंपनियाँ बैंकों का कर्ज चुकाने में समर्थ हुई हैं साथ ही साथ वे कुशल तरीके से अपना वित्तीय प्रबंधन करने में भी सक्षम हुई हैं।  

निवेश परिदृश्य

वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में दूसरी तिमाही की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक निविदा आमंत्रित किए गए, जबकि राशि में इसमें 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। तीसरी तिमाही में कुल मिलाकर 2.40 लाख करोड़ रुपये की राशि की कुल 12240 निविदाएँ आमंत्रित की गईं।

पिछले 9 महीनों यानी अप्रैल से दिसंबर महीनों के दौरान लगभग 28255 निविदाएँ, जो राशि में 5.50 लाख करोड़ रुपये थी आमंत्रित की गईं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 7.03 लाख करोड़ रुपये की राशि के 17884 निविदाएँ आमंत्रित की गई थीं। इस प्रकार, आमंत्रित निविदाओं की संख्या में 58 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि राशि के मामले में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 

ऋण अनुपात में सुधार

विविध कॉरपोरेट्स के रेटिंग्स के विश्लेषण से पता चलता है कि अगस्त 2020 के बाद से कॉरपोरेट्स के ऋण अनुपात में सुधार हो रहा है। 26 महत्वपूर्ण क्षेत्रों की अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 की तुलना में सितंबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान उनकी रेटिंग्स में सुधार हुआ है। सितंबर 2020 से जनवरी 2021 के दौरान कुल मिलाकर 899 कॉरपोरेट्स की रेटिंग्स का उन्नयन हुआ है। 

देशवार जीडीपी वृद्धि दर

भारत विश्व की उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी जीडीपी वृद्धि दर कैलेंडर वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में सकारात्मक रही है। उल्लेखनीय है कि अधिकांश यूरोपीय देशों का कैलेंडर वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहा है। इतना ही नहीं, उनके जीडीपी में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में और भी संकुचन आने की संभावना जताई गई है। 

निष्कर्ष

कहा जा सकता है कि अर्थव्यस्व्था के सभी मानकों में बेहतरी आ रही है और भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण गहराई मंदी से से तेजी से बाहर निकल रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)