14 जुलाई को इतिहास रचेगा भारत, इसरो का चंद्रयान-3 होगा प्रक्षेपित

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ कहते हैं कि हमने चंद्रयान-3 के लिए फेलियर बेस्ड एप्रोच डिजाइन को अपनाया है। मिशन की सफलता को बढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और लैंडिंग अनुक्रम में संशोधन किए गए हैं। फेलियर बेस्ड एप्रोच डिजाइन में संभावित विफलताओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है और उन्‍हें कम करने के लिए उपाय किए जाते हैं।

आगामी 14 जुलाई को भारत एक नया इतिहास रचने जा रहा है। इस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का महत्‍वाकांक्षी अभियान चंद्रयान 3 प्रक्षेपित किया जाएगा। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में उपलब्धियों का नया अध्‍याय लिखने की दिशा में कदम बढ़ा देगा। चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।

यह अभियान देश के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण इसलिए भी है क्‍योंकि चंद्रयान 2 की आंशिक असफलता के बाद हर भारतवासी ऐसे एक पूर्णतः सफल अभियान की आशा से भरा था। इसके चलते अब चंद्रयान 3 से उम्‍मीदें बहुत बढ़ गईं हैं। अब इस मिशन पर पूरे विश्‍व की निगाहें हैं। पूरे अभियान को सफल बनाने के लिए इसरो ने विफलता आधारित दृष्टिकोण का विकल्प चुना है ताकि कोई गड़बड़ी होने के बावजूद भी रोवर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ कहते हैं कि हमने चंद्रयान-3 के लिए फेलियर बेस्ड एप्रोच डिजाइन को अपनाया है। मिशन की सफलता को बढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और लैंडिंग अनुक्रम में संशोधन किए गए हैं। फेलियर बेस्ड एप्रोच डिजाइन में संभावित विफलताओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है और उन्‍हें कम करने के लिए उपाय किए जाते हैं।

इस दृष्टिकोण को अपनाकर इसरो ने अभियान में कुछ सुधार किए है। यह पद्धति बहुत समय लेती है। इसकी तैयारी के लिए कई स्‍तरों पर एक वृहद मूल्यांकन करना होता है। मिशन को सफल बनाने के लिए तकनीकी बदलाव किए गए हैं।

2019 में जब चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग स्पॉट की ओर बढ़ रहा था, तब क्या गलत हुआ। इस पर भी गौर किया गया है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को बढ़ाकर 2.5 किमी कर दिया है। साथ ही ईंधन भी अधिक है। यहां यह जानकारी उल्‍लेखनीय है कि चंद्रयान-3 में रोवर है, जो चंद्रयान-2 में नहीं था। चंद्रयान-3 स्पेक्ट्रो पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ नाम का एक पेलोड ले जाएगा, जो चांद की सतह पर अध्ययन करेगा। इसके अलावा चंद्रयान-3 का इसरो के साथ संपर्क नहीं टूटेगा।

चंद्रयान 3 गत मिशन चंद्रयान 2 से कई अर्थों में भिन्‍न एवं उन्‍नत है। चंद्रयान 2 में 5 प्रोपल्सन इंजन थे और प्रत्येक की पावर जनरेट करने की क्षमता 900 पीपीएस थी, लेकिन अब चंद्रयान 3 में कुल चार इंजन हैं। प्रत्येक इंजन की पावर जनरेट करने की क्षमता 500 पीपीएस है। टैंक की क्षमता भी 390 किलोग्राम से बढ़ाकर 470 किलोग्राम कर दी गई है।

टैंक में लिक्विड हाइड्रोजन ईंधन और लिक्विड ऑक्सीजन होगी। चंद्रयान 3 का लैब और इंटीग्रेटेड फील्ड में टेस्ट हो चुका है। फील्ड ट्रायल में चंद्रमा पर लैंडिंग के सिनेरियो को तैयार किया गया था। इसे एक ऊंची क्रेन के नीचे उतारकर अहमदाबाद, बेंगलुरु और श्रीहरिकोटा में परीक्षण किया गया था।

यह अभियान देश के लिए इस मायने में भी महत्‍वपूर्ण है कि चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण एवं विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग की गवाह पूरी दुनिया बनी थी। यह बात चार साल पुरानी है। तब से लेकर अब तक इन बीते चार वर्षों में वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत करके फिर से मिशन को उसी मुकाम पर ला खड़ा किया है जहां से यह अधूरा छूट गया था। किसी भी मिशन की सफलता या असफलता हमारे हाथ में नहीं होती लेकिन जो हमारे हाथ में है वह है हमारा दृष्टिकोण, भाव, सामंजस्‍य एवं दूरदर्शिता।

इन बातों का उल्‍लेख यहां करना इसलिए भी प्रासंगिक है क्‍योंकि 2019 में जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था तब इसरो के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष के सिवन बहुत भावुक हो गए थे। वर्षों के परिश्रम को इस प्रकार से मिनटों में नष्‍ट होते देखने पर मायूस होना स्‍वाभाविक है। उस समय भी यही हुआ। सिवन भावुक होकर रो पड़े थे।

लेकिन इस दृश्‍य के साथ ही देश एक और दृश्‍य का साक्षी बना था। समीप खड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें गले लगाया एवं ढांढस बंधाया। उस समय वे एक अभिभावक की भूमिका में प्रतीत हुए जिनके कंधे पर सर रखकर सिवन की रुलाई फूट पड़ी थी। यह एक बहुत ही भावुक क्षण था और इस क्षण में घटी अनुभूति की तीव्रता को पूरे देश ने महसूस किया। इससे पहले ऐसे दृश्‍य देश में कभी नहीं देखे गए थे।

वैसे प्रधानमंत्री का तत्कालीन इसरो प्रमुख को हिम्मत देना केवल एक दृश्य भर नहीं था, अपितु वर्तमान सरकार में इसरो को हर तरह से पूरा सहयोग भी मिला है। चंद्रयान तो महज एक मिशन है, इसरो के अन्‍य सभी मिशन के लिए उम्‍मीदें भी बढ़ी हैं और बजट भी। इसके चलते इसरो के वैज्ञानिकों का उत्‍साह भी बढ़ा है। निश्‍चित ही, हमारे वैज्ञानिकों की मेधा और शक्ति का प्रतीक चंद्रयान-3 सवा सौ करोड़ देशवासियों की शुभकामनाओं के साथ अपने सभी लक्ष्‍यों में सफल होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)