अमेरिका के साथ हुए समझौतों से देश के विकास की रफ्तार और रोजगार के अवसरों में होगी वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान जो समझौते सम्पन्न किए गए हैं, वह सभी उच्च तकनीकी क्षेत्र के हैं। अमेरिका के साथ हुए समझौतों से भारत में अमेरिका से निवेश बढ़ेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में वृद्धि होगी एवं भारत में रोजगार के भी लाखों नए अवसरों का निर्माण होगा।

वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं चतुर्थ तिमाही के हाल ही में जारी किए गए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास सम्बंधी आंकड़ों से यह आभास हुआ है कि भारत में आर्थिक विकास दर उम्मीद से कहीं अधिक रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत की रही है एवं जनवरी-मार्च 2023 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ी है। जबकि अक्टोबर-दिसम्बर 2022 की तृतीय तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.5 प्रतिशत की रही थी। 

भारत में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर विश्व की अन्य समस्त बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर रही है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था बनी हुई है। भारत ने आर्थिक विकास के मामले में चीन से दुगुनी रफ्तार हासिल कर ली है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अब 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऊपर निकल चुका है। 

हर्ष का विषय यह है कि कृषि के क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2022-23 में विकास दर 4.5 प्रतिशत की रही है जो वित्तीय वर्ष 2021-22 की 3.5 प्रतिशत की विकास दर से कहीं अधिक है। कृषि के क्षेत्र में तेज हो रही आर्थिक विकास दर से सीधे सीधे किसानों को लाभ हो रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर पलायन कम हो रहा है एवं किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, जिससे भारत में उत्पादित होने वाले उत्पादों का एक नया बाजार तैयार हो रहा है। 

इसी प्रकार सेवा क्षेत्र में भी आर्थिक विकास की दर वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 11 प्रतिशत की रही है जो वित्तीय वर्ष 2021-22 की विकास दर 9 प्रतिशत की तुलना में कहीं अधिक है। सेवा क्षेत्र में तेज हो रही विकास दर के चलते शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर अधिक निर्मित हो रहे हैं। 

वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग क्षेत्र का योगदान 17 प्रतिशत है, इसे 24 से 25 प्रतिशत तक आगे ले जाना आवश्यक है। यदि उद्योग क्षेत्र के योगदान को 25 प्रतिशत तक लाने में सफलता हासिल हो जाती है तो देश में भारी भरकम वेतन वाले रोजगार के करोड़ों नए अवसर पैदा हो सकते हैं। इस दृष्टि से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई है। इस यात्रा में देश को बहुत बड़ी सफलता भी हासिल हुई है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कार्यपालन अधिकारियों से उनके द्वारा भारत में निवेश किये जाने के सम्बंध में  सीधी बातचीत की है। गूगल कम्पनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई ने घोषणा की है कि गूगल कम्पनी भारत में 1,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी। साथ ही, टेस्ला कम्पनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलन मस्क ने भी भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद दिए गए अपने एक बयान में बताया है कि उनकी कम्पनी भारी भरकम राशि का निवेश शीघ्र ही भारत में करने जा रही है एवं इस सम्बंध में वे स्वयं भी वर्ष 2024 में भारत की यात्रा करने वाले हैं। 

अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी बोईंग ने भी शीघ्र ही भारत में 800 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है। इस निवेश से भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और पायलट ट्रेनिंग का काम किया जाएगा। दरअसल, भारत में स्किल्ड पायलटों की मांग लगातार बढ़ रही है और अगले 20 वर्षों में देश में करीब 31,000 नए पायलटों की आवश्यकता होगी। इस कमी की पूर्ति करने में बोईंग द्वारा किए जा रहे निवेश से भारत को बहुत सहायता मिलेगी।      

अमेरिकी ई-कामर्स कम्पनी अमेजन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एंडी जैसी ने भी घोषणा की है कि अमेजन कम्पनी शीघ्र ही भारत में 1,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी। कम्पनी पहले ही भारत में 1,100 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश कर चुकी है, अब कम्पनी का भारत में कुल निवेश बढ़कर 2,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। 

इसी प्रकार, भारत और अमेरिका के बीच जेट इंजन के निर्माण की इकाई स्थापित करने पर भी सहमति बन गई हैं। इस सम्बंध में भारत की ओर से हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स कम्पनी ने एवं अमेरिका की ओर से जनरल इलेक्ट्रिक कम्पनी ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे भारत में ही निर्मित हो रहे तेजस विमान के इंजन को भी अपग्रेड किया जा सकेगा। अमेरिका भारत को अत्याधुनिक एवं शक्तिशाली एमक्यू-9बी ड्रोन भी उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। 

अमेरिका 60,000 भारतीय इंजीनियरों को सेमी-कंडक्टर सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से ट्रेनिंग देने के लिए भी सहमत हो गया है। अर्थात, इस सम्बंध में उच्च तकनीकी भारतीय इंजीनियरों को उपलब्ध करायी जाएगी। मैक्रोन नामक कम्पनी भारत में ही ड्रोन निर्माण हेतु एक इकाई की स्थापना भी करने जा रही है, इसके निर्माण पर मैक्रोन कम्पनी द्वारा भारी-भरकम राशि का निवेश भारत में किया जाएगा। 

अमेरिका ने भारतीय स्टील एवं अल्यूमिनियम के आयात पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इससे अब अमेरिकी बाजार में भारतीय स्टील और अल्यूमिनियम पहले की तुलना में सस्ते हो जाएंगे एवं इससे भारत में निर्मित स्टील उत्पादों की मांग अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएगी। भारतीय स्टील उद्योग को इससे बहुत फायदा होने की सम्भावना बन गई है। 

अमेरिका की विभिन्न कम्पनियों द्वार भारत में किये जाने वाले उक्त वर्णित भारी भरकम राशियों के निवेश से भारत में विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर को निश्चित ही बल मिलेगा एवं भारत के कुल सकल उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की भागीदारी में सुधार होगा।    

भारत में जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) की दर भी उत्साहजनक स्तर पर 35 प्रतिशत रही है एवं पूरे वित्तीय वर्ष 2022-23 में 29 प्रतिशत रही है। इसका आशय यह है कि भारत में निवेश के क्षेत्र में सुधार दृष्टिगोचर है, जो आगे आने वाले समय के लिए आर्थिक विकास दर को और अधिक तेज करने में सहायक होने जा रहा है।  

वर्तमान में पूंजी निवेश की दर में वृद्धि केंद्र सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में किए जा रहे भारी भरकम राशि के निवेश के चलते हो रही है परंतु अब चूंकि औद्योगिक इकाईयों की कुल उत्पादन क्षमता का 74 प्रतिशत से अधिक उपयोग होने लगा है अतः अब निजी क्षेत्र की कम्पनियों द्वारा भी भारत में अपने निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा, इससे शीघ्र ही सकल स्थायी पूंजी निर्माण की दर में और अधिक सुधार दिखाई देने लगेगा।  

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह भी एक संतोष का विषय है कि भारत में मानसून पिछले 4 – 5 वर्षों में लगातार अच्छा बना रहा है एवं इस वर्ष भी भारत में सामान्य बारिश होने की सम्भावना व्यक्त की गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के कारकों में शामिल हैं,  केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लागू किए गए विभिन्न सुधार कार्यक्रम, भारत में निवेश के लिए बेहतरीन माहौल तैयार करना, भारत में 130 करोड़ से अधिक नागरिकों का उपभोक्ता बेस उपलब्ध होना अर्थात विशाल घरेलू मार्केट, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ती जा रही है। 

भारत में वस्तु एवं सेवा कर कानून, बैंकिग क्षेत्र में दिवालियापन कानून एवं उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के लागू करने का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। रोजगार के अवसर कृषि क्षेत्र से निकालकर सेवा क्षेत्र एवं उद्योग क्षेत्र में उत्पन्न किए जाने के प्रयास भी युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं, ताकि देश में मानव पूंजी का उचित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। कृषि के अलावा भारत अब रक्षा क्षेत्र एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं उच्च तकनीकी का उपयोग कर निर्मित किए गए उत्पादों के निर्यात में भी तेजी आ रही है। 

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान जो समझौते सम्पन्न किए गए हैं, वह सभी उच्च तकनीकी क्षेत्र के हैं। अमेरिका के साथ हुए समझौतों से भारत में अमेरिका से निवेश बहुत बढ़ेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में वृद्धि होगी एवं भारत में रोजगार के भी लाखों नए अवसरों का निर्माण होगा।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)