योगी की गुजरात यात्रा राजनीतिक होने के साथ-साथ यूपी के विकास पर भी केन्द्रित थी !

योगी की गुजरात यात्रा का दूसरा पहलू उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास से जुड़ा था। दो दिन की इस यात्रा में उन्होने इसके लिए भी समय निकाला। उन्होने ‘सूरत चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्री’ के समारोह में निवेशकों को संबोधित किया। पिछले डेढ़ दशक से उत्तर प्रदेश के प्रति निवेशकों का आकर्षण ख़त्म सा हो गया था। योगी ने बताया कि उनकी सरकार ने निवेश के अनुकूल माहौल बनाया है। नई औद्योगिक नीति में निवेशकों को पर्याप्त सहूलियतें दी गई है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुजरात यात्रा मुख्य रूप से राजनीतिक थी, लेकिन यहां भी वह उत्तर प्रदेश के विकास को नही भूले। अवस्थापना और औद्योगिक विकास के अधिकारी गुजरात यात्रा में उनके साथ थे। मुख्यमंत्री गुजरात के निवेशकों से मिले और उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश का आमंत्रण दिया। इस प्रकार यह यात्रा आर्थिक विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गई। कार्य करने का यही अंदाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा है। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब अपनी प्रत्येक यात्रा में वह प्रदेश के विकास की भी संभावना तलाश करते थे। आज प्रधानमंत्री हैं, तो प्रत्येक विदेश यात्रा में इसी भावना से एक-एक पल का उपयोग करते हैं।  

योगी आदित्यनाथ भी गुजरात गौरव यात्रा में शामिल होने के लिए वहां गए थे। पार्टी द्वारा सौपे गए इस कार्य को उन्होने बाखूबी अंजाम दिया। वहाँ के लोगो ने उनका जोरदार स्वागत किया। उनकी बातों को गम्भीरता से सुना गया। इसे गुजरात विधानसभा चुनाव की प्रारंभिक मोर्चाबन्दी के रूप में देखा जा सकता है।

भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। यदि वह किसी चुनाव में अपने किसी मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहती है, तो इसमे कुछ भी अनुचित नही है। छः महीने में योगी आदित्यनाथ ने अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वह सुधार के विभिन्न मोर्चों पर एक साथ सक्रिय रहे हैं। उनपर लम्बे समय से उत्तर प्रदेश में चल रही बदहाली को दूर करने का दायित्व है। इसलिए वह समय का भी बेहतर उपयोग करते हैं।

राजनीतिक रूप से वह गुजरात के आमजन से मिले। गुजरात गौरव यात्रा में शामिल हुए। बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इसके माध्यम से उन्होने कांग्रेस की चुनावी रणनीति को बेअसर करने वाले प्रश्न दागे। कांग्रेस ने लगातार मिल रही पराजय को देखते हुए इसबार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया था। उसने हिन्दुओ को प्रभावित करने की योजना बनाई थी। इसके अंतर्गत कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात के मंदिरों में गए थे। योगी आदित्यनाथ ने इस पर जो प्रश्न उठाया, उसका जवाब कांग्रेस के पास नहीं था। योगी ने कहा कि यूपीए सरकार रामसेतु तोड़ने के लिए कटिबद्ध थी। इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर श्री राम और श्री कृष्ण के अस्तित्व को ही नकार दिया था। इस प्रकार की सोच वाले अब मंदिर जाकर किसी को भ्रमित नहीं कर सकते। 

योगी की गुजरात यात्रा का दूसरा पहलू उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास से जुड़ा था। दो दिन की इस यात्रा में उन्होने इसके लिए भी समय निकाला। उन्होने ‘सूरत चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्री’ के समारोह में निवेशकों को संबोधित किया। पिछले डेढ़ दशक से उत्तर प्रदेश के प्रति निवेशकों का आकर्षण ख़त्म सा हो गया था। योगी ने बताया कि उनकी सरकार ने निवेश के अनुकूल माहौल बनाया है। नई औद्योगिक नीति में निवेशकों को पर्याप्त सहूलियतें दी गई हैं।

इस अवसर पर प्रदेश के संबंधित अधिकारी भी मौजूद थे। इसके पहले केरल यात्रा में भी योगी ने उत्तर प्रदेश में निवेश के मुद्दे पर भी संबंधित लोगो से संवाद किया था। ये दिखाता है कि योगी आदित्यनाथ में उत्तर प्रदेश को विकसित बनाने की जबरदस्त ललक है। वह अपनी राजनीतिक यात्राओं में भी यह विषय साथ लेकर चल रहे हैं, इसके लिए यथासंभव प्रयास भी कर रहे हैं।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)