हिन्दू धर्म

स्वामी विवेकानंद का विश्व बंधुत्व का संदेश

जब स्वामी विवेकानंद स्वागत का उत्तर देने के लिए खड़े होते हैं और “अमेरिकावासी बहनों तथा भाइयों” से अपना वक्तव्य शुरू करते हैं और सामने बैठे विश्वभर से आये हुए लगभग 7 हज़ार लोग दो मिनट से ज्यादा समय तक तालियाँ बजाते रहते हैं।

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में स्वामी विवेकानंद की भूमिका

स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन के जीवन में ही अगर उन्हीं के शब्दों में कहूँ तो 1500 वर्ष का कार्य कर गए।

स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की आधुनिक समय में प्रासंगिकता

जिस समय दुनिया धार्मिक, वैचारिक श्रेष्ठता के लिए लड़ रही थी और एक-दूसरे की जमीन हड़पने में व्यस्त थी, स्वामी जी ने “मानव सेवा ही भगवान की सेवा” का संदेश दिया – क्योंकि वे प्रत्येक मानव में ईश्वर को देखते थे।

जयंती विशेष : ‘यदि भारत को जानना चाहते हैं, तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए’

स्वामी जी ने अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीयन देशों में  कई निजी एवं सार्वजनिक व्याख्यानों का आयोजन कर महान हिन्दू संस्कृति के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया एवं उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवाई।

‘यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें’

स्वामी विवेकानंद और उनके शब्द, ज्ञान और जीवन के व्यावहारिक पाठों से इतने समृद्ध थे कि प्रसिद्ध विद्वान और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था “यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन करें। उनमें, सब कुछ सकारात्मक है और कुछ भी नकारात्मक नहीं है”। 

कोरोना महामारी के बीच अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं

योग आपको शारारिक और भौतिक अस्तित्व से ऊपर उठाकर मानव की उच्चतम क्षमता की ओर ले जाता है। और योग द्वारा जो भी कुछ मनुष्य को मिलता है, वो अधिकतर समाज को देने में ही विश्वास करता है।

रूस से लेकर रोम और इंडोनेशिया से अफ्रीका तक फैली हैं सनातन संस्कृति की जड़ें

दक्षिण पूर्व एशिया के देश वियतनाम में खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग मिलना ना सिर्फ पुरातात्विक शोध की दृष्टि से एक अद्भुत घटना है अपितु भारत के सनातन धर्म की सनातनता और उसकी व्यापकता का  एक अहम प्रमाण भी है।

वह बौद्ध देश जहाँ राम राजा हैं और राष्ट्रीय ग्रंथ है रामायण !

भारत से बाहर अगर हिन्दू प्रतीकों और संस्कृति को देखना-समझना है, तो थाईलैंड से उपयुक्त राष्ट्र शायद ही कोई और हो सकता। दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश में हिन्दू देवी-देवताओं और प्रतीकों को आप चप्पे-चप्पे पर देखते हैं। यूं थाईलैंड बौद्ध देश है, पर इधर राम भी अराध्य हैं। यहां की राजधानी बैंकाक से सटा है अयोध्या शहर। वहाँ के लोगों की मान्यता है कि यही थी श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरो में आपको

सनातन संस्कृति और राष्ट्रवादी चेतना की प्रतिमूर्ति थे पं मदन मोहन मालवीय

पंडित मदनमोहन मालवीय जी का संपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक जीवन स्वदेश के खोए गौरव को स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहा। जीवन-युद्ध में उतरने से पहले ही उन्होंने तय कर लिया था कि देश को आजाद कराना और सनातन संस्कृति की पुर्नस्थापना उनकी प्राथमिकता होगी। 1893 में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत करने लगे। बतौर वकील उनकी

दीपावली के पर्व में छिपे हैं जीवन के अनेक सन्देश

प्रकाश का पर्व दीपावली बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घर-आंगन को दीपों से सजाते हैं,और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीयों का प्रकाश किसी भी व्यक्ति को अमावस्या की काली रात का एहसास नहीं होने देता है। दीयों का पर्व दीवाली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि इस त्योहार की एक श्रृंखला है। यह त्योहार दीवाली