शुभांगी उपाध्याय

आदि गुरु शंकराचार्य : भारतीय सांस्कृतिक एकता के प्रतीक

ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या और जीव ही ब्रह्म है, उससे भिन्न नहीं। वेदांत की इस वाणी को सिद्ध करने वाले महान मनीषी परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य के नाम से विश्व विख्यात हैं।

वीर सावरकर ऐसी धातु से बने हुए थे जो तपाने पर और भी निखरने लगती है

समय के निष्पक्ष हाथों ने उन सच्चाइयों को ढूंढ निकाला है। उन्हें प्रकाश में लाने के प्रयत्न होने लगे हैं। उस नए इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय का ही नाम है “स्वातंत्र्यवीर सावरकर”।

महारानी लक्ष्मीबाई : क्रांति की अग्निशिखा

रानी साहिब ने युद्ध से पूर्व अपने सैनिकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा- ‘‘हे वीर सैनिकों! हम दुश्मन से भले ही सैन्य बल में कम हैं, परन्तु हमारा आत्मबल उनसे कोई गुणा अधिक है।