जिन चिदंबरम को कभी ‘सबसे भ्रष्ट’ कहा था, अब उन्हीसे अपनी पैरवी करवाएंगे केजरीवाल !

सवाल उठता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे चिदंबरम को स्वघोषित ईमानदार केजरीवाल सरकार द्वारा अपना पक्षकार नियुक्त कैसे कर लिया गया ? जिस कांग्रेस सरकार और नेताओं का विरोध कर केजरीवाल ने अपनी राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ी थीं, अब उसी कांग्रेस से इतना प्रेम क्यों दिखा रहे हैं ? बहरहाल आम लोग इस पूरे घटनाक्रम से शायद ही चकित महसूस करें, क्योंकि उनके समक्ष आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी के अंतर की पोल पट्टी खुल चुकी है।

ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब केजरीवाल ने 2014 के चुनावों के दौरान ‘सबसे-भ्रष्ट-नेताओं’ की एक सूची जारी की थी, जिसमें चिदंबरम का नाम भी शामिल था। अब 2017 में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच शक्ति के बंटवारे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के समक्ष दायर मुकदमे की सुनवाई में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए केजरीवाल ने पी. चिदंबरम को चुना है। पी. चिदंबरम उस कानूनी टीम की आगुवाई करेंगे जो इस मुक़दमे में दिल्ली सरकार का पक्ष न्यायालय के सामने रखेगी। इसमें कई और वरिष्ठ वकील भी शामिल हैं।

दरअसल उच्च न्यायालय द्वारा उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया बनाये जाने के फैसले के खिलाफ अरविन्द केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए केजरीवाल ने वरिष्ठ वकील और भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोपों में घिरे पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का नाम तय किया है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता का कहना है कि पी. चिदंबरम सच्चे प्रोफेशनल हैं। हालाँकि 2014 में केजरीवाल द्वारा चिदंबरम पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाए जाने पर प्रवक्ता महोदय कुछ नहीं कहे।

सांकेतिक चित्र

कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट के जरिये केजरीवाल पर तंज कसा कि एक समय चिदंबरम के सबसे बड़े आलोचकों में से एक रहे केजरीवाल ने आखिर उन्हें दोषमुक्त किया। एक नए ट्वीट में माकन कहते हैं कि आख़िरकार केजरीवाल  चिदंबरम  के चरणों में आ ही गये। पूर्व-राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुख़र्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी इस कदम पर सवाल उठाये हैं। ज़ाहिर है कि यह प्रश्न उन राजनैतिक मूल्यों का है, जिनपर चलने का आम आदमी पार्टी दावा करती आयी है।

सवाल उठता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे चिदंबरम को स्वघोषित ईमानदार केजरीवाल सरकार द्वारा अपना पक्षकार नियुक्त कैसे कर लिया गया ? जिस कांग्रेस सरकार और नेताओं का विरोध कर केजरीवाल ने अपनी राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ी थीं, अब उसी कांग्रेस के एक नेता से इतना प्रेम दिखाने का मतलब क्या है ? बहरहाल, आम लोग इस पूरे घटनाक्रम से शायद ही चकित महसूस करें, क्योंकि उनके समक्ष आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी के अंतर की पोल पट्टी खुल चुकी है।

‘आप’ का सत्ता प्रेम अब जगजाहिर है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और आप के कई मंत्रियों के दोहरे चरित्र जनता के सामने आ चुके हैं। कहना गलत नही होगा कि केजरीवाल खुद इस वक़्त संशय और सत्ता खो देने के डर से ग्रस्त हैं। इसी भय में वे इस प्रकार की हरकते कर रहे हैं। बहरहाल, कितना विचित्र दृश्य है कि जो चिदंबरम केजरीवाल की नजर में कभी सबसे भ्रष्ट नेताओं में से एक थे, अब वही चिदंबरम अदालत में केजरीवाल की पैरवी करेंगे।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)