पाकिस्तान से अलग होने को बेचैन बलूचिस्तान !

बलूचिस्तान की अवाम का कहना है कि जैसे 1971 में पाकिस्तान से कटकर बांग्लादेश बन गया था, उसी तरह एक दिन बलूचिस्तान अलग देश बन जाएगा। बलूचिस्तान के लोग किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं।  बलूचिस्तान पाकिस्तान के पश्चिम का राज्य है जिसकी राजधानी क्वेटा है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे में पंजाबियों के कत्लेआम से पाकिस्तान सरकार हिल गई है। बीते दिनों वहां पर चार पंजाबियों की नृशंस हत्या की गई। बलूचिस्तचान में नौकरी या बिजनेस करने वाले पंजाबियों को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी चुन-चुनकर मारने का कोई भी अवसर नहीं गंवाती। बलूचिस्तान को पाकिस्तान का क्षेत्रफल के लिहाज सबसे बड़ा सूबा माना जाता है। वहां पर गैस के अकूत भंडार हैं। पर, ये पाकिस्तान का सबसे उपेक्षित और पिछड़ा हुआ राज्य है।

विगत वर्ष 15 नवंबर को करीब डेढ़ दर्जन पंजाबी युवकों को बलूचिस्तान में बस से उतार के मार दिया गया था। सभी मृतक पंजाब के विभिन्न शहरों से बलूचिस्तान में काम-काज के सिलसिले में गए हुए थे। पाकिस्तान सरकार अपने मुल्क में हो रहे कत्लेआम को छुपाती है, पर सोशल मीडिया के युग में यह संभव कहां हैं। इन हत्याओं के अलावा बलूचिस्तान में बड़ी संख्या में नौकरी करने गए पंजाबी युवक लापता हैं। उनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।

पाकिस्तानी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के आतंकी उन दफ्तरों में पहुंच जाते हैं, जहां पर पंजाब से आए युवक काम कर रहे होते हैं। ये दफ्तर के आला अफसरों से अपने कर्मियों का पहचान-पत्र मांगते हैं। उनको देखकर ये पंजाबियों को अपने साथ किसी सुनसान स्थान पर ले जाकर उनका कत्ल कर देते हैं। इस कत्लेआम के मूल को समझने की आवश्यकता है।

बलूचिस्तान की जनता का कहना है कि उनका पंजाबियों से सुसज्जित पाकिस्तानी सेना ने हमेशा शोषण किया है। उन्हें मारा, उन्हें जूते की नोक पर रखा। उन्हें कभी बराबरी का हक नहीं दिया।  मोटा-मोटी इसी वजह से बलूचिस्तान में पृथकतावादी आंदोलन तेज होता जा रहा है। पाकिस्तान सरकार इस आंदोलन के कारण परेशान इसलिए खासतौर पर है, क्योंकि चीन की मदद से बन रहा ग्वादर पोर्ट बलूचिस्तान में ही है।

ये आंदोलन अब बेकाबू हो गया है। बलूचिस्तान की स्थानीय जनता का यह भी आरोप है कि उनके सूबे में चीन जो भी निवेश कर रहा है, उसका असली मकसद बलूचिस्तान का नहीं, बल्कि चीन को फायदा पहुंचाना है। बलूचिस्तान के पाकिस्तान विरोधी  संगठन धमकी दे चुके हैं कि वे ग्वादर में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों को रहने देंगे। वे बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा को लूटने नहीं देंगे। इधर काम करने वाले चीनियों को भी मारा जा रहा है।

नजर चीन की

दरअसल 790 किलोमीटर के समुद्र तट वाले ग्वादर इलाके पर चीन की हमेशा से नजर रही है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि ग्वादर बंदरगाह को चीन के कशगर से जोड़ने वाली कॉरिडोर परियोजना देश की तकदीर बदल देगी। लेकिन जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी। इस परियोजना से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को  बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इसका फायदा बलूचिस्तान समेत देश के कुछ और प्रांतों को नहीं होगा।

इससे सबसे ज्यादा फायदा पंजाब को ही मिलने की उम्मीद है, जहां से पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य नेतृत्व का संबंध है। यही बात बलूचिस्तान को खाए जा रही है। चीनी निवेश से पाकिस्तान को आर्थिक फायदा तो होगा, लेकिन इससे उसकी चीन पर निर्भरता बढ़ेगी। पाकिस्तान को इस परियोजना की कीमत चुकानी होगी। पाकिस्तान को सभी फैसले चीन के हितों को ध्यान में रखकर लेने होंगे। इससे पाकिस्तान में चीन परस्ती और मजबूत होगी। कहने वाले कह रहे हैं कि पाकिस्तान चीन का उपनिवेश बन जाएगा।

बलूचिस्तान कटेगा पाक से

बलूचिस्तान की अवाम का कहना है कि जैसे 1971 में पाकिस्तान से कटकर बांग्लादेश बन गया था, उसी तरह एक दिन बलूचिस्तान अलग देश बन जाएगा। बलूचिस्तान के लोग किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं।  बलूचिस्तान पाकिस्तान के पश्चिम का राज्य है जिसकी राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तान के पड़ोस में ईरान और अफगानिस्तान हैं।

सन 1944 में ही बलूचिस्तान को आजादी देने के लिए माहौल बन रहा था। लेकिन, 1947 में इसका जबरन पाकिस्तान ने अपने साथ विलय कर लिया। तभी से बलूच लोगों का संघर्ष चल रहा है और उतनी ही ताकत से पाकिस्तान की पंजाबियों से लबरेज सेना बलूच लोगों को कुचलती रही है। आजादी की लड़ाई के दौरान भी बलूचिस्तान के स्थानीय नेता अपना अलग देश चाहते थे। लेकिन, जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया तो वहां विद्रोह भड़क उठा था।

बलूचिस्तान में आंदोलन के चलते पाकिस्तान ने विकास की हर डोर से इस इलाके को काट रखा है। यहां की अवाम के दिन की शुरुआत दहशत के साथ होती है। बलूचिस्तान के राष्ट्रवादी नेता मरहूम नवाब अकबर खान बुगती के कत्ल के बाद तो मानो ये सूबा दिल से पाकिस्तान से अलग हो चुका है। परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में ही बुगती की हत्या हुई थी।

बुगती के पुत्र और जम्हूरी वतन पार्टी के प्रमुख तलल अकबर बुगती एलान कर चुके हैं कि जो मुशर्रफ का कटा हुआ सिर उन्हें लाकर देगा उसे वे एक अरब रुपया देंगे। बुगती के कत्ल के लिए मुशर्रफ को दोषी मानता है बलूचिस्तान। मुशर्रफ पर बलूचिस्तान में मासूम लोगों के कत्ल के आरोप भी लगे थे। 26 अगस्त, 2006 को नवाब अकबर बुगती की क्वेटा से 150 किलोमीटर दूर एक गुफा में हत्या कर दी गई। बुगती के कत्ल के बाद से बलूचिस्तान जल रहा है।

वहां पर मासूम पंजाबियों के कत्ल से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। पंजाबी नाराज हैं। वे बलूचिस्तान में पृथकतावादी शक्तियों पर शिकंजा कसने की मांग कर रहे हैं। ये स्पष्ट है कि अगर वहां पर पाकिस्तान सेना का दमन बढ़ा तो बलूचिस्तान में हालात और भी बदत्तर हो जाएंगे। ये तय मानिए कि पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान को लंबे समय तक अपने साथ जोड़कर रखना मुमकिन नहीं होगा।

(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)