हिन्दू लड़कियों के ज़बरन निकाह ने खोली इमरान के ‘नए पाकिस्तान’ की पोल

इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का ओहदा सँभालते ही दुनिया को यह दिखाने की कोशिश शुरू कर दी कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले सबसे बड़े पैरोकार हैं। वे नए पाकिस्तान का नारा देने लगे। सालों से जहाँ की सत्ता मिलिट्री और आईएसआई की हाथों रही हो, उस सरकार के वादों और दावों पर भरोसा तो कतई नहीं किया जा सकता। ताजा मामले में दोनों लड़कियों के साथ हुई ज्यादती ने इमरान के नए पाकिस्तान की पोल खोल दी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के सिंध प्रोविंस में दो हिन्दू लड़कियों को ज़बर्दस्ती अगवा किया गया और उनका निकाह करवाया गया। निकाह से पहले 13 और 15 वर्ष की इन दोनों लड़कियों का धर्मान्तरण करवाया गया। यह खबर पाकिस्तान के अख़बारों में भी छपी और दुनिया भर में इसकी आलोचना हुई। ये घटना खबर इसलिए ख़बर बन पाई क्योंकि समय रहते इस हरकत का खुलासा हो गया, नहीं तो हमेशा की तरह यह पाकिस्तान का “अंदरूनी” मामला बनकर रह जाता।

शुरुआत में तो पाकिस्तान ने इस खबर को दबाने की कोशिश की लेकिन मामला हद से आगे बढ़ते देखकर सरकार ने घटना के जांच के आदेश दे दिए। पाकिस्तान में हिन्दू दूसरा सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं, जिनकी आबादी कम से कम 75 लाख है, जिसमें सबसे ज्यादा हिन्दू पाकिस्तान के सिंध प्रान्त बसे हुए हैं। पाकिस्तान के प्रेस के मुताबिक ही सिंध प्रान्त में कम से कम 25 ज़बरिया निकाह के मामले पेश होते हैं। 

इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का ओहदा सँभालते ही दुनिया को यह दिखाने की कोशिश शुरू कर दी कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले सबसे बड़े पैरोकार हैं। वे नए पाकिस्तान का नारा देने लगे। सालों से जहाँ की सत्ता मिलिट्री और आईएसआई की हाथों रही हो, उस सरकार के वादों और दावों पर भरोसा तो कतई नहीं किया जा सकता। ताजा मामले में दोनों लड़कियों के साथ हुई ज्यादती ने इमरान के नए पाकिस्तान की पोल खोल दी है। 

पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, जहाँ अल्पसंख्यकों का सबसे ज्यादा शोषण होता है। वहां हिन्दू परिवार सुरक्षित रहें। पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थति तो बदतर है ही, साथ ही सिखों, ईसाईयों सहित अहमदिया समुदाय तथा हज़ारा समुदाय के लोग भी कम असुरक्षित नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के पेशावर इलाके में कई बड़े सिख नेताओं की दिन दहाड़े हत्या की गई। वैसे सिख जो कई सदी से पाकिस्तान में रह रहे थे, देश छोड़ कर या तो भारत आने को मजबूर हैं या पश्चिमी देशों में जाकर शरण ले रहे हैं।

करतारपुर कॉरिडोर के ज़रिये सिखों को पाक स्थित गुरूद्वारे के दर्शन-दीदार का मौका देने मुहैया कराना दोनों देशों के लिए सराहनीय कदम है लेकिन भारत को यहाँ भी सावधान रहने की जरूरत है, खासकर उन तत्वों से जो धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर खालिस्तान बनाने की साजिश रच रहे हैं।

पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के साथ हो रही ज्यादती को दशकों से नकारता रहा है लेकिन सोशल मीडिया की वजह से पाकिस्तान की खबरें लगातार बहार निकल कर आ रही हैं। हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की तादाद 20 फीसद थी जो लगातार कम होती जा रही है।

इस खबर के वायरल होते ही भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान स्थित भारतीय राजदूत से मामले पर रिपोर्ट मांगी लेकिन पाकिस्तान ने मामले की गंभीरता को समझने के बजाय भारत से ही प्रश्न करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान का वही रटा-रटाया रवैया था कि यह पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है लेकिन इतना कुछ कह देने भर से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधर तो नहीं जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)