‘इसे मोदी इफेक्ट ही कहेंगे कि 30 महीने का काम 17 महीने में ही पूरा हो गया’

जिस देश में परियोजनाओं की लेट-लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो, वहां तय वक्‍त से पहले परियोजनाएं पूरी हों, तो इसे चमत्‍कार ही कहा जाएगा। यह चमत्‍कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सख्‍ती से हुआ है। इसे “मोदी इफेक्‍ट” ही कहेंगे कि जिस “ईस्‍टर्न पेरिफेरल एक्‍सप्रेस वे” को पूरा करने के लिए 30 महीने का समय निर्धारित किया गया था, वह महज 17 महीने में ही पूरा हो गया।

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी को बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं की लेट-लेतीफी और उनकी बढ़ती लागत ने चिंता में डाल दिया। इसे देखते हुए उन्‍होंने सांख्‍यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍यन मंत्रालय से रिपोर्ट तलब की। मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भूमि अधिग्रहण संबंधी जटिलताओं और पर्यावरण संबंधी मंजूरी में देरी अर्थात जयंती टैक्‍स के कारण देश की परियोजनाएं पिछड़ती जा रही हैं जिससे उनकी लागत भी बढ़ती जा रही है। मंत्रालय ने आकलन करके बताया कि बुनियादी ढांचा संबंधी 273 बड़ी परियोजनाओं में लेट-लतीफी के चलते उनकी लागत में 1.77 लाख करोड़ रूपये का इजाफा हो चुका है।

मोदी इफ़ेक्ट से परियोजनाओं में आई तेजी (फोटो साभार : wallpaperbrowse.com)

परियोजनाओं में देरी करके मुनाफा कमाने के इस कुचक्र को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना–प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करते हुए उनकी निगरानी को सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध किया। नियोजन व निगरानी के लिए जीआईएस व अंतरिक्ष संबंधी चित्रों का उपयोग करने के साथ-साथ विभिन्‍न स्‍तरों की संख्‍या कम करके धनराशि का कारगर प्रवाह सुनिश्‍चित किया गया है।

सामग्री की खरीदनिर्माण और रख-रखाव जैसे चरणों में गुणवत्‍ता संबंधी कठोर निगरानी की जाने लगी। हर महीने प्रगति कार्यक्रम के जरिए इसकी समीक्षा की जाने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि परियोजनाओं ने रफ्तार पकड़ ली। इसे मोदी सरकार के कार्यकाल में सड़क निर्माण में आई क्रांति के उदाहरण से समझा जा सकता है।

2013-14 में देश में हर साल 4260 किलोमीटर राजमार्गों (हाईवे) का निर्माण हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सख्‍ती के चलते 2014-15 में 4410 किलोमीटर, 2015-16 में 6061 किलोमीटर और 2016-17 में 8231 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हुआ। 2017-18 में 17055 किलोमीटर सड़कों के निर्माण के ठेके दिए गए और 9829 किलोमीटर सड़कें बनी।

यदि इसे रोजाना की दृष्‍टि से देखें तो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले देश में जहां हर रोज 11 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हो रहा था, वहीं अब यह आंकड़ा 30 किलोमीटर प्रतिदिन से ज्‍यादा हो गया है। मोदी सरकार ने इस अनुपात को 40 किलोमीटर तक पहुंचाने का लक्ष्‍य रखा है। इससे स्‍पष्‍ट है कि मोदी सरकार के आने के बाद देश में हाईवे निर्माण ने रफ्तार पकड़ ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजमार्गों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों के निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था शहरों से जुड़ जाए। सरकार प्रति हेक्‍टेयर पैदावार बढ़ाने के उपाय करने के साथ-साथ फलफूलसब्‍जी आदि के लिए प्रोसेसिंगपैकेजिंगकोल्‍ड स्‍टोरेज जैसे बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रही है ताकि कृषि उपजों के कारोबार को बढ़ावा मिले।

प्रधानमंत्री इस बात को अच्‍छी तरह जानते हैं, ये निवेश तभी कारगर होंगे जब गांवों को बारहमासी सड़क संपर्क हासिल हो। जहां 2011-14 के दौरान हर रोज औसतन 70 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गईं, वहीं 2014-15 में यह आंकड़ा बढ़कर 100 किलोमीटर हो गया। 2016 में तो इसमें अभूतपूर्व तेजी आई और आज हर रोज 139 किलो मीटर सड़क बन रही है।

जो ग्रामीण सड़कें अब तक ठेकेदारों और स्‍थानीय नेताओं के रहमोकरम पर बनती थीं, उनकी गुणवत्‍ता सुनिश्‍चित करने के लिए प्रधानमंत्री ने बहुआयामी उपाय किए जिससे सड़कों की गुणवत्‍ता में सुधार हुआ। सड़क से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए ”मेरी सड़क” नामक एप शुरू किया गया है। सरकार ने 2019 तक सवा दो लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़क निर्माण का लक्ष्‍य रखा है।

परियोजनाओं की लेट-लतीफी के जरिए अपनी तिजोरी भरने वाली ताकतवर लॉबी से टक्‍कर लेना इतना आसान काम नहीं था। मोदी सरकार ने इसके लिए कई नीतिगत बदलाव किया। सरकार ने सबसे पहले भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण क्‍लीयरेंस तथा कोष की कमी जैसी समस्‍याओं को दूर किया।

इसके अलावा उपग्रह आधारित सड़क परिसंपत्‍ति प्रबंधन प्रणाली, सड़क निर्माण के लिए कंक्रीट का इस्‍तेमाल, इलेक्‍ट्रानिक टॉल संग्रह, इनमप्रो जैसे सूचना तकनीक संबंधी कदम उठाए गए। इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी और सड़क निर्माण में क्रांति आ गई। इसे कहते हैं, 56 इंच सीने का कमाल। दुर्भाग्‍यवश मोदी विरोधियों को यह उपलब्‍धियां दिखाई नहीं दे रही हैं।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)