योगी सरकार के इन निर्णयों से किसानों के आएंगे अच्छे दिन !

उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित योगी सरकार की पहली बहुप्रतीक्षित कैबिनेट बैठक मंगलवार को हुई। जैसा कि  अनुमान लगाया जा रहा था कि योगी सरकार अपने लोककल्याण संकल्प पत्र में किसानों की ऋण माफ़ी के वादे को पूरा करेगी, वैसा ही हुआ। जाहिर है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बार–बार इस बात पर जोर दे रहे थे कि अगर यूपी में भाजपा सत्ता में आती है, तो सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों का ऋण माफ़ कर दिया जायेगा। यही कारण है कि सरकार गठन के एक पखवाड़े बाद कैबिनेट की पहली बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलाई और किसानों को कर्ज माफ़ी के जरिये बड़ी राहत देने की घोषणा की। अपने वायदे के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के दो करोड़ से ज्यादा लघु किसानों के कुल 36,359 करोड़ का ऋण माफ़ किया है। इससे एक लाख तक का फसल ऋण लेने वाले किसानों को बड़ी राहत मिली है। कर्ज माफ़ी को लेकर जब चर्चा शुरू हुई, तो सबके सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा था कि पैसे कहाँ से आयेंगें ? क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य सरकारें अपने संसाधन से किसानों का कर्ज माफ़ कर सकती हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसमें कोई मदद नहीं करेगी। इसलिए योगी सरकार ने किसान बांड जारी कर आवश्यक धनराशि जुटाने का फैसला लिया है। कैबिनेट बैठक में किसानों की कर्ज माफ़ी के साथ–साथ कई और अहम फैसलें हुए, जिसमें अवैध खनन पर सख्ती करने,आलू किसानों के लिए समिति का गठन करने, उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मंत्रियों का समूह गठित करने, गेहूं की खरीदारी के लिए 80 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित करने, जैसे फैसले शामिल रहे।

योगी सरकार की पहली बैठक में जो फैसले लिए गयें हैं, उनसे स्पष्ट होता है कि सरकार के मुख्य एजेंडे में गाँव, गरीब और किसान हैं। सरकार अगर इसी मंशा के साथ किसानों को सशक्त बनाने का दिशा में कदम उठती गई, तो जो किसान घाटे के कारण खेती छोड़ने और कर्ज के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हैं, उनकी स्थिति में सुधार आएगा। सरकार के एक के बाद एक किसान हितैषी फैसलों से निश्चित तौर पर यूपी में किसानों को नई आस जगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  इस बात को बखूबी जानतें हैं कि अगर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना है, तो किसानों को निराशा के माहौल से निकलना होगा। किसानों को सशक्त बनाना होगा।

गौर करें तो इन फैसलों में कर्ज माफ़ी के अतिरिक्त किसानों को समृद्ध व सशक्त बनाने के लिए दो और महत्वपूर्ण फैसलें लिए गए हैं। पहले पांच हजार गेहूं क्रय केंद्र बनेगें, जिनके जरिये सरकार ने 80 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। किसानों को और राहत देते हुए सरकार ने दस रूपये क्विंटल ढुलाई व लदाई का पैसा भी स्वंय वहन करने की घोषणा की है। खरीदी में पारदर्शिता पर भी सरकार ने जोर दिया है। इसके लिए क्रय-केंद्र आधार कार्ड के माध्यम से किसानों से गेहूं खरीदी करेंगे तथा आनाज का जो पैसा होगा, वह सीधे किसानों के बैंक खातें में चली भेजा जाएगा। योगी सरकार के इस फैसले को समग्रता से समझें तो इसके कई लाभ हैं।

दरअसल अबसे पहले क्रय केन्द्रों की कमी व सही नीति न होने के कारण यूपी सरकार महज पांच से आठ लाख टन ही आनाज किसानों से खरीद पाती थी। किसान, क्रय-केंद्र पर अपने आनाज लेकर जाता था, तो उसे खुद ही सारे खर्च वहन करते पड़ते थे। स्थिति कितनी बदतर थी, इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि किसान क्रय केन्दों पर अपने आनाज को देने से ठगा हुआ महसूस करते थे। समय से भुगतान न होने, आनाज के तौल पर मनमाने तरीके से कटौती करने जैसी समस्याओं से किसान त्रस्त आ चुका था। ऊपर से बिचौलियों का बोलबाला रहता था, जिससे वह औने–पौने दाम में अपने आनाज को व्यापारियों के हाथों बेचने को मजबूर था। योगी सरकार के इस फैसलें ने बिचौलियों की भूमिका को समाप्त कर दिया है, जिसका लाभ किसानों  को मिलना तय है।

दूसरे अहम फैसले की बात करें, तो उत्तर प्रदेश में पूरब से पश्चिम तक हर किसान आलू की खेती करता है, जिससे आलू की पैदावार इतनी हो जाती है कि किसान को लागत मूल्य भी नसीब नहीं होती। कोल्डस्टोरेज की कमी के कारण आलू सड़ने लगते हैं, जिसके चलते किसान आलू को कम दाम में बेचने को मजबूर हो जाता है। सरकार ने किसानों की इस पीड़ा को समझते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। हालाँकि अभी यह कमेटी किस तरह से काम करेगी, आलू किसानों को किस प्रकार से लाभ की दिशा में ले जाएगी, इसको स्पष्ट नहीं किया गया है। लेकिन, योगी सरकार की पहली बैठक में जो फैसले लिए गयें हैं, उनसे स्पष्ट होता है कि सरकार के मुख्य एजेंडे में गाँव, गरीब और किसान हैं। सरकार अगर इसी मंशा के साथ किसानों को सशक्त बनाने का दिशा में कदम उठती गई, तो जो किसान घाटे के कारण खेती छोड़ने और कर्ज के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हैं, उनकी स्थिति में सुधार आएगा। सरकार के एक के बाद एक किसान हितैषी फैसलों से निश्चित तौर पर यूपी में किसानों को नई आस जगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  इस बात को बखूबी जानतें हैं कि अगर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना है, तो किसानों को निराशा के माहौल से निकलना होगा। किसानों को सशक्त बनाना होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)