श्रीकृष्ण

राजनीति के आदर्श प्रतिमान हैं श्रीकृष्ण

नए निर्माण के पथ में आने वाले प्रत्येक अवरोध को, चाहे वह कितना भी प्रतिष्ठित क्यों न हो; हटाना ही होगा। यही श्रीकृष्ण की राजनीति का मूलमंत्र है।

कोरोना महामारी के बीच अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं

योग आपको शारारिक और भौतिक अस्तित्व से ऊपर उठाकर मानव की उच्चतम क्षमता की ओर ले जाता है। और योग द्वारा जो भी कुछ मनुष्य को मिलता है, वो अधिकतर समाज को देने में ही विश्वास करता है।

संघर्ष-पथ के पथिकों के लिए आकाशदीप की तरह है कृष्ण का चरित्र

लोक में कृष्ण की छवि ‘कर्मयोगी’ के रूप में कम और ‘रास-रचैय्या’ के रूप में अधिक है। चीर-हरण जैसी लीलाओं की परिकल्पना द्वारा उनके पवित्र-चरित्र को लांछित किया जाता है। राधा को ब्रज में तड़पने के लिए अकेला छोड़कर स्वयं विलासरत रहने का आरोप तो उन पर है ही, उनकी वीरता पर भी आक्षेप है कि वे मगधराज जरासन्ध से डरकर मथुरा से पलायन कर गए। महाभारत के युद्ध का दायित्व भी उन्हीं पर डाला गया है।