अमित शाह

‘उत्तराखंड को अटल जी ने बनाया था, मोदी जी संवारेंगे’

देश के सभी राज्यों के प्रवास कार्यक्रमों के अंतिम चरण में देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार कर गए, अपितु उनका दो दिवसीय दौरा एक मिसाल के रूप में भी कायम हो गया। राजधानी देहरादून में अपने 38 घंटे के प्रवास में अमित भाई सांस लेने की फुर्सत में नहीं दिखे और ताबड़तोड़ तरीके से करीब 2 दर्जन कार्यक्रम निबटाए। पार्टी की

भारतीय राजनीति के करिश्माई व्यक्तित्व हैं अमित शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दो दिवसीय उत्तराखण्ड दौरा न केवल अनूठा है, अपितु संपूर्ण राजनीतिक प्रतिष्ठान के लिए एक लंबी लकीर खींचने वाला भी साबित होगा। अमित शाह अपने दो दिनी प्रवास में पार्टी की सबसे छोटी इकाई ‘मडंल’ के पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों-विधायकों के साथ ताबडतोड़ बैठकें करेंगे। साथ ही, बुद्धिजीवियों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई ममता तानाशाही पर उतर आई हैं !

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वोटबैंक सियासत में इतना उलझ गई हैं कि अब उन्हें राष्ट्रवादी विचारो से परेशानी होने लगी है। वस्तुतः इसे वह अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानने लगी हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम हेतु महाजाति आडिटोरियम की बुकिंग रदद् करा दी। यह राज्य सरकार का आडिटोरियम है। बताया जाता है कि संबंधित अधिकारियों

अमित शाह के प्रवास कार्यक्रमों से घबराया हुआ है विपक्ष !

अमित शाह की सक्रियता भाजपा के लिये प्रेरणा बन रही है, लेकिन विपक्ष के लिये यह परेशानी का सबब है। अमित शाह, संगठन को मजबूत बनाने के लिये सभी प्रदेशों में प्रवास कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा विरोधियों की धड़कने बढ़ा देती है। वह अपनी पार्टी की आंतरिक हलचल के लिये भी अमित शाह को दोषी बता रहे हैं

यूपी प्रवास : भाजपा को अजेय बनाने की तपस्या में जुटे अमित शाह

सोनू यादव, यूपी तो छोड़िए, लखनऊ के उस इलाके के लिए भी ये नाम अनजान ही था जहां ये रहते हैं, और तो और भारतीय जनता पार्टी में काम करने वाले ज्यादातर लोग भी शायद ही इस नाम से परिचित थे, पर अब सोनू यादव का नाम मीडिया से लेकर सियासत के गलियारों तक में चर्चा की वजह है। लोगों में उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ है। दरअसल वे भारतीय जनता पार्टी में लखनऊ के एक छोटे से इलाके जुगौली के बूथ

भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?

इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन

राष्ट्रपति चुनाव : दलित उत्थान का नारा लगाने वाले रामनाथ कोविंद के नाम से सन्नाटे में क्यों हैं ?

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम को सामने कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने एकबार फिर से सबको चौंका दिया है। सबके कयास धरे रह गए। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के पहले रामनाथ कोविंद का नाम किसी तरह की चर्चा में भी नहीं था। लेकिन, जब भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर

अमित शाह ने ‘चतुर बनिया’ वाले बयान के जरिये कांग्रेस की दुखती रग पर ऊँगली रख दी है !

अमित शाह के ‘चतुर बनिया’ वाले बयान के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया बिलकुल स्वाभाविक हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर आज तक कांग्रेस ही ज़्यादातर सत्ता पर काबिज़ रही है और कांग्रेस के शीर्ष पर नेहरू-गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है। गांधी को ये अंदेशा था, इसीलिए वो कांग्रेस को भंग करने की बात कहे थे। मगर, कांग्रेस ने उनकी इस इच्छा का तो सम्मान नहीं किया, बल्कि उनके

भारत के प्राचीन वैभव की पुनर्स्थापना के तीन वर्ष

इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए छोटे-बड़े तमाम क़दमों का लक्ष्य अंततः भारत को विश्व का सिरमौर बनाना, इक्कीसवीं सदी को भारत की सदी बना कर देश को फिर से विश्व गुरु के आसन पर विराजमान कराना और माँ भारती के पुरा-वैभव की पुनर्स्थापना करना है। और ऐसा करते हुए

क्या है भाजपा की लगातार बढ़ रही लोकप्रियता का कारण ?

वर्तमान में देश के लिए भाजपा एक आदर्श सत्तारूढ़ दल है जो अपनी सकारात्मक और तरक्की पंसद सोच के जरिये देश को विकास की राह में आगे बढ़ा रहा है। यही कारण है कि केंद्र में तीन साल की सत्ता के बावजूद भाजपा-नीत नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता में कमी आने की बजाय लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। भाजपा को लगातार चुनावों में मिल रही बम्पर विजय इसीका उदाहरण है। फिलहाल