प्रधानमंत्री मोदी ने देश को समर्पित की कुडनुकुलम परियोजना की पहली यूनिट, ख़त्म होगा ऊर्जा संकट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा  संयत्र की पहली यूनिट देश को समर्पित किया। गौरतलब है कि यह देश का सबसे बड़ा ऊर्जा संयत्र है। एक हजार  मेगावाट की क्षमता वाले इस परमाणु बिजली संयत्र को दुनिया की सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्रो में से एक बताया गया है। कुडनकुलम की पहली यूनिट भारतीय परमाणु ऊर्जा  निगम और रूस के रोसाटॉम ने संयुक्त रूप से बनाया है। यूनिट एक और दो के निर्माण में 20,962 करोड़ रूपये का खर्च आया है, कुडनकुलम परियोजना का शुरू होना ऊर्जा  के  क्षेत्र  में  भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने  वीडियो  कांफ्रेंसिंग के जरिये एक साथ इस परियोजना को राष्ट्र के लिए लाभकारी बताया।

गौर करें तो  प्रधानमंत्री मोदी लगातार स्वच्छ ऊर्जा के  स्रोतों को अपनाने पर जोर देते रहे हैं। फिर चाहें वो सौर ऊर्जा हो, पवन ऊर्जा हो या फिर ये परमाणु ऊर्जा हो। अब प्रधानमंत्री मोदी ने एक-एक हजार मेगावाट की और पांच विद्युत् इकाइयां स्थापित करने की भी बात कही है। इस दृष्टि से इस परियोजना को लेकर वर्तमान सरकार की गंभीरता को भी समझा जा सकता है।

अगर हम कुडनकुलम परियोजना के घटनाक्रमों पर सरसरी तौर पर निगाह डालें तो पायेंगे कि इस परियोजना की बुनियाद तो सन 1988 में पड़ी, मगर लम्बे समय तक स्थानीय विरोध से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बदलावों आदि विभिन्न अड़चनों के कारण यह ठीक ढंग से आगे नहीं बढ़ पाई। इस समझौते के तहत एक हजार मेगावाट की क्षमता वाले दो परमाणु संयंत्रों का निर्माण होना था। खैर, लंबे इंतजार के बाद सन 1999 में भाजपा की ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के शासनकाल में इस परियोजना की शुरुआत की गई। जाहिर है कि लगातार हो रहे स्थानीय विरोध के बावजूद सरकार ने इस परियोजना को लेकर लगातार जनता से संवाद कायम रखा और जनता को ये भरोसा दिलाया कि इस परियोजना से तमिलनाडु ही नहीं अपितु देश को ऊर्जा के क्षेत्र में नया आयाम मिलेगा। स्थानीय नागरिकों को डर था कि इस परमाणु संयंत्र के शुरू होने के कई खतरें उत्पन्न होंगें ।मसलन रुसी तकनीकी सुरक्षित नहीं है; यह एक जिंदा बम की तरह है; इससे निकलने वाली गैस उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होगी आदि। डर यह भी था कि उस क्षेत्र की मछलियाँ मर जाएंगी, जिसके चलते उन्हें रोजगार में समस्या आएगी। पर सरकार ने संवाद के जरिये स्थानीय लोगों की सभी आशंकाओं को दूर कर दिया, जिसके फलस्वरूप यह परियोजना प्रारंभ होकर आज अंशतः क्रियान्वित भी हो चुकी है।

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वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा कुडनुकुलम परियोजना देश को समर्पित करते प्रधानमंत्री मोदी

बहरहाल, यह परियोजना भारत और रूस के संबंधो की उस प्रगाढ़ता को भी  दर्शाती  है, जो मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद और  अधिक बढ़ी है। यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं जिनमे वे रूस से इस परियोजना को पूर्ण करने के सम्बन्ध में बातचीत कोआगे बढाते रहे हैं, की सार्थकता और सफलता को भी दर्शाती है।

भारत के लिए ऊर्जा  के क्षेत्र में  में कुडनकुलम परियोजना बड़ी उपलब्धी है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने  भारत में स्वच्छ ऊर्जा  का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास में एक हजार मेगावाट के इस यूनिट को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इसी क्षमता वाले पांच और यूनिट लगाए जाने की योजना है। कुडनकुलम परियोजना के शुरू होने से भारत के लिए एक सुखद स्थिति यह भी है कि भारत जो ऊर्जा की कमी से जूझता रहा है, से इस परियोजना के बाद अब उसे काफी राहत मिलेगी।  कोयला की कमी आदि के कारण भारत में ऊर्जा  का उत्पादन उस पैमाने पर नहीं हो पाता था, फलस्वरूप देश में बिजली की कमी होती थी, ऐसे में यह परियोजना ऊर्जा  के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी है। निश्चित तौर पर इस ऊर्जा  संयंत्र के शुरू होने के बाद देश की ऊर्जा आपूर्ति में भारी इजाफा होगा। गौर करें तो  प्रधानमंत्री मोदी लगातार स्वच्छ और नवीन ऊर्जा के  स्रोतों को अपनाने पर जोर देते रहे हैं। फिर चाहें वो सौर ऊर्जा हो, पवन ऊर्जा हो या फिर ये परमाणु ऊर्जा हो। अब प्रधानमंत्री मोदी ने एक-एक हजार मेगावाट की और पांच विद्युत् इकाइयां स्थापित करने की भी बात कही है। इस दृष्टि से इस परियोजना को लेकर सरकार की वर्तमान सरकार की भावी गंभीरता को भी समझा जा सकता है। यह इकाइयां स्थापित होने के बाद देश में बिजली की जो कमी है, उससे काफी हद तक पार पाया जा सकेगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)