कट्टरपंथी

जश्न-ए-रेख्ता में कट्टरपंथियों ने किया तारिक फ़तेह का विरोध, खामोश क्यों हैं सेकुलर ?

बीते रविवार तो दिल्ली में जश्न-ए-ऱेख्ता खत्म हुआ । उर्दू भाषा के इस उत्सव में काफी भीड़ इकट्ठा होती है । बॉलीवुड सितारों से लेकर मंच के कवियों की महफिल सजती है । प्रचारित तो यह भी किया जाता है कि ये तरक्कीपसंद और प्रोग्रेसिव लोगों का जलसा है । होगा । लेकिन इस बार जश्न-ए-रेख्ता में जो हुआ वह इस आयोजन को और इसके आयोजकों को सवालों के घेरे में खड़ा करता है और यह साबित भी करता है कि

वहाबी कट्टरपंथ को नकारें भारतीय मुसलमान

विभाजन के बाद देश ने कई विभीषिकाओं को झेला, हजारों आपदाओं को सहन किया। फिर…