खुलीआम आदमी पार्टी की पोल, सामने आई नई राजनीति की हकीकत!

गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार आदि को ख़त्म कर देने के वायदो के साथ भोले-भाले लोगों के दिलो मे विश्वास घोलने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे अपने असली रंग में आती जा रही है। जन-लोकपाल और भ्रष्टाचार को हथकण्डा बनाकर लोगों के दिलो में जो विश्वास आम आदमी पार्टी ने कायम किया था, वह पार्टी की आंतरिक खामियों की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है। जिन लोगों ने जनता को यकीन दिलाया था कि वे एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नींव स्थापित करेंगे, वे लोग खुद ही किसी न किसी विवाद और आरोप से घिरे पड़े हैं। इन सब की क्या वजह हो सकती है कि पार्टी आंतरिक रूप के साथ ही साथ बाहरी तौर पर भी खोखली होती जा रही है ? दरअसल इस पार्टी की कोई सोच, कोई विचारधारा नहीं है, यह सिर्फ स्वार्थ आधारित लोगों के एक समूह की तरह है और इसकी यह आदरुनी हकीकत अब धीरे-धीरे लोगों के सामने आती भी जा रही है। इस पार्टी के खोखलेपन का यही प्रमुख कारण है।

इधर हाल के दिनों में जिस तरह से पार्टी के विधायक संदीप कुमार का सेक्स स्केंडल सामने आया, यह न केवल चौकाने वाला बल्कि भारतीय राजनीति को शर्मसार करने वाला मामला था। तिसपर उस सेक्स स्कैंडल के बचाव में पार्टी प्रवक्ता आशुतोष ने जिस तरह से देश के महान नेताओं से उसकी तुलना कर डाली, उसने तो सारी सीमा को ही तोड़ दिया। मौजूदा हालातों को देखते हुए लगता है कि अगर ये पार्टी अपने इसी रवैये के साथ बढ़ती रही तो इसका पतन अवश्यम्भावी है।

नई राजनीति का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल और उनकी इस पार्टी का रूख भी अब कांग्रेस जैसा ही होता जा रहा हैं, वह हर मामले पर केन्द्र की भाजपा सरकार का विरोध करना ही अपना परम कर्तव्य मान चुके हैं। केन्द्र सरकार की नीतियों और योजनाओं से लेकर अपने मनगढ़ंत मसलों के जरिये तक अतार्किक रूप से केंद्र की मोदी सरकार का विरोध करना केजरीवाल और उनकी पार्टी का शगल बन चुका है।

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जब केन्द्र से केजरीवाल के 14 बिल गलत प्रावधानों आदि के कारण वापस कर दिये गये तो ऐसे में केजरीवाल सरकार को चाहिए था कि वापस हुए उन बिलों पर विचार कर उन्हें पुनः संजोकर केंद्र को भेजती, लेकिन नहीं! केजरीवाल को तो बस एक बहाना चाहिए कि कैसे भी केंद्र की मोदी सरकार का विरोध करें और उसपर अनर्गल आरोप लगाएं। गौरतलब है कि उन 14 बिलों में जन लोकपाल बिल भी शामिल था, जिसके दम पर अरविंद केजरीवाल को जनता ने चुना था। लेकिन, जनलोकपाल को तो केजरीवाल और उनके लोग वैसे ही भूल चुके हैं, जैसे कि अन्ना हजारे को। अगर आम आदमी पार्टी अपने कार्यों से ध्यान हटाकर केवल मोदी सरकार की अंधविरोधी बनती जाएंगी तो जनता से खारिज होने में देर नहीं लगेगी।

इधर हाल के दिनों में जिस तरह से पार्टी के विधायक संदीप कुमार का सेक्स स्केंडल सामने आया, यह न केवल चौकाने वाला बल्कि भारतीय राजनीति को शर्मसार करने वाला मामला था। तिसपर उस सेक्स स्कैंडल के बचाव में पार्टी प्रवक्ता आशुतोष ने जिस तरह से देश के महान नेताओं से उसकी तुलना कर डाली, उसने तो सारी सीमा को ही तोड़ दिया। मौजूदा हालातों को देखते हुए लगता है कि अगर ये पार्टी अपने इसी रवैये के साथ बढ़ती रही तो इसका पतन अवश्यम्भावी है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)