कम्युनिस्ट हिंसा

जनरक्षा यात्रा : केरल की वामपंथी हिंसा के विरुद्ध भाजपाध्यक्ष अमित शाह की हुंकार !

‘केरल’, जिसे ईश्वर की भूमि कहा जाता है, वामपंथी शासन में राजनीतिक हिंसा का खूनी अखाड़ा बनता जा रहा है। अबतक यहाँ भाजपा और संघ के करीब 300 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकतर हत्याएं खुद मुख्यमंत्री पी. विजयन के क्षेत्र कन्नूर में हुई हैं। वामपंथी बुद्धिजीवी, तथाकथित मानवाधिकारवादी जो भाजपा-शासित राज्यों पर सवाल उठाने के मामले में सबसे आगे होते हैं, इन हत्यायों पर खामोश नज़र आते हैं।

सीपीएम कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे – हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर, सिर काट लेंगे !

ताज़ा घटना दिनांक 30 अप्रैल की है जब संघ के एक नवनिर्मित सेवा केंद्र को कन्नूर में उद्घाटन के महज २४ घंटों के अन्दर ही वामपंथी गुंडों के द्वारा तहस नहस कर दिया गया। इस केंद्र का शुभारम्भ जे नन्द कुमार जी ने किया था। रात्रि के तीसरे पहर में हुए आक्रमण में कार्यालय के अन्दर रखी सारी वस्तुएं तोड़ डाली गयीं; खिड़कियाँ, दरवाजे एवं ईमारत में लगे शीशे तोड़ डाले गए। भवन की बाहरी

केरल में सन 1968 से चल रहा एकतरफा (कम्यूनिस्ट) आक्रमण : जे. नंदकुमार

पुस्तक मेले में पिछले दिनों ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवादी पत्रकारिता’ विषय पर ‘मीडिया स्कैन’ के आयोजन में चर्चा के दौरान केरल में कम्यूनिस्टों का जो चेहरा सामने आया, उस पर चर्चा होनी चाहिए। केरल से यह खबर आती है कि आग से झुलस कर एक नेता की मौत। नेता गैर-कम्यूनिस्ट पार्टी का होता है। यह खबर बनती है, लेकिन क्या वास्तव में खबर इतनी ही है या इसके पीछे विचारधारा का कोई संघर्ष है।