विपक्षी विरोध से इतर तथ्य तो यही बताते हैं कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है!

पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था की बर्बादी हुई, जिसके सबूत सामने हैं। मनमोहन सिंह को तथ्यों के साथ यह बताना चाहिए कि वे किस बर्बादी और किन सबूतों की बात कर रहे हैं, क्योंकि जो तथ्य हमारे सामने हैं, उनके हिसाब से तो मौजूदा दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत स्थिति और सही दिशा में है।

आज से दो वर्ष पूर्व, यही 8 नवम्बर की तारीख थी, जब देश में काले धन, नकली नोट जैसी आर्थिक विसंगतियों पर चोट करने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में इस निर्णय का ऐलान किया जिसके बाद सब तरफ उथल-पुथल का एक अलग ही माहौल बन गया। निस्संदेह नोट बदलने के लिए लगने वाली लम्बी कतारों के कारण लोगों को थोड़े समय के लिए कुछ असुविधा उठानी पड़ी, परन्तु लोगों को यह बात समझ में आ गयी कि यह निर्णय देशहित में है और उन्होंने अपनी व्यक्तिगत असुविधाओं की परवाह न करके इसमें सरकार का पूरा सहयोग किया।

सरकार ने भी नियमों में लचीलापन रखा और लोगों की आवश्यकताओं के हिसाब से उनमें परिवर्तन किया जाता रहा। इस पूरी प्रक्रिया में यदि किसीको कष्ट था, तो वो कांग्रेस आदि विपक्षी दलों को था। जनता की नब्ज़ से अनजान इन दलों ने नोटबंदी का खूब विरोध किया और तत्कालीन पांच राज्यों के चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बनाया।

सांकेतिक चित्र

मगर जब परिणाम आए तो साफ़ हो गया कि जनता ने इनके विरोध को खारिज कर दिया है और नोटबंदी पर सरकार के साथ खड़ी है। बाद के कई चुनाव परिणामों ने भी इसी बात की तस्दीक की है। बावजूद इसके विपक्षी दलों का नोटबंदी के प्रति विरोध ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा। आज दो साल बाद भी ये उसके विरोध में खड़े हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था की बर्बादी हुई, जिसके सबूत सामने हैं। मनमोहन सिंह को तथ्यों के साथ यह बताना चाहिए कि वे किस बर्बादी और किन सबूतों की बात कर रहे हैं, क्योंकि जो तथ्य हमारे सामने हैं, उनके हिसाब से तो मौजूदा दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत स्थिति में है।

गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अभी चीन से तेज है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि ये तेजी आगे भी बनी रहेगी। आईएमएफ ने अपने हालिया वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक में लिखा है कि वित्त वर्ष 2019 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2020 में 7.4 प्रतिशत रहेगा, जबकि आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019 के लिये चीन के जीडीपी के 6.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने की बात कही है।

वित्त वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही थी, जबकि चीन की जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत। गरीबी कम करने के मामले में भी मोदी सरकार की नीतियों का असर दिख रहा है। गरीबी उन्‍मूलन के क्षेत्र में भारत की प्रगति को देखते हुए विश्‍व बैंक ने भारत को निम्‍न मध्‍यम आय वर्ग वाले देशे से उपर उठकर उच्‍च मध्‍यम आय वर्ग वाले देशों में शामिल होने के लिए मदद करने का फैसला किया है।

कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क के तहत विश्‍व बैंक भारत को अगले पांच वर्षों में 25 से 30 अरब डालर की वित्‍तीय सहायता मुहैया कराएगा। इसके अलावा कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भारत की स्थिति में वर्ष दर वर्ष तेजी से सुधार होना भी हमारी आर्थिक मजबूती का सबसे ताजा उदाहरण है। देश डिजिटल इकॉनमी की ओर बढ़ रहा है। लोग नकद की बजाय ऑनलाइन खरीद पर जोर देने लगे हैं। इन तथ्यों से जाहिर है कि नोटबंदी के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर ही अग्रसर है। इससे नुकसान की बात सिर्फ सिर्फ विपक्षी जुबानों तक ही सीमित है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)