लॉकडाउन में श्रमिकों को घर पहुंचाकर रेलवे ने साबित किया कि वाकई में वो देश की जीवनरेखा है

जब विभिन्न राज्यों से श्रमिक एवं कामगार बंधु परिवार सहित अपने गाँव-घर जाने के लिए चल पड़े तो उनकी चिंता के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हुई। उन्हें घर तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश एवं आवश्यक फंड दिया गया। इसके साथ ही भारत सरकार ने श्रमिक विशेष ट्रेन चलाने का भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया। एक बार फिर भारतीय रेलवे ने साबित कर दिया कि वह सही मायनों में भारत की जीवनरेखा और भारत के ह्रदय की धड़कन है।

चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने अपनी दहशत फैलाकर लोगों को घरों में कैद कर दिया। जनवरी-2020 में कोरोना वायरस ने भारत में अपनी दस्तक दी। भारत में पहला मामला केरल में सामने आया, फिर समय के साथ यह संक्रमण पूरे देश में फैलने लगा।

उधर, दुनिया के विकसित और साधन सम्पन्न देशों- अमेरिका, इटली, फ्रांस और ब्रिटेन सहित अन्य देशों से भयावह तस्वीरें आना शुरू हो चुकी थीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कोविड-19 (कोरोना वायरस) के पीछे-पीछे ही चल रहा है। उस स्थिति में फौरी तौर पर संक्रमण को रोकने के लिए देश-दुनिया में घरवास (तालाबंदी या लॉकडाउन) ही एकमात्र विकल्प दिखा।

ऐसे में भारत में किसी परिवार के जिम्मेदार और संवेदनशील मुखिया की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महामारी के प्रकोप से देश को बचाने के लिए 14 अप्रैल को देश में 21 दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया। इस लॉकडाउन के कारण भारत सरकार को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त तैयारी का अवसर मिला। अगर यह लॉकडाउन घोषित न होता और सफल न रहता तो आज स्थितियां हमारी कल्पना से कहीं अधिक भयावह होतीं।

लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही जो व्यक्ति जहाँ था, वहीं रह गया। लाखों की संख्या में लोग अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों में फंस गए। लॉकडाउन के पहले चरण में लोगों ने धैर्य रखा। लेकिन, धीरे-धीरे लोगों के मन में बेचैनी आना शुरू हुई। काम-धंधा न होने से कुछ दिक्कतें भी शुरू होने लगीं। इधर, कोरोना संक्रमण भी लगातार बढ़ ही रहा था। परिस्थितियों को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद कर उनके परामर्श पर लॉकडाउन-2 की घोषणा की।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने सबसे वादा किया कि वे किसी को भूखा नहीं सोने देंगे, लेकिन देश में ऐसी भी ताकतें सक्रिय हैं, जो हर हाल में भारत को हजार घाव देने का सपना देखती हैं, उन्होंने इस कठिन समय को एक अवसर की तरह देखा और श्रमिक वर्ग के बीच अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया।

उन अफवाहों के कारण श्रमिक वर्ग और अन्य कामगार बस अड्डों एवं रेलवे स्टेशन पर एकत्र होने लगे। जब उन्हें यहाँ कोई साधन नहीं मिले तो वे पैदल ही सड़कों पर अपने घरों की ओर जाते दिखाई देने लगे। इन तस्वीरों को देख कर समूचा भारत समाज द्रवित हो गया और जिससे जो सहयोग बन पड़ा, उन्होंने इन श्रमिकों के लिए किया, जिन्हें प्रवासी मजदूर कहा गया।

भारतीय रेलवे ने साबित किया कि वो देश की जीवनरेखा है (साभार : The Economic Times)

जब विभिन्न राज्यों से श्रमिक एवं कामगार बंधु परिवार सहित अपने गाँव-घर जाने के लिए चल पड़े तो उनकी चिंता के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हुई। उन्हें घर तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश एवं आवश्यक फंड दिया गया। इसके साथ ही भारत सरकार ने श्रमिक विशेष ट्रेन चलाने का भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया। एक बार फिर भारतीय रेलवे ने साबित कर दिया कि वह सही मायनों में भारत की जीवनरेखा और भारत के ह्रदय की धड़कन है।

वरदान बनीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें 

मोदी सरकार मजदूरों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए देश में जिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने का फैसला लिया, उनमें मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया गया। हालाँकि प्रारंभ में किराये को लेकर कुछ गफलत हुई थी, जिसे सरकार ने दूर कर दिया। सरकार ने सिर्फ किराया ही माफ़ नहीं किया बल्कि ट्रेन में श्रमिकों के लिए भोजन-पानी का प्रबंध भी किया गया। मई में देश के अलग-अलग स्टेशनों से मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए श्रमिक एक्सप्रेस रवाना हुईं। जब देश में सभी प्रकार के यातायात साधन बंद थे तब ये श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेने लाखों मजदूरों के लिए वरदान साबित हुईं।

ट्रेन में यात्रियों को दी गईं विशेष सुविधाएं  

मजदूरों के लिए चलाई गई ट्रेनों में उनके स्वास्थ्य संबंधी सभी तैयारियां की गई थीं। श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के माध्यम से टिकट बुकिंग की प्रक्रिया चालू की। इस प्रक्रिया में अपना रजिस्ट्रेशन कराने के बाद मजदूर ट्रेन के रवाना होने से कुछ घंटे पूर्व स्टेशन पर पहुँचते। तब स्टेशन पर रेलवे विभाग के कर्मचारियों के द्वारा इन मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण कर एक-एक करके सभी को उनकी बोगियों में बैठा दिया जाता। देश भर से श्रमिकों द्वारा रेलवे एवं सरकार के प्रयासों की सराहना करने वाले वीडियो सामने आए हैं।

http://https://www.youtube.com/watch?v=J-WOXKZ_67s&feature=youtu.be

प्रस्तुत वीडियो में श्रमिकों से बातचीत से पता चलता है कि यह श्रमिक कई वर्षों से अहमदाबाद में निवासरत थे जो कि लॉकडाउन की वजह से यहीं फंस गए थे। ऐसे में भारतीय रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन उनके लिए अपने घर तक पहुँचने का माध्यम बन गयी।

मेडिकल चेकअप और भोजन की व्यवस्था

अहमदाबाद से फिरोजाबाद जा रहीं रीना ने बताया कि वह 20 वर्षों से अहमदाबाद में रहकर एक फैक्ट्री में मजदूरी करती थीं। उन्होंने अपने शहर फिरोजाबाद जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया। उन्हें घर से स्टेशन तक लाने के लिए बस की व्यवस्था भी की गयी थी। जब वे स्टेशन पर पहुंची तो यहाँ रेलवे द्वारा उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। उनके गंतव्य तक पहुंचने की पूरी व्यवस्था की गई।

इसके साथ ही रीना ने बताया कि रेलवे विभाग द्वारा उनके भोजन का भी पूरा ध्यान रखा गया। एक और यात्री ने बताया कि उसे घर से यहाँ तक लाने की व्यवस्था की गयी है। स्टेशन पर भी ट्रेन में बैठने से पहले स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और रास्ते के लिए भोजन भी दिया गया।

रेलवे विभाग द्वारा श्रमिक यात्रियों के मेडिकल चेकअप की व्यवस्था अहमदाबाद स्टेशन पर की गई थी। कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सभी यात्रियों को मेडिकल चेकअप के उपरांत ही ट्रेन में बिठाया जा रहा था।

फरीदापुर अपने गांव जा रहे दिनेश यादव ने बताया कि रेलवे विभाग के द्वारा अहमदाबाद स्टेशन पर उनके स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत भोजन के पैकेट प्रदान किए गए। रेलवे द्वारा उनके गंतव्य तक पहुंचने के लिए अन्य साधनों का भी प्रबंध किया गया। पहले डर लग रहा था लेकिन रेलवे और सरकार की व्यवस्था देखकर उनकी चिंता दूर हो गयी।

सभी यात्री रेलवे की व्यवस्थाओं से काफी संतुष्ट थे। जो भी श्रमिक एवं कामगार इन विशेष ट्रेनों में बैठा, वह बार-बार भारतीय रेलवे को धन्यवाद देता नज़र आया। जाहिर है, भारत सरकार के प्रयासों और रेलवे के सक्रियतापूर्ण और समर्पण के साथ किए गए कार्यों ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों की कठिनाइयों को आसान करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

(लेखक विश्व संवाद केंद्र, मध्यप्रदेश के कार्यकारी निदेशक हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)