भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कैसे रहे मोदी सरकार के तीन साल ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। प्रधानमंत्री समावेशी विकास के पक्षधर हैं। अतः उनकी सरकार सामाजिक एवं कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी सकारात्मक फैसले कर रही है। सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि सभी आर्थिक मानकों पर भारत उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहा है, जिसकी पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी कर रहा है। इस संस्थान के मुताबिक वर्ष 2022 तक भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा।

इसमें दो राय नहीं है कि बीते तीन सालों में मोदी सरकार ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि आर्थिक क्षेत्र से संबंधित है। मोगर्न स्टेनले के ताजा शोध  के मुताबिक अनुकूल विदेशी मांग, कंपनियों के बेहतर नतीजे और निजी क्षेत्र में पूंजी व्यय में होती बढ़ोतरी से देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत के स्तर तक पहुँच सकती है, जिसके कारक बाह्य मांग परिवेश में बेहतरी, कंपनियों के खातों में सुधार एवं निजी क्षेत्र में पूँजी व्यय में तेजी आदि को माना जा सकता है।

भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली करेंसी आदि को नियंत्रित करने के लिये पिछले साल के नवंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, जिसमें सरकार को काफी हद तक सफलता मिली है। सरकार के इस कदम से डिजिटल लेन-देन में भी जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण इलाकों में भी लोग डिजिटल लेन-देन करने लगे हैं। डिजिटल लेनदेन में और भी तेजी आये के लिये सरकार ने हाल ही में भीम ऐप देश को समर्पित किया है।

विविध आर्थिक मानकों के आंकड़ों को वास्तविकता के नजदीक लाने के लिए सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आदि के आधार वर्ष में बदलाव किया है और मौजूदा वित्तवर्ष जो फिलहाल 1 अप्रैल से 31 मार्च तक है को बदलकर 1 जनवरी से 31 दिसंबर करना चाहती है। इन सुधारों से विभिन्न आर्थिक मानकों के आंकड़ों में शुद्धता आने की संभावना है, जिससे सरकार एवं रिजर्व बैंक सही आर्थिक फैसले लेने में समर्थ हो सकेंगे।

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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के राह के रोडों को हटाना मोदी सरकार की सबसे बड़ी आर्थिक उपलब्धि है, क्योंकि इससे देश में एकीकृत कर प्रणाली की शुरुआत होगी, जिससे कर वंचना, महँगाई, कालाबाजारी आदि में कमी आने एवं राजस्व में तेज वृद्धि होने की संभावना है। इससे विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार एवं दूसरे सरकारी तंत्रों पर भरोसा भी बढ़ेगा, जिससे देश में मौजूदा कारोबार के फ़लक में विस्तार एवं विदेशी निवेश में इजाफा होगा।

जीएसटी के लागू होने से जीडीपी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने का अनुमान है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुताबिक भी भारतीय बाजार में पहले से खुलापन आया है, लेकिन इसे अगर कुछ और ज्यादा नियंत्रणमुक्त किया जाता है तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में और भी तेजी आयेगी।

इस क्रम में एडीबी ने जीएसटी लागू करके अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर एक कर में तब्दील करने के मोदी सरकार के प्रयासों की खुलकर तारीफ की है। एडीबी के अध्यक्ष ताकेहिको नाकाओ के अनुसार भारत में अभी भी उपलब्ध संसाधनों व संभावनाओं का पूरी तरह से दोहन नहीं हुआ है। राज्यों में विकासात्मक कार्य प्रभावित नहीं हों, इसके लिए मोदी सरकार ने केंद्र और राज्य के बीच राजस्व बंटवारे पर 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें समय से लागू की। इतना ही नहीं इस्पात, कोयला और बिजली से जुड़े आधारभूत संरचना वाली परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी नहीं हो, इसके लिए सरकार ने एकल खिड़की प्रणाली शुरू की है।

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देश में चल रही पूँजी की समस्या से निपटने के लिये सरकार ने रेल के बुनियादी क्षेत्रों में विदेशी निवेश को अनुमति दी है। रक्षा क्षेत्र में भी विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया गया है, वहीं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मामले में भी विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया गया है। इसी तरह बीमा और पेंशन क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया गया है। खुद से पूँजी जुटाने के लिये बैंकों को आईपीओ व एफपीओ जारी करने की अनुमति सरकार ने दी है। वैसे सरकारी उपक्रम जो घाटे में चल रहे हैं और उनके पुनर्वास की संभावना न्यून है, का विनिवेश करके सरकार पूँजी जुटाने का कार्य कर रही है ताकि विकास की गति अवरुद्ध न हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-सैट-9 से मिलने वाले आंकड़ों को नेपाल, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ साझा करने का फैसला किया है, जिससे भारत का रिश्ता इन देशों के साथ मजबूत होगा। बीते महीनों, भारत ने नेपाल, जापान, अमेरिका, कनाडा आदि देशों के साथ लाभकारी समझौते किये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं से भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान बढ़ाया है और उनकी अगुआई में भारत विकसित देशों के समक्ष अपनी बात मजबूती के साथ रखने लगा है, जिससे देशवासियों के स्वाभिमान में वृद्धि हुई है।

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भारत लोक-कल्याणकारी देश है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेक सामाजिक व लोक-कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। इस आलोक में उज्ज्वला योजना के तहत बीपीएल कार्ड धारक महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना है। मोदी सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिये अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, आदि की शुरुआत की है। वित्तीय समावेशन की संकल्पना को साकार करने के लिये सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना का भी आगाज किया है।

इस योजना के तहत 12 अप्रैल, 2017 तक कुल 28.3 करोड़ खाते खोले जा चुके थे। इतना ही नहीं इनमें 22.01 करोड़ रुपे कार्ड भी वितरित किये गये हैं। मामले में सबसे बड़ी उपलब्धि 18.68 खातों को आधार से जोड़ा जाना है। साफ है, परिवार के एक सदस्य का बैंक में खाता होने से सरकार के लिये सामाजिक योजनाओं का लाभ आमजन को देना आसान हो गया है। इससे सामाजिक योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुँचने के क्रम में होने वाले भ्रष्टाचार में भारी कमी आई है। प्रणाली में आई पारदर्शिता से वंचित एवं कमजोर तबके का भरोसा सरकार पर बढ़ा है।

“मेक इन इंडिया” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सभी वस्तुओं पर “मेड इन इंडिया” लिखा हो। इसके लिये सरकार कारोबारियों को कारोबार शुरू करने के लिये रियायत दे रही है। “मेक इन इंडिया” की अगली कड़ी के रूप में सरकार ने “स्टार्ट अप इंडिया” की शुरुआत की है। इन दोनों योजनाओं को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का आगाज किया है। मुद्रा योजना के तहत 12 मई 2017 तक 14,272.51 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं, जिनमें से 12,886.20 करोड़ रूपये का वितरण लाभार्थियों के बीच किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2016-17 में इस योजना के अंतर्गत 1,80,528.50 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये थे, जिसमें से 1,75,312.13 करोड़ रूपये लाभार्थियों के बीच वितरित किये गये।

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ग्रामीण क्षेत्र में सभी को साल में कम से कम 100 दिनों तक रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में मनरेगा के बजट को बढाकर 48,000 करोड़ रूपये कर दिया है। इन योजनाओं को लागू करने से रोजगार सृजन में साफ तौर पर इजाफा हुआ है। इस मामले में मोदी सरकार रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्रों में रोजगार सृजन एवं कौशल विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। चूँकि, रोजगार सृजन अधिकांशतः असंगठित क्षेत्र में हो रहा है और सरकारी तंत्र अभी उस वृद्धि को पूरी तरह से माप नहीं सका है। लिहाजा, रोजगार सृजन के आंकड़ों में यह वृद्धि नहीं दिख रही है। लेकिन, ज़मीनी तौर पर रोजगार में वृद्धि निश्चित रूप से हुई है।

स्वच्छता अभियान शुरू करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी उपलब्धि है। इस योजना को सरकार वर्ष 2019 तक पूरा करना चाहती है। इस संकल्पना की मदद से स्वच्छ भारत के निर्माण के प्रति लोगों की सोच में बदलाव आया है। इसी वजह से स्वच्छता के मामले में पहली बार मध्यप्रदेश का इंदौर और भोपाल देशभर में क्रमशः पहला एवं दूसरा स्थान हासिल कर सका। स्वच्छता अभियान के चलने से निश्चित तौर पर लोग कम बीमार पड़ेंगे और अकाल मृत्यु की संख्या में उल्लेखनीय कमी आयेगी।

बीते 3 सालों में जीवन बीमा, पेंशन आदि से संबंधित लगभग 10 करोड़ डेबिट कार्ड जारी किये गये हैं। रसोई गैस के वितरण में कालाबाजारी रोकने व पारदर्शिता लाने के लिये नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना को लागू किया गया है, जिससे सरकार को लगभग पाँच अरब डॉलर की वार्षिक बचत होने का अनुमान है। रक्षा के क्षेत्र में देश को मजबूत करने के लिये 36 राफेल युद्धक विमान खरीदने की मंजूरी सरकार ने दी है।

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सरकार ने 100 स्मार्ट सिटी बनाने की परियोजना को भी मंजूरी दी है। सरकार सभी को 2022 तक घर उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम कर रही है। लंबे समय से कोयला ब्लॉक की नीलामी में चल रहे गतिरोध को दूर करने में भी सरकार सफल रही है। कृषि उत्पादों पर महंगाई का कम असर हो. इसके लिए सरकार ने कीमत स्थिरीकरण कोष का निर्माण किया है। इस संबंध में कृषि उत्पादों का भंडारण बढ़ाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का भंडारण संरचना कोष भी बनाया गया है।

कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। प्रधानमंत्री समावेशी विकास के पक्षधर हैं। अतः उनकी सरकार सामाजिक एवं कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी सकारात्मक फैसले कर रही है। सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि सभी आर्थिक मानकों पर भारत उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहा है, जिसकी पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी कर रहा है। इस संस्थान के मुताबिक वर्ष 2022 तक भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूझबुझ से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की प्रतिष्ठा में इजाफा हो रहा है। नये भारत के निर्माण के लिये मोदी सरकार ने एक रणनीति के तहत काम करना शुरू किया है। उम्मीद है कि इस रणनीति को अमलीजामा पहनाकर भारत विकास के पथ पर और भी तेजी से आगे बढ़ेगा।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। स्तंभकार हैं। ये विचार उनके निजी हैं।)