नई तरह की राजनीति वाले नारे अब केजरीवाल के लिए बेमानी हो गए हैं। भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन का नारा लगाने वाले आज उस व्यवस्था के पोषक बन चुके हैं।