अंतर्राष्ट्रीय सर्वे में आया सामने, मोदी सरकार है दुनिया की सबसे भरोसेमंद सरकार

ज़रा 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले के हालात पर नज़र दौड़ाएं तो हम देखते हैं कि संप्रग सरकार के घोटालों, अहंकार और ऊर्जा व गति से हीन कार्यप्रणाली के कारण देश की जनता में उस सरकार के प्रति एक गहरा अविश्वास भर गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो लोक और तंत्र के बीच अविश्वास की खाई बेहद गहरी हो चुकी थी। इस अविश्वास के अन्धकार में जनता को मोदी के रूप में उम्मीद की किरण दिखाई दी और मोदी पूर्ण बहुमत प्राप्त कर जनाकांक्षाओं को बड़ा भार लिए प्रधानमंत्री बने। फ़ोर्ब्स में छपी रिपोर्ट से यह साफ़ होता है कि मोदी सरकार लोक और तंत्र के बीच की उस अविश्वास की खाई को अपने सुशासन से पाटने में कामयाब हुई है।

हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका में छपे ओईसीडी के सर्वे में यह सामने आया है कि मोदी सरकार दुनिया के सबसे भरोसेमंद सरकार है। इस सरकार पर देश के 73 प्रतिशत लोग विश्वास करते हैं। ये तथ्य न सिर्फ विपक्ष की बोलती बंद करते हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट करते हैं कि नरेन्द्र मोदी की सरकार की जनस्वीकार्यता आज उससे भी अधिक हो गयी है, जितनी मोदी के प्रधानमंत्री बनने के समय थी। इस आंकड़े में भारत ने विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र यानी अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है, जिससे यह भी साबित होता है कि भारत में मोदी सरकार के दौर में लोकतंत्र को काफी मजबूती मिली है।

ज़रा 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले के हालात पर नज़र दौड़ाएं तो हम देखते हैं कि संप्रग सरकार के घोटालों, अहंकार और ऊर्जा व गति से हीन कार्यप्रणाली के कारण देश की जनता में उस सरकार के प्रति एक गहरा अविश्वास भर गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो लोक और तंत्र के बीच अविश्वास की खाई बेहद गहरी हो चुकी थी। इस अविश्वास के अन्धकार में जनता को मोदी के रूप में उम्मीद की किरण दिखाई दी और मोदी पूर्ण बहुमत प्राप्त कर जनाकांक्षाओं को बड़ा भार लिए प्रधानमंत्री बने।

आज फ़ोर्ब्स में छपी उक्त रिपोर्ट से यह साफ़ होता है कि मोदी सरकार लोक और तंत्र के बीच की उस अविश्वास की खाई को अपने सुशासन से पाटने में कामयाब हुई है। यही कारण है कि आज भारत के लोग अपनी सरकार पर इतना अधिक भरोसा करते हैं। मोदी की छवि वैसे ही वैश्विक तौर पर एक बेहद ऊर्जावान प्रधानमंत्री और नेता के तौर पर देखी जाती है। इस रिपोर्ट के जरिये मोदी सरकार के प्रति लोगों के भरोसे में जो इज़ाफा हुआ है, वह भी स्पष्ट हो गया है।

ज़ाहिर है कि स्थिति अब पहले जैसी नही रही। सूचना संसाधनों की उपलब्धता के जरिये जनता सरकार की नीतियों का बाखूबी आंकलन करने में समर्थ है और जनमत इसी आधार पर बनता है, यही लोकतंत्र की नीव को और मजबूत बनाता है। हालांकि कुछ अंधविरोधियों द्वारा देश में लगातार भाजपा के विरोध में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, नकली आरोप गढ़े जा रहे हैं।  ऐसे में यह रिपोर्ट न सिर्फ देश के असल मिजाज़ को जाहिर करती है, बल्कि ये भाजपा को इस भरोसे को बनाये रखने का दायित्व भी देती है। इस रिपोर्ट ने भाजपा सरकार का आँख मूंदकर विरोध करने में लगे विपक्ष को भी आईना दिखाने का काम किया है।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)