‘सशक्त नारी, समर्थ समाज’ के पथ पर अग्रसर योगी सरकार

किसी भी समाज की श्रेष्ठता और उपलब्धियों का मूल्यांकन करने का सबसे उपयुक्त आधार समाज में महिलाओं की स्थिति से आंका जा सकता है। महिलाएं न केवल समाज की रीढ़ होती हैं बल्कि राष्ट्र की संस्कृति का मानदंड भी होती हैं। राष्ट्र विकास और उन्नति के पथ पर अग्रसर रहे इसके लिए महिलाओं की भागीदारी अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण होती है क्योंकि उनकी भागीदारी के अभाव में मानवता का विकास ही अपूर्ण है। देश की आधी आबादी की भागीदारी सुनिश्चित हो और महिलाएं प्रोत्साहित हों, इसलिए वर्तमान में केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा लगातार महत्वपूर्ण पहल की जा रही हैं। स्वावलंबन, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण से लेकर वित्तीय सहायता तक प्रदान करने का काम हो रहा है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर तथा विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनकर नए भारत के निर्माण में सहभागी बन सकें।

वर्तमान में कोरोना महामारी ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक संकट के साथ-साथ सम्पूर्ण मानवता के अस्तित्व को संकट में डाल दिया  है। इसने न केवल गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक विषमता को जन्म दिया है बल्कि सरकारों को आधारभूत संरचनात्मक ढांचे में व्यापक सुधार और परिवर्तन करने पर भी विवश किया है।

सरकारें समय की आवश्यकता को केंद्र में रखकर नीतियों, कल्याणकारी योजनाओं, आर्थिक नियोजन पर बल भी दे रही हैं। जहाँ सरकार के समक्ष इस वैश्विक महामारी ने चुनौती उत्पन्न की है, वहीं सरकारें इन चुनौतियों को अवसरों  में बदलने का कार्य भी कर रही हैं।

गौरतलब है कि समाज के विकास की प्रक्रिया में देश की आधी आबादी की महती भूमिका होती है। नारी की महत्ता को केंद्र में रखकर उन्हें सशक्त बनाने हेतु लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली के मूलभूत ढांचे के अंतर्गत कानून, विकासात्मक नीतियों का निर्माण, विभिन्न योजनायें, कार्यक्रम जैसी पहले की जाती रही हैं। इसी सन्दर्भ में यदि हम वर्तमान संकट के समय महिलाओं के परिप्रेक्ष्य में सरकार की योजनाओं, नीतिओं, कार्यक्रमों की बात करे तो केंद्र तथा राज्य सरकारों के द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं।

आज महिलाएं कोरोना की नई योद्धा के रूप में अपना योगदान कर रही हैं। जहाँ एक तरफ महामारी से प्रवासी श्रमिक तथा स्थानीय क्षेत्रों के लोग बहुत व्यापक रूप से बेरोजगारी, गरीबी के शिकार हो रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश राज्य की बात करें तो योगी सरकार ने इस गंभीर समस्या को अवसर के रूप में परिवर्तित करने का काम किया है।

स्वावलंबी और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश  के निर्माण के लिए योगी सरकार द्वारा एमएसएमई तथा औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के सम्बन्ध में नीतियों में संशोधन के लिए कार्य किया जा रहा है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से हर हाथ को काम हर घर को रोजगार के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान करने के लिए यूपी सरकार दृढ़ संकल्पित नजर आ रही है।

बैंकिंग कॉरसपोंडेंट सखी योजना (साभार : sscbankgk)

बैंकिंग कॉरसपोंडेंट सखी योजना के तहत 58000 स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की घोषणा की गयी। इस योजना से ग्रामीण महिलाएं बैंकों से जुड़कर नकदी का लेनदेन घर-घर जाकर करवाएंगी। योजना के माध्यम से स्थानीय लोगों का निकासी और जमा डिजिटल रूप से होगा, खाता धारकों को बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

महिलाओं को स्किल मैपिंग के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में ही प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसी सन्दर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, प्रत्येक महिला में उद्यमिता के गुण और मूल्य होते हैं। यदि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों तो महिलाएं निर्णय प्रक्रिया में बड़ी भूमिका अदा कर सकती हैं

मास्क अप इंडिया मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों (सेल्फ हेल्प ग्रुप्स )के माध्यम से आज उत्तर प्रदेश बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहा है। हाल ही के आकड़ों को देखे तो प्रदेश में पर्सनल प्रोएक्टिव इक्विपमेंट एवं मास्क सहित कुल लगभग 70 इकाइयाँ क्रियाशील हैं। वर्तमान में जब देश के भीतर मास्क की मांग बढ़ी है, तब स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं मास्क की आपूर्ति संपूर्ण देश में कर रही हैं।

उल्लेखनीय होगा कि महिलाओं को प्रदेश सरकार न केवल रोजगार उपलब्ध करा रही बल्कि उनके उत्पादों की मार्केटिग एवं ब्रांडिंग भी करा रही है। इस सन्दर्भ में जिक्र जरूरी होगा कि दिल्ली और बुलंदशहर में 3000 से भी अधिक स्थानीय ग्रामीण महिलाएं मास्क बनाकर अपनी आजीविका चला रही हैं। बुलंदशहर स्थानीय प्रशासन के द्वारा डिजाइनर मास्क का निर्माण कर सम्पूर्ण देश में भेजा जा रहा है तथा छः महीने में लगभग 50000 महिलाओं को जोड़कर उनको रोजगार उपलब्ध करने का प्रयास किया जा रहा है।

“मास्क अप इंडिया मिशन” के तहत कई गैर सरकारी संस्थाओं ने भी मुहिम छेड़ रखी है जिसके विषय में 25 जून, 2020 को प्रदेश सरकार के आधिकारिक ट्वीटर से यह भी बताया गया कि  रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनती स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने 50 हज़ार की पूंजी से 30 लाख कमाए जो कि बहुत ही सराहनीय है।

बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जी के स्वावलंबन और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में कार्य करते हुए यह भी निर्देश दिया गया कि मास्क का उपयोग न करने पर जिस व्यक्ति का चालान हो उसे ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित मास्क उपलब्ध कराया जाए।

साभार : Shethepeople

महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा कई घोषणाएं भी की गयी हैं। उदाहरणस्वरूप 86 लाख वृद्धावस्था, दिव्यांगजन तथा निराश्रित महिला लाभार्थियों को दो माह की पेंशन का भुगतान एक साथ किया गया है। 4 जून 2020 तक के आकड़ों के अनुसार निराश्रित महिला पेंशन धारकों के अकाउंट में 1500 की धनराशि तथा 130.31 मासिक पेंशन तथा “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत 260.62 करोड़ की राशि डी.बी.टी. के माध्यम से उनके खाते में अंतरित की गई।

इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा “उज्जवला योजना के लगभग १.४७ करोड़ लाभार्थियों को निःशुल्क गैस सिलेंडर उपलब्ध कराये गए हैं। बता दें कि प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब महिलाओं को निःशुल्क गैस कनेक्शन वितरित करने वाला उत्तर प्रदेश देश का प्रथम राज्य भी है। मुद्रा योजना और स्टैंडअप इंडिया के तहत प्रदेश सरकार महिला लाभार्थियों को उद्योगों के लिए आर्थिक ऋण प्रदान कर रही है।

साथ ही साथ, निराश्रित महिला पेंशन हेतु आयु सीमा की बाध्यता को समाप्त किया जा चुका है। किशोरियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से पहले से ही मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना लाई गयी, सामूहिक विवाह के लिए सहायता धनराशि बढ़ाकर 51000 कर दिया गया, पोषण और स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए पोषण पखवाड़ों का आयोजन करने जैसे काम किए गए हैं।

वर्तमान में, 12 जून को प्रदेश सरकार द्वारा घोषणा की गई कि बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत बालिकाओं को 1200 की धनराशि प्रतिमाह तथा साथ ही साथ कक्षा 8, 9, 10 उत्तीर्ण करने पर प्रतिवर्ष 6000 की अतिरिक्त धनराशि प्रदान की जाएगी। बच्चों को बालश्रम से अलग कर शिक्षा से जोड़ने हेतु योजना लागू करने वाला यूपी देश का प्रथम राज्य बन गया है।

प्रदेश सरकार उनकी प्रतिभा के अनुरूप उन्नति के अवसर उपलब्ध करने के लिए संकल्पित है। देश में महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मिशन अनिवार्य की शुरुआत की गयी है, जिसके तहत महिलाओं को मुफ्त में सैनेटरी पैड का वितरण भी किया जा रहा। दिल्ली एन.सी.आर से लेकर देश के अन्य जगहों पर सैनेटरी पैड के वितरण का कार्य भी सराहनीय है।

इसके अलावा लिखना आवश्यक होगा कि उत्तर प्रदेश पुलिस इस पूरे लॉकडाउन के दौरान अपनी सेवाओं, सहायता और जागरूकता के लिए प्रतिबद्ध नजर आई है। झाँसी की महिला पुलिस मास्क बना रहीं, वहीं उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश बॉर्डर पर “पैडमैन” की तरह प्रवासी महिलाओं को निःशुल्क सैनेटरी पैड के वितरण के कार्य द्वारा भी झाँसी खासा चर्चा में रहा है।

सभी प्रवासी श्रमिको को रोजगार उपलब्ध हो सके, इस दिशा में प्रदेश सरकार तथा इडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फिक्की, लघु उद्योग भारती और नारडेको के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जिसके माध्यम से प्रदेश के 11 लाख श्रमिकों/कामगारों को रोजगार प्राप्त होगा जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं।

इससे स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन को गति मिलेगी साथ ही साथ व्यापक स्तर  पर लोगो को रोजगार भी प्राप्त होगा। प्रदेश सरकार की योजनाओं का उद्देश्य अब महिलाओं के कल्याण के साथ-साथ उनके नेतृत्व के विकास का भी है। योगी  सरकार राज्य, जिला, ग्रामीण स्तर पर विद्यमान संस्थागत तंत्रों को मजबूती प्रदान करते हुए महिलाओं को सशक्त करने के लिए पर्याप्त संसाधन, जरूरी प्रशिक्षण तथा समर्थनीय कौशल को सुनिश्चित कर रही है।

नए भारत के निर्माण की तरफ अग्रसर होते हुए देश की आधी आबादी की विकास प्रक्रिया में भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए इसी सन्दर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने विगत वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कहा था, सशक्त महिलाओं का मतलब है कि महिलाओं को अपने व्यक्तिगत लाभों के साथ ही साथ ही समाज के लिए अपने स्वयं के निर्णय ले सकने में सक्षम हो

इसकी प्रासंगिकता को अगर आज के परिप्रेक्ष्य में हम देखें तो यह कहना उचित होगा कि स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी नए भारत के निर्माण को आधार प्रदान करती है। आवश्यकता है सकारात्मक सोच की; सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक क्षेत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने वाले परिवेश की; नीतियों का क्रियान्वयन कर महिलाओं के समावेशन की; स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोजगार, समान कार्य के लिए समान वेतन की और सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर विकास प्रक्रिया में उनको शामिल करने की, जिससे वे अपने कौशल, अपनी क्षमता को मूर्त रूप प्रदान कर सकें।

(लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)