यूपी में होने जा रही ई-विधान की शुरुआत, विधानसभा के कामकाज में आएगी बेहतरी

उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के पहले बजट सत्र से ई विधान लागू किया जाएगा। खास बात तो यह है कि विधायकों को जब उनकी टेबल पर लगे स्‍क्रीन पर सवाल एवं जवाब मिल जाएंगे तो उसे उनके द्वारा ऑनलाइन पढ़ा हुआ मान्‍य किया जाएगा। यदि किसी सवाल पर अनुपूरक प्रश्‍न पूछने की नौबत आती है तो इसकी सीमा अधिकतम दो प्रश्‍न तय की गई है।

अगले कुछ दिनों में उत्‍तर प्रदेश में एक बड़ा प्रयोग होने जा रहा है। 23 मई से यहां 18वीं विधानसभा का सत्र शुरू होगा जिसे अब डिजिटल किए जाने की तैयारी है। डिजिटल से आशय यह है कि सदन की कार्यवाही पेपरलेस होगी और विधायकों को उनकी मेज पर लगे एलईडी स्‍क्रीन पर सवालों के जवाब ऑनलाइन मिलेंगे। इस हाईटेक कवायद को ई-विधान कहा जा रहा है जो कि अब आधिकारिक रूप से आकार लेगा।

विधानसभा जैसे स्‍थान पर डिजिटली कार्य संस्‍कृति की स्‍थापना किए जाने को अब हम एक लंबी छलांग के रूप में देख सकते हैं। इसे मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की दूरदर्शिता भी कहें तो कोई हर्ज नहीं होगा। आखिर केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के साथ राज्‍यों को तो कंधे से कंधा मिलाकर चलना ही है। अन्‍य राज्‍यों का तो पता नहीं लेकिन उत्‍तर प्रदेश अब कई अर्थों में डबल इंजन की सरकार के प्रभाव को धरातल पर लाता हुआ साफ दिखाई देने लगा है। उप्र विधानसभा के अध्‍यक्ष सतीश महाना बता चुके हैं कि ई-विधान लागू करने वाला उत्‍तर प्रदेश भारत का तीसरा राज्‍य होगा।

अब परिदृश्‍य यह है कि उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के पहले बजट सत्र से ई विधान लागू किया जाएगा। खास बात तो यह है कि विधायकों को जब उनकी टेबल पर लगे स्‍क्रीन पर सवाल एवं जवाब मिल जाएंगे तो उसे उनके द्वारा ऑनलाइन पढ़ा हुआ मान्‍य किया जाएगा। यदि किसी सवाल पर अनुपूरक प्रश्‍न पूछने की नौबत आती है तो इसकी सीमा अधिकतम दो प्रश्‍न तय की गई है।

जहां तक बदलाव की बात है तो इस ई-विधान लागू करने के लिए सदन में बैठने के लिए 37 सीटें बढ़ाई गई हैं। इस संशोधन के बाद अब सदन में कुल 416  सीटें हो गई है। चूंकि सदन की सदस्य संख्या 403 है, लेकिन कुछ मंत्री गण ऐसे हैं जो कि उच्च सदन के सदस्य हैं। ऐसे में उनके बैठने के लिए 12 सीटें अतिरिक्त रूप से लगाई गई हैं। सदन में सीटों का आवंटन वरिष्ठता के आधार पर किया गया है।

गौर करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शासन के डिजिटलीकरण को लेकर लगातार प्रयास करते रहे हैं। वे कोरोना काल से भी पहले से यह चीजें करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को मकान, सब्सिडी आवंटन करना हो या पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना की किश्‍त जारी करना, प्रधानमंत्री मोदी यह काम बटन दबाकर, क्लिक करके वर्चुअल रूप से करते रहे हैं।

इसके परिपालन में उन्‍होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के प्रचलन को बढ़ाया और अब यह जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के बीच संवाद की एक आधिकारिक रूप से प्रचलित पद्धति बन चुकी है।

आपको याद होगा नोटबंदी के बाद से देश में डिजिटल भुगतान प्रणाली ने गति पकड़ी और आज बाजार में कई निजी, स्‍वदेशी ऑनलाइन पेमेंट ऐप सहित भीम एवं यूपीआई जैसे सरकारी ऐप भी हैं। आज देश की आधे से अधिक आबादी ऑनलाइन शॉपिंग, पेमेंट करती है और ये सारे लोग कहीं ना कहीं अप्रत्‍यक्ष रूप से देश के डिजिटली सशक्‍त होने में अपना योगदान देते हैं।

यूपी ही क्‍या, देश की सभी विधानसभाएं अब डिजिटल होना चाहिये। जो राज्‍य भाजपा शासित हैं वे भी और जो नहीं हैं वे भी। इस बात का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। यह तो देश की उन्‍नति का परिचायक है। अगले पखवाड़े यूपी में यह दृश्‍य मूर्त रूप लेने वाला है। यह दृश्‍य भी कम रोचक नहीं होगा जब हर विधायक अपनी निर्धारित सीट से ही प्रश्न, अनूपरक प्रश्न पूछेगा और मंत्री भी उनकी निर्धारित सीट से ही जवाब देंगे।

प्रश्न व उत्तर को पढ़ा हुआ मानकर कार्यवाही को आगे बढ़ाने का यह लाभ होगा कि अब अधिक से अधिक विधायकों के प्रश्न सदन में रखे जा सकेंगे। बजट सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण और एजेंडा भी ई-विधान पर ऑनलाइन मिलेगा। सभी विभागों को अगले सत्र से ई-विधान से जोड़ दिया जाएगा। सदन में पहले व दूसरे सत्र में प्रश्न, एजेंडे और उत्तर की हार्डकॉपी भी उपलब्ध कराई जाएगी।

तीसरे सत्र से सदन की कार्यवाही को पूरी तरह पेपर लैस किया जाएगा। इस में चार चांद लगाते हुए विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण फेसबुक और यूट्यूब चैनल्‍स पर कर दिया जाएगा। इस कवायद में एक और अहम बात रहेगी कि जो विधायक सदन में मौजूद रहेंगे केवल उन्‍हीं विधायकों का नोटिस स्‍वीकृत किया जाएगा।

ऐसे में जो विधायक नोटिस लगाकर सदन से गैर-हाजिर हो जाया करते थे, अब उन्‍हें स्‍वीकार्य नहीं किया जाएगा। इस क्रम में नवनिर्वाचित विधायकों को 20-21 मई को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे पहले सत्र को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संबोधित करेंगे।

21 मई को विधायकों को ई-विधान के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नेशनल ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत यह पूरा प्रोजेक्‍ट संचालित किया जा रहा है।  ई-विधान को राज्य सरकार के हर कार्यालय से जोड़ने का काम भी जारी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)