राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का बौद्धिक और भाषाई स्तर भी गिरता जा रहा है !

महिला शौचालय में जाना, शार्ट्स को लेकर बयान देना तो महज एक संकेत है, असल में इस प्रकार की हरकतें राहुल गांधी की मानसिकता को दर्शाती है कि वे कितने अस्थिर, अनभिज्ञ और अज्ञानी हैं। निश्चित ही दूसरों को नसीहत देने से पहले राहुल एक बार खुद के गिरेबान में झांककर देखें तो उन्‍हें पता चल जाएगा कि वे क्‍या बोल रहे हैं। इस देश में सदा से स्‍वस्‍थ राजनीति होती आई है जिसमें कि विचारों की टकराहट रहती थी, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का भाषाई और बौद्धिक स्‍तर भी बेहद निम्नस्तर पर पहुँच चुका है।

हमेशा की तरह अपने बेसिर-पैर के बचकाने बयानों को लेकर थोथी लोकप्रियता बटोरने वाले कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं। इस बार भी कारण वही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने गए राहुल ने इस बार नैतिकता व मर्यादा की सीमाएं पार करते हुए अशालीन टिप्‍पणी कर दी। उन्‍होंने कहा कि संघ व भाजपा में महिलाओं से भेदभाव होता है। मैंने संघ की महिलाओं को कभी शॉर्ट्स में नहीं देखा। यह घटिया बयान देकर राहुल फिर मुसीबत में घिर गए।

केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी ने उन्‍हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शॉर्ट्स कभी भी सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं रहा है। निश्‍चित ही राहुल का ये बयान अभद्र है। वास्‍तविकता में राहुल गांधी का सामान्‍य ज्ञान कमजोर है। दोष कांग्रेस का भी है। जिस दल को सशक्‍त एवं तार्किक रूप से विपक्ष की भूमिका में होना चाहिये, वहां चाटुकारों की तादाद इतनी अधिक है कि उन्‍हें गांधी परिवार के सिवाय कुछ नज़र ही नहीं आता।

राहुल गांधी में कोई संभावना नहीं है, बावजूद उन्‍हें पार्टी में ढोया जा रहा है। आरएसएस में महिलाओं की मौजूदगी पर सवाल उठाने वाले राहुल को मालूम करना चाहिए था कि संघ के कार्य क्‍या हैं, उन्हें संघ की महिला विंग राष्‍ट्रीय सेविका समिति के बारे में जानकारी जूता लेनी चाहिए थी। देश भर में करीब चार हजार शाखाओं में कार्यरत राष्‍ट्रीय सेविका समिति में महिलाओं का परिधान तय है। वे श्‍वेत रंग का सलवार कमीज धारण करती हैं और उस पर श्‍वेत रंग का ही दुपट्टा होता है जिसका किनारा गुलाबी रंग का होता है।

आरएसएस में महिलाओं की भागेदारी काफी पुराने समय से है। यह समिति संघ का ही एक अनुषांगिक संगठन है। राष्‍ट्र सेविका समित‍ि वर्ष 1936 से ही अस्तित्‍व में हैं। स्‍वयं विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज एवं लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन भी इस समिति से जुड़ी रही हैं। यदि राहुल गांधी को यह ज्ञात नहीं है तो यह उनके बौद्धिक दिवालियेपन का प्रतीक है।

शार्ट्स को लेकर दिया गया उनका बयान केवल यही दर्शाता है कि महिलाओं को लेकर उनकी सोच क्‍या है। बेहतर होता कि ऐसा ओछा बयान देने से पहले वे स्‍वयं अपनी पार्टी के गिरेबान में झांककर देख लेते। कांग्रेस में महिलाओं के प्रति दिए गए बयानों के इतिहास को देख लेते। कांग्रेस के ही वरिष्‍ठ नेता दिग्‍विजय सिंह ने एक कांग्रेस महिला नेत्री के बारे में अश्‍लील बयान देते हुए उन्‍हें ‘टंच माल’ बता दिया था। और भी अनेक बातें मशहूर हैं। इस बयान को लेकर दिग्विजय पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बात से जाहिर होता है कि कांग्रेस में महिलाओं के प्रति क्या दृष्टि रखी जाती है।

शार्ट्स के बयान से निश्चित ही गुजरात में कांग्रेस को ही नुकसान होगा। इस पूरे मसले पर संघ ने दृढ़ता से अपना पक्ष रखा है और राहुल समेत कांग्रेस को कठघरे में ला खड़ा किया है। राहुल के बयान का खंडन करते हुए संघ विचारक राकेश सिन्‍हा ने स्‍वयं राहुल की बहन प्रियंका गांधी को संघ के एक सत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि वे स्‍वयं यहां आएं और देखें कि महिलाओं के प्रति किस प्रकार का बर्ताव किया जाता है। सिन्‍हा ने कहा कि 90 वर्ष पुराने संगठन की कार्यप्रणाली, मापदंडों को जाने बिना उस पर बिना सोचे-समझे इतनी सतही टिप्‍पणी नहीं करना चाहिये। उन्‍होंने महिलाओं का अपमान किया है। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान बिल्‍कुल सटीक टिप्‍पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इशरत जहां जैसी आतंकवादी का समर्थन करने वाली पार्टी है।

एक तरफ कांग्रेस राहुल गांधी को पार्टी अध्‍यक्ष बनाने की कवायदें  कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ राहुल अपने बचकाने बयानों से न केवल खुद की बल्कि कांग्रेस की भी छवि धूमिल कर रहे हैं। गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान ही राहुल गलती से एक महिला शौचालय में दाखिल हो गए। बाहर आने पर पूरी मीडिया ने इस दृश्‍य को कैद किया और उनकी इस हरकत पर काफी किरकिरी हो रही है। वे अक्सर ऐसा कुछ कर जातें हैं जिससे उनकी और कांग्रेस की मिट्टीपलीद होती है।  

राहुल गांधी का अभी तक का चुनावी अनुभव उनके और कांग्रेस के लिए अत्‍यंत कड़वा रहा है। वे जिस भी राज्‍य में, जिस शहर में चुनाव के समय कांग्रेस के प्रचार के लिए जाते हैं, वहां से बुरी तरह हारकर लौटते हैं। उत्‍तर प्रदेश के महत्‍वाकांक्षी चुनाव में समाजवादी पार्टी से हुआ गठबंधन भी औंधे मुंह गिरा और अन्‍य राज्‍यों में भी कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई। आश्‍चर्य है कि कांग्रेस को ऐसे अपरिपक्‍व और अगंभीर व्‍यक्ति में भावी अध्‍यक्ष व प्रधानमंत्री के दर्शन होते हैं जो कि देश के इतिहास बोध से पूरी तरह अंजान है।

विकास की बात का जिक्र करने वाली कांग्रेस ने स्‍वयं पिछले साठ सालों में देश में क्‍या विकास किया, ये बात जनता बाखूबी जानती है। इस पार्टी ने केवल अपने मध्‍यस्‍थों, चाटुकारों और अपने परिवार का ही विकास किया है। महिला प्रसाधन में जाना, शार्ट्स को लेकर बयान देना तो महज एक संकेत है, असल में इस प्रकार की हरकतें राहुल गांधी की मानसिकता को दर्शाती है कि वे कितने अस्थिर, अनभिज्ञ और अज्ञानी हैं।

निश्चित ही दूसरों को नसीहत देने से पहले राहुल एक बार खुद के गिरेबान में झांककर देखें तो उन्‍हें पता चल जाएगा कि वे क्‍या बोल रहे हैं। इस देश में सदा से स्‍वस्‍थ राजनीति होती आई है जिसमें कि विचारों की टकराहट रहती थी, लेकिन वर्तमान में राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का भाषाई और बौद्धिक स्‍तर भी बेहद निम्नस्तर पहुँच चुका है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)