क्या कांग्रेस का भारत बंद नेशनल हेराल्ड मामले से ध्यान भटकाने की साजिश था?

आज कांग्रेस पार्टी के कई नेता जमानत पर बाहर हैं जिनमें पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हैं। इनपर आरोप है कि नेशनल हेराल्ड मामले में इन्होने गलत तरीके से लेनदेन कर देश की जनता के 5,000 करोड़ रूपए का गबन किया और कानूनी व्यवस्था को अँधेरे में रखा। इसी मामले में जांच को टालने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

घोटालों और भ्रष्टाचार से कांग्रेस पार्टी का पुराना नाता रहा है। जब भी देश में किसी घोटाले का नाम आता है या कोई कारनामा उजागर होता है तो कांग्रेस पार्टी के भी तार उससे कहीं न कहीं जुड़े होते हैं। लेकिन फिलहाल नेशनल हेराल्ड का जो मामला चर्चा में है उसमें खुद कांग्रेस पार्टी के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी तथा सोनिया गाँधी जमानत पर हैं।

गौरतलब है कि यंग इंडियन और नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने वित्तीय वर्ष 2011-12 के आयकर विभाग के पुनर्मूल्यांकन को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन न्यायमूर्ति एके चावला और एस रविन्द्र भट्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इसे खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि आयकर विभाग के पास पुनर्मूल्यांकन का अधिकार है।

सांकेतिक चित्र [साभार : नवभारत न्यूज़]

अगर इस पूरे मामले को समझें तो यह नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की कंपनी एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) से जुड़ा मामला है, जिसे 2010 में कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन देकर कृपा की थी और इसकी देनदारी अपने नाम कर ली थी। इसके बाद यंग इंडियन कंपनी बनाई और इसमें 38-38 फीसद की हिस्सेदारी सोनिया और राहुल के नाम हो गई। इस मामले में सबसे ख़ास बात यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2010 में यंग इंडियन के डायरेक्टर थे, लेकिन यह तथ्य उन्होंने छुपाया। इस कारण आयकर विभाग ने इस मामले को पुनः खगालना शुरू किया।

आज कांग्रेस पार्टी के कई नेता जमानत पर बाहर हैं जिनमें पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हैं। इनपर आरोप है कि नेशनल हेराल्ड मामले में इन्होने गलत तरीके से लेनदेन कर देश की जनता के 5,000 करोड़ रूपए का गबन किया और कानूनी व्यवस्था को अँधेरे में रखा। इसी मामले में जांच को टालने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है।  

जिस 10 सितम्बर को नेशनल हेराल्ड मामले से सम्बंधित सोनिया-राहुल की याचिका पर उच्च न्यायालय का फैसला आना था, उसी दिन कांग्रेस का भारत बंद का आयोजन करना साजिश की तरफ इशारा करता है। उच्च न्यायालय ने राहुल-सोनिया की जांच टालने की याचिका खारिज कर दी, इसकी उम्मीद उन्हें रही होगी, ऐसे में इस मामले से ध्यान भटकाने के लिए अगर कांग्रेस ने अगर भारत बंद का आयोजन किया हो तो कोई बड़ी बात नहीं है!  

कांग्रेस को यह भी अंदाजा हो गया होगा कि ये फैसला उसके खिलाफ ही आएगा। इसी को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने भारत बंद बुलाया ताकि मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। कांग्रेस द्वारा प्रायोजित भारत बंद सिर्फ अपनी राजनीति और अपने परिवार के नामदार अध्यक्षों को बचाने की कोशिश के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।

अभी कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कांग्रेस पार्टी के नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा था कि वह बेलगाड़ी की सवारी करते हैं। अब सवाल यह है कि जिस पार्टी के अध्यक्ष भ्रष्टाचार और घोटाले के मामले में खुद जमानत पर बाहर हैं, उन्हें वर्तमान सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने का नैतिक अधिकार कैसे मिल गया। कांग्रेस के इस रवैये पर एक वक्तव्य बिल्कुल सटीक बैठता है “एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी।”

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)