मनीष तिवारी

अपने नेताओं की भाषाई अभद्रता पर कांग्रेस आलाकमान के मौन का मतलब क्या है ?

इस हफ्ते कॉलम की शुरुआत एक सच्ची कहानी से करता हूँ। स्वामी विवेकानंद एक बार सत्संग में भगवान के नाम का महात्म्य बता रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने कहा “शब्दों में क्या रखा है, आप बार बार उन्हें रटने को क्यों कहते हैं? इसका भला क्या फायदा?’’ स्वामी जी ने उस व्यक्ति की बात सुनी और अचानक ही उसे मूर्ख, गधा जैसे अपशब्द कहने लगे. सामने वाला व्यक्ति आगबबूला हो गया और