नोटबंदी : कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ता देश

देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से मुक्त करने के लिये प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी की 8 नवंबर को एकाएक की गई घोषणा ने सभी हलकनों में हलचल-सी पैदा कर दी। इस ऐलान के बाद से सभी 500 और 1000 रूपये के पुराने नोट अमान्य हो गये। हालांकि इस देशव्यापी फैसले से लोगों को थोड़ी समस्या का सामना तो करना पड़ रहा है, किंतु अब लोग कैशलेस और मोबाइल वॉलेट का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पहले की अपेक्षा कहीं अधिक पारदर्शी होगी और काले धन के कुबेरों का भय बढ़ेगा।

हाल ही में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत में महाशक्ति बनने की ताकत है और यह ताकत देश के करोड़ों युवाओं के भरोसे है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था कैशलेस और पेपरलेस हो जाएगी। इसके साथ ही कांत ने कहा, ‘हमारे देश में जितने शोध हो रहे हैं, जितना हुनर है, जितने सक्षम युवा हैं, उसके बाद किसी प्रकार की कोई शंका नहीं रह जाती है कि हम महाशक्ति नहीं बनेंगे।’

नोटबंदी के इस फ़ैसले के बाद कार्ड स्वाइप मशीन की मांग बढ़ी है और प्री-पेड वॉलेट्स में 60 से 70 पर्सेंट का ग्रोथ है। आज भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं, आनॅलाइन टिकट बुक करा रहे हैं, खाने-पीने के आइटम, गॉरमेंट्स इत्यादि के लिये डेबिट कार्ड और प्लास्टिक मनी का प्रयोग कर रहे हैं। चाय वाले से लेकर सब्जी वाले तक का पेटीएम पर अकाउंट है, ताकि लोग सीधा उसके अकाउंट में पैसा जमा करा सके। खैर, ये सब देखने के बाद तो यही संभावना नजर आ रही है कि वो दिन दूर नहीं जब भारत का हर देशवासी कैशलेस लेन देन को प्रथम प्राथमिकता देगा।

अमिताभ कांत की कही गई बातें विकासोन्मख देश के लिये बेहद ही सटिक बैठती हैं, क्योंकि अभी तक हम अपनी ताकत को खुद ही नहीं पहचान पाये हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के बाद हम भी अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों की कतार में आ जाएंगे। माना कि ये इतनी जल्दी संभव नहीं है, इसके लिये हमें कई अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग अभी भी इस नई तकनीक से रूबरू नहीं हुए हैं, उन्हें इसके प्रति जागरुक करना होगा, ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट सेवा का विस्तार करना होगा। इस विषय में और अधिक जागरूकता लानी होगी।   

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गौरतलब है कि पीएम मोदी सत्ता में आने के बाद से हर मंच पर डिजिटल इंडिया की मांग दोहराते रहे हैं। उनका सपना है कि वह भारत का डिजिटलाइजेशन करें। वैसे भी हमारे देश के नौजवान हर क्षेत्र के लिए नए-नए आईडिया लेकर आ रहे हैं। स्टार्टअप इंडिया में बढ़-चढ़कर योगदान दे रहे हैं, जो कि देश के लिए गर्व की बात है।

हाल ही में आई रिर्पोटों के अनुसार सरकार के इस फ़ैसले के बाद कार्ड स्वाइप मशीन की मांग बढ़ी है और प्री-पेड वॉलेट्स में 60 से 70 पर्सेंट का ग्रोथ है। आज भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं, आनॅलाइन टिकट बुक करा रहे हैं, खाने-पीने के आइटम, गॉरमेंट्स इत्यादि के लिये डेबिट कार्ड और प्लास्टिक मनी का प्रयोग कर रहे हैं। चाय वाले से लेकर सब्जी वाले तक का पेटीएम पर अकाउंट है, ताकि लोग सीधा उसके अकाउंट में पैसा जमा करा सके। खैर, ये सब देखने के बाद तो यही संभावना नजर आ रही है कि वो दिन दूर नहीं जब भारत का हर देशवासी कैशलेस लेन देन को प्रथम प्राथमिकता देगा। वहीं दूसरी ओर इससे आप ये भी अंदाजा लगा सकते हैं कि भले से ही लोगों को ये सब करने में थोड़ी मजबूरी का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन धीरे-धीरे ये सब चीजें उन्हें सरल और सुगम लगने लगेंगी।

विपक्ष भले से इस मामले पर अपनी राजनीति भुनाने में लगा हो, लेकिन कैशलेस अर्थव्यवस्था से केवल पीएम मोदी को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि समूचे देशवासियों को इसका लाभ मिलेगा और भविष्य में भी हम अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक तरक्की कर सकेंगे। इसके साथ ही चोरी, डकैती और तमाम गैर कानूनी वारदातों पर भी लगाम लग सकेगी।

(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)