कोरोना संकट : गरीबों के हितों के साथ-साथ राज्य के विकास को लेकर भी सक्रिय है योगी सरकार

गरीबों-मजदूरों के हितों की चिंता के साथ-साथ योगी राज्य की विकास सम्बन्धी गतिविधियों को लेकर भी सक्रिय हैं। एक्सप्रेस वे व औद्योगिक गलियारे के इस दौरान बाधित हुए कार्य में पुनः तेजी लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारे का निर्माण विकास को गति देगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे तथा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे पर तेजी से कार्य चल रहा है।

उत्तर प्रदेश में आपदा को अवसर बनाने का अभियान आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना आपदा के शुरुआती समय में इसके लिए आह्वान किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। आपदा राहत प्रबन्धन के साथ ही निवेश, रोजगार, गरीब बच्चों की शिक्षा, एक्सप्रेस वे निर्माण सहित अनेक विकास कार्यों का भी संचालन किया जा रहा है।

इस क्रम में योगी आदित्यनाथ ने डीबीटी के माध्यम से कामगारों के खाते में एक-एक हजार रुपये ट्रांसफर किए। इससे प्रदेश में करीब साढ़े दस लाख श्रमिकों को आर्थिक लाभ मिला है। करीब एक सौ करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कई मजदूरों से संवाद कर यह विश्वास दिलाया कि उन्हें जल्द रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा।

बीतें दिनों में करीब सत्रह सौ से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश में आईं। साथ ही, प्रवासी कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए बारह हजार से अधिक परिवहन निगम की बस चलाई गईं। मजदूरों/कामगारों के मेडिकल स्क्रीनिंग व रहने खाने की व्यवस्था के लिए पन्द्रह लाख की क्षमता के क्वारंटाइन केंद्र बनाए गए।

इन लोगों को आर्थिक रूप से मदद पहुंचाने के लिए पहले चरण में दस लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों के खाते में रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं। बाकियों के भी बैंक एकाउंट डिटेल एकत्र करने का काम शीघ्रता से हो रहा है। सरकार  सभी प्रवासियों के भरण पोषण हेतु कटिबद्ध है।

इनकी स्किल मैपिंग का काम हो चुका है। अब उन्हें जनपद स्तर पर मुस्तैदी के साथ रोजगार से जोड़ने का काम भी जारी है। जॉब कॉर्ड के अलावा स्किल के अनुसार जिला प्रशासन इनके रोजगार की व्यवस्था कर रहा है। इसके अलावा प्रथम चरण में प्रवासी कामगारों के लिए पन्द्रह दिन के राशन किट की व्यवस्था की गई। इसमें पर्याप्त आटा, चावल, आलू, भुना चना, अरहर दाल, तेल व मसाले शामिल थे।

गरीबों-मजदूरों के हितों की चिंता के साथ-साथ योगी राज्य की विकास सम्बन्धी गतिविधियों को लेकर भी सक्रिय हैं। एक्सप्रेस वे व औद्योगिक गलियारे के इस दौरान बाधित हुए कार्य में पुनः तेजी लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारे का निर्माण विकास को गति देगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे तथा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे पर तेजी से कार्य चल रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, गोरखपुर को आजमगढ़ होते हुए लखनऊ से जोड़ेगा। इस परियोजना के पूरा हो जाने पर गोरखपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से लखनऊ तक यात्रा करने में जो समय लगता है, उतना ही समय एक्सप्रेस वे के द्वारा गोरखपुर से लखनऊ पहुंचने में लगेगा।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के माध्यम से वाराणसी और गोरखपुर की यात्रा कम समय में की जा सकेगी और यह परियोजना पूर्वांचल के इन दो महत्वपूर्ण नगरों को और निकट ले आएगी। गंगा एक्सप्रेस वे के डीपीआर की कार्यवाही भी अंतिम चरण में है।

सांकेतिक चित्र (साभार : Navbharat Times)

यह सभी एक्सप्रेस वे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए आर्थिक विकास की धुरी बनेंगे। देखा जाए तो विगत तीन वर्षों में प्रदेश में निवेश के अनुकूल वातावरण बना है। कनेक्टीविटी बेहतर हुई है। साथ ही, अगले वर्ष से गोरखपुर में एम्स भी पूरी तरह कार्य करने लगेगा।

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ स्थानीय उत्पाद की ब्रांडिंग पर भी बल देते रहे हैं। चूंकि यह आम का सीजन है, इसलिए उन्होंने आम की अन्तर्राज्यीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्राण्डिंग किए जाने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि इसकी गुणवत्ता के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।

आम के विपणन एवं निर्यात के सम्बन्ध में तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। सरकार आम उत्पादकों, निर्यातकों और किसानों के हितों व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पुराने बागों का जीर्णोंद्धार, कोल्ड रूम की व्यवस्था, पैक हाउस की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। कीटनाशकों के छिड़काव के सम्बन्ध में किसानों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही, आम के बागों के लिए अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।

सरकार की योजना आम आधारित व्यवसायों की इकाईया स्थापित करवाने की है। अन्तर्राज्यीय विपणन के लिए हॉफेड, नैफेड एवं मण्डी परिषद योजनाबद्ध तरीके से कार्यवाही करेंगे। गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्रों तथा बागवानी के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रदेश की प्रमुख व्यावसायिक किस्मों को ‘बायर-सेलर मीट’ के माध्यम से प्रोत्साहित करने पर विचार किया जा रहा है।

सांकेतिक चित्र (साभार : Navbharat Times)

आम की दशहरी, लंगड़ा, चौसा, रामकेला, रटौल, सफेदा, गौरजीत, आम्रपाली, मल्लिका जैसी प्रजातियों की मांग है। अतः इनकी ब्राण्डिंग करते हुए निर्यात सम्बन्धी समस्याओं को दूर कर इस उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा।

आम के अतिरिक्त किसानों को जैविक फसलें उगाने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ इनकी प्रभावी मार्केटिंग करने की भी व्यवस्था किए जाने पर काम चल रहा है।

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर भी नजर बनाए हुए हैं। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत यूपी के अनाथ बच्चों तथा मजदूरों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। बालकों को एक हजार  रुपये प्रतिमाह और बालिकाओ को बारह सौ रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे।

जाहिर है, योगी आदित्यनाथ इस आपदकाल में भी न केवल इससे प्रभावित तबकों की हित-चिंता कर रहे हैं, अपितु राज्य के विकास के पहिये को भी बंद होने से बचाने पर उनका पूरा ध्यान है और इसके लिए उनकी सरकार लगातार कदम उठा रही है। यही कारण है कि आज यूपी कोरोना से लड़ने के मामले में देश के राज्यों के लिए एक आदर्श के रूप में नजर आ रहा है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। स्वतंत्र रूप से पत्र-पत्रिकाओं और वेबपोर्टलों के लिए लिखते हैं। प्रस्तुत लेख में उनके निजी विचार हैं।)