राष्ट्र-निर्माण, जनकल्याण और युगांतरकारी निर्णयों के पर्याय हैं मोदी सरकार के नौ साल

2014 से लेकर 2023 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के मार्ग में कई चुनौतियां आईं लेकिन मोदी सरकार अपने लक्ष्‍य, मिशन, विजन, कर्म और विकास-यज्ञ से डिगी नहीं। उम्‍मीद है अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार को जनता का पूरा साथ मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार को नौ वर्ष पूरे हो चुके हैं। 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा प्रचंड बहुमत से विजयी हुई थी और मोदी सरकार की दूसरी पारी का आरंभ हुआ था। इन दोनों भागों को मिलाकर भाजपा सरकार के जो 9 साल होते हैं, वो उल्‍लेखनीय हैं।

उल्‍लेखनीय इस अर्थ में हैं कि इस सरकार को ना केवल देश को आगे बढ़ाना था, बल्कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की खामियों को भी सुधारना था। नरेंद्र मोदी के कंधों पर यह समूचा दायित्‍व था और कहना न होगा कि उन्‍होंने बखूबी इसे पूरा कर दिखाया। उन्‍होंने यूपीए सरकार के ख़राब शासन से उपजी समस्याओं को क्रमिक रूप से खत्‍म किया और अपनी लकीर बड़ी की। विपक्ष की नकारात्मक राजनीति से निपटना हो या धरातल की चुनौतियों से, सभी क्षेत्रों में मोदी सरकार एक मजबूत, स्थिर, सशक्‍त एवं दूरदर्शी सरकार बनकर उभरी।

बतौर प्रधानमंत्री मोदी को कुल 9 वर्ष पूरे चुके हैं। एक राष्‍ट्राध्‍यक्ष के रूप में उनकी करीब एक दशक की यह यात्रा बहुआयामी और बहुअर्थी रही है। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे बिरले नेता हुए हैं जिनके पास एक दूर दृष्टि रही। अर्थात् ऐसे नेता जो केवल भाषणों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्‍होंने नवाचार किया और नई लीक का निर्माण किया। कहा जा सकता है कि मोदी भी इसी क्रम में आते हैं।

मोदी को हम एक युगपत नेता की संज्ञा दे सकते हैं। अर्थात् ऐसे नेता जिनके प्रधानमंत्री बनने से पहले और बाद के भारत में जमीन आसमान का अंतर आया है। सत्‍ता में तो वे और अधिक पहले से रहे हैं। गुजरात के मुख्‍यमंत्री के रूप में उन्‍होंने 2001 में दायित्‍व संभाला था। इसके बाद वे लगातार तीन बार मुख्‍यमंत्री चुने गए और जब प्रधानमंत्री बने तब भी उनके दो कार्यकाल लगातार हुए हैं।

चूंकि अब केंद्र में उन्‍हें 9 साल पूरे हो रहे हैं, ऐसे में एक आम नागरिक के तौर पर मन में इस जिज्ञासा का उठना स्‍वाभाविक है कि आखिर राष्‍ट्र-निर्माण की दिशा में मोदी सरकार ने इन नौ सालों में क्या कुछ किया है ? नरेंद्र मोदी ऐसी शख्सियत हैं जिनके हिस्‍से में सदा चुनौतियां ही आईं हैं। जब मुख्‍यमंत्री के तौर पर मोदी ने गुजरात संभाला था तब 2001 में राज्‍य विनाशकारी भूकंप की विभीषिका झेल रहा था।

उजड़े हुए राज्‍य को संवारने का बीड़ा उठाकर मोदी ने अपनी अलग ही पहचान बना ली। इसके बाद आगामी दोनों कार्यकाल में उन्‍होंने गुजरात में निवेश सम्‍मेलन सफलतापूर्वक करवाए और गुजरात में व्‍यापक विकास कार्य करवाकर जल्‍द ही राज्‍य को देश के उन्‍नत, विकसित एवं प्रगतिशील राज्‍यों की कतार में ला खड़ा किया।

ठीक ऐसा ही प्रधानमंत्रित्‍व कार्यकाल में भी हुआ। जब 2014 में उन्‍होंने पद संभाला था तब देश में संप्रग सरकार के कार्यकाल की कारगुजारियों के काले निशान साफ देखे जा सकते थे। जनता आतंकी हमलों की दहशत से त्रस्‍त थी। देश आर्थिक घोटालों से त्रस्‍त था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के ठीक पहले तक मनमोहन सिंह की सरकार में घोटालों का अंबार लग गया था। कॉमनवेल्‍थ घोटाला, टेलीकॉम घोटाला जो कि टूजी स्‍पेकट्रम घोटाले के नाम से जाना जाता है, कोल घोटाला जैसे कई घोटालों ने देश को खोखला कर दिया था।

देश के महानगरों के आबादी भरे इलाकों में जब-तब होने वाले आतंकी हमलों से देश सिहर जाता था। कांग्रेस की सरकार के इस लचर कार्यकाल में देश की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। इस पर भी केंद्र सरकार का रिमोट कंट्रोल किसी एक परिवार के हाथ में होने से देश की तो पूरी कमर ही टूट गई थी।

ऐसे में प्रधानमंत्री बनते ही मोदी के सामने देश को इस बदहाली से उबारने की चुनौती थी। शपथ ग्रहण करने के बाद तुरंत बाद ही मोदी अपने देश निर्माण व सुधार के मिशन में जुट गए। संसद में पहली बार प्रवेश करते ही उन्‍होंने जिस प्रकार झुककर, सांष्‍टांग लेटकर सदन को प्रणाम किया था, उससे ही देश को यह संकेत मिल गया कि देश अब सही हाथों में है।

केंद्र की सत्ता में आते ही मोदी ने जनधन योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन के नए युग का आगाज किया। गांधी जयंती से उन्‍होंने देश में स्‍वच्‍छता मिशन के रूप में एक नए आंदोलन का सूत्रपात किया। बीते 9 वर्षों में यह एक विराट जन आंदोलन व लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। देश भर के शहर, गांव, कस्‍बे अब स्‍वयं को साफ रखने की होड़ में हैं और इसी बहाने देश स्‍वच्‍छ हो रहा है। हर साल स्‍वच्‍छता के पुरस्‍कार वितरित किए जाने का ध्‍येय भी इस क्रम को, इस लय को बनाए रखना है।

इसी दौरान सरकार ने देश में डिजिटल क्रांति का सूत्रपात किया। स्‍टार्ट अप इंडिया के तहत देश में स्‍वरोजगार के अवसर खुले और मुद्रा योजना के तहत लोन मिलना शुरू हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों लोग स्‍वयं के घर का सपना साकार कर सके जिसमें उन्‍हें ढाई लाख रुपए की मदद भी मिली।

वर्ष 2016 में जब उरी आतंकी हमला हुआ तब देश भर में इसे लेकर गुस्‍सा था। मोदी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और कुशल व त्‍वरित कार्यशैली के चलते भारतीय सेना ने सर्जिकल स्‍ट्राइक जैसे साहसिक व गौरवशाली ऑपरेशन को साकार किया।

इस घटना के बाद दुनिया में भारत की छवि में बड़ा बदलाव आया। इसी साल प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी जैसा बड़ा आर्थिक सुधार करके सबको चौंका दिया और काले धन के माफियाओं की कमर तोड़ दी। इसके पश्चात् 2017 में जीएसटी को लागू करके सरकार ने एक बड़े आर्थिक सुधार को साकार करने का काम किया।

2018 में मोदी सरकार ने तीन तलाक जैसी  कुप्रथा के खिलाफ कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को सम्मान से जीने का अधिकार दिया। मोदी सरकार ने ही देश में आधार कार्ड व पैन कार्ड को लिंक करने का अभियान शुरू जिससे हर नागरिक की पहचान सुनिश्चित हो गई। मोबाइल की फर्जी सिम, फर्जी बैंक खातों पर इससे अंकुश लगाने में सफलता मिली।

वर्ष 2019 की शुरुआत में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद देश में 45 जवानों के बलिदान को लेकर आक्रोश था और प्रतिशोध की प्रबल उत्‍कंठा थी। सरकार के नेतृत्‍व में भारतीय वायुसेना ने 12 दिन बाद ही बालाकोट एयर स्‍ट्राइक कर आतंकी ठिकाने तबाह कर दिये और जवानों की शहादत का बदला ले लिया।

2019 में पुनः सत्ता में वापस आने के बाद मोदी सरकार ने जम्मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 का उन्‍मूलन करने का ऐतिहासिक काम किया। 2020 में अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर निर्माण का अदालती फैसला आया। सरकार ने अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर के निमार्ण कार्य का भूमिपूजन करके यह साबित कर दिया कि उनके लिए जन जन के आराध्‍य प्रभु श्री राम का नाम महज चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि उनकी आराधना मुख्‍य ध्‍येय है। आज मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

वर्ष 2020 फिर से बड़ी चुनौती लेकर आया जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा दिया। खतरे को भांपते हुए मोदी ने देशव्‍यापी लॉकडाउन लगाया और एक बड़ी आबादी को घातक वायरस की चपेट में आने से बचा लिया। हालांकि विपक्षी दलों ने इस दौरान भी उन्‍हें बहुत परेशान करने की कोशिश की, लेकिन उन्‍होंने इन सब पर ध्यान देने के बजाय कोरोना महामारी से निपटने और जनता का कल्याण सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखी।

संक्रमण का असर कम होने पर पाबंदियों के साथ देश में चरणबद्ध रूप से अनलॉक की शुरुआत हुई और अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर आई। जब लॉकडाउन लगा था तब केंद्र सरकार ने जनता के लिए कई कल्‍याणकारी योजनाएं चलाईं।

जन धन खातों में हर माह पैसे जमा करवाना, पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खातों में 2 हजार रुपए की किश्‍त जमा करवाना, स्‍कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई एवं जनरल प्रमोशन देना, ईपीएफओ द्वारा कर्मचारियों को 75 फीसदी अग्रिम राशि का भुगतान किया जाना व आयकर सहित अन्‍य मामलों में समय-सीमा बढ़ाया जाना इनमें मुख्‍य रूप से उल्‍लेखनीय हैं। सरकार ने एक से अधिक बार आर्थिक पैकेज की घोषणा की और गरीब लोगों के लिए अन्‍नपूर्णा योजना के तहत मुफ्त राशन, उज्‍ज्‍वला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर प्रदान किए गए।

जनवरी 2021 में देश ने स्‍वदेशी वैक्‍सीन के साथ कोरोना महामारी से निपटने की तैयारी शुरू कर दी। कोरोना की वैक्‍सीन को लेकर भी विपक्ष द्वारा भ्रम का माहौल बनाया गया लेकिन लोगों ने इसपर अधिक ध्यान नहीं दिया तथा देश में टीकाकरण अभियान ने गति पकड़ी तथा आज हमारा देश 200 करोड़ से अधिक डोज देने वाला दुनिया का एकमात्र राष्‍ट्र बन चुका है।

यह बात अलग है कि विपक्षी दलों ने कोरोना काल के पहले और बाद भी सरकार के अच्‍छे कार्यों के विषय में भी दुष्‍प्रचार किया और जनता को गुमराह करने की कोशिश की। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश भर में विपक्षी दलों ने हिंसा व नफरत का माहौल बनाया। शाहीन बाग जैसे कुत्सित उदाहरण सामने आए। दिल्ली के दंगे और बंगाल की हिंसा को कौन भूल सकता है। 26 जनवरी, 2021 का दिन देश के लिए काला दिन था जब तथाकथित किसान आंदेालन के नाम पर प्रदर्शनकारियों व असामाजिक तत्‍वों ने लाल किले पर धावा बोल दिया था। इन सब घटनाओं से यह तो स्‍पष्‍ट संकेत मिलता है कि देश में सब कुछ अच्‍छा चलने से विपक्षी दलों सहित कुछ ख़ास वैचारिक गिरोहों को बहुत तकलीफ हो रही है।

देश के खिलाफ सारी साजिशें विदेशों से तय होने लगी हैं। टूलकिट एक बड़ा हथकंडा बनकर सामने आया है। विपक्षी दलों के नेता, देश विरोधी मानसिकता वाले पत्रकार और फिल्‍म अभिनेता भी इस दुष्‍चक्र का हिस्‍सा बने हुए हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने व्‍यर्थ के विवादों पर ध्‍यान न देते हुए अपना विकास रथ जारी रखा। नतीजा आज सामने है कि आज भारत दुनिया के शक्तिशाली व उन्‍नत राष्‍ट्रों में शुमार है।

निश्चित ही 2014 से लेकर 2023 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्ग में कई चुनौतियां आईं लेकिन केंद्र की मोदी सरकार अपने लक्ष्‍य, मिशन, विजन, कर्म और विकास यज्ञ से डिगी नहीं है। उम्‍मीद है अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार को जनता का पूरा साथ मिलेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)