हिमाचल प्रदेश से ग्राउंड रिपोर्ट : कांग्रेस शासित हिमाचल में हर तरफ केंद्र की योजनाओं की झलक

स्वास्थ्य की देखभाल करना वैसे राज्य का दायित्व है, लेकिन केंद्र ने भी राज्य सरकार की हर संभव मदद की है। परन्तु, केंद्र सरकार की पहल के बाद भी राज्य सरकार ने कम्युनिकेबल डिजीज के लिए सेंटर बनाने हेतु शिमला में जगह तक मुहैया नहीं करवाई। हिमाचल के बिलासपुर में आल इंडियन मेडिकल साइंसेज (एम्स) अपना एक बड़ा केंद्र खोल रहा है, जिससे हिमाचल के एक बड़े हिस्से को सेहत सुविधाएं मिलेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अक्टूबर के शुरूआती दिनों में इस एम्स का शिलान्यास किया।

आप जैसे ही चंडीगढ़ से शिमला की तरफ आगे बढ़ते हैं, पहली बार आपको नज़र आता है कि नेशनल हाईवे पर जोरो-शोरों से काम जारी है। परवाणू से सोलन के बीच 39 किलोमीटर के राजमार्ग की फोरलेनिंग का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी पूरे हिमाचल में ऐसी ही 11 सड़क परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनके पूरे होने के बाद हिमाचल में एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचना काफी आसान हो जाएगा।

भले ही हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन केंद्र की योजनाओं की झलक हर जगह दिखाई देती है। गत दिनों भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह जब हिमाचल में जनसभा को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने दो क्षेत्रों पर तवज्जो देने का संकल्प दोहराया। पहला, बेहतर सड़क द्वारा हिमाचल की कनेक्टिविटी के विकास और दूसरा, पॉवर प्रोजेक्ट्स पर और अधिक ध्यान देने पर उन्होंने बल दिया था।

इसके अलावा शाह ने अपनी पहली जनसभा में कांगड़ा में भारी जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा था कि जब भ्रष्टाचार की बात आती है, तो हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का नाम शीर्ष पर आता है। प्रदेश सरकार के मुखिया सहित उनका सारा परिवार ही भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर है, उस प्रदेश का विकास भला कैसे हो सकता है। अमित शाह ये बात इसलिए कह रहे, क्योंकि इसबार हिमाचल चुनाव में वीरभद्र सरकार का भ्रष्टाचार तथा विकास की कमी बड़ा मुद्दा है।

हिमाचल में एक बड़ी दिक्कत होती है, स्वास्थ्य सुविधाओं को आम लोगों तक पहुँचाने की। सेहत के क्षेत्र में केंद्र की मदद से हिमाचल में एक बड़ी पहल होने जा रही है। राज्य में सेहत एक बड़ा मुद्दा है। पिछले साल ही गन्दा पानी पीने से शिमला और सोलन में 30 से ज्यादा लोग पीलिया बीमारी से मर गए थे।

अब स्वास्थ्य की देखभाल करना वैसे राज्य का दायित्व है, लेकिन केंद्र ने भी राज्य सरकार की हर संभव मदद की है। परन्तु, केंद्र सरकार की पहल के बाद भी राज्य सरकार ने कम्युनिकेबल डिजीज के लिए सेंटर बनाने हेतु शिमला में जगह तक मुहैया नहीं करवाई। हिमाचल के बिलासपुर में आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स) अपना एक बड़ा केंद्र खोल रहा है, जिससे हिमाचल के एक बड़े हिस्से को सेहत सुविधाएं मिलेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अक्टूबर के शुरूआती दिनों में इस एम्स का शिलान्यास किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिलासपुर में एम्स के शिलान्यास के दौरान की तस्वीर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा जब सोलन के कंडाघाट में जनसभा को संबोधित कर रहे थे, तो राजनीति की बातें कम ही हुईं, स्वास्थ्य और सेहत की चर्चा ज्यादा चली। जनता में उत्साह था कि अब इलाज़ के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। नड्डा ने कहा कि केंद्र की तरफ से फंड की कोई कमी नहीं रखी जा रही है, लेकिन सहायता राशि के लिए मैचिंग ग्रांट देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, जिसमें कांग्रेस सरकार लगातार पिछड़ रही है।

प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विकास कार्यों की बानगी इससे मिलती है कि शिमला से 130 किलोमीटर की दूरी पर रामपुर शहर है, जहाँ से सालों तक मुख्यमंत्री जी सियासत करते रहे, लेकिन यहाँ विकास का नामो-निशान नहीं है। हिमाचल एक पर्वतीय राज्य है, इस लिहाज से किन्नौर के इलाके से शिमला पहुंचना भी कोई आसान काम नहीं है।

रामपुर से भाजपा के उम्मीदवार प्रेम सिंह द्रेक कहते हैं कि उन्होंने बिलासपुर के प्रस्तावित एम्स के केंद्र से रामपुर को जोड़ने की एक योजना शहर के लोगों के सामने रखी है, इससे कांग्रेस सकते में आ गयी है। सवाल है कि आखिर इतने सालों तक कांग्रेस रामपुर शहर के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं सोच पाई?

इस प्रस्तावित एम्स के मुद्दे पर भी कांग्रेस की तरफ से राजनीती हो रही है। भाजपा का आरोप है कि एम्स के लिए जमीन देने में सरकार ने बहुत ज्यादा देर कर दी, क्योंकि वीरभद्र सरकार को लगता था कि इसका फायदा कहीं मोदी सरकार को न मिल जाए। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार विकास के कार्यों में लगातार अड़ंगा लगा रही है, जबकि भाजपा स्वास्थ्य, पर्यटन, बिजली और आधारभूत संरचना के विकास पर पूरा ध्यान दे रही है। भाजपा को उम्मीद है कि हिमाचल प्रदेश की जनता भी इस बार विकास योजनाओं को ही ज्यादा तवज्जो देते हुए भाजपा की बहुमत की सरकार हिमाचल में लाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)