तकनीक के जरिये भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की दिशा में बढ़ती मोदी सरकार

2018 के अंत तक सभी प्रकार की उर्वरक सब्‍सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में भेजने की योजना है। इतना ही नहीं आगे चलकर सरकार जमीन की रजिस्‍ट्री, यात्रा की टिकट जैसे सभी क्रियाकलापों को आधार नंबर से जोड़ेगी। इससे न केवल भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगेगी बल्‍कि व्‍यक्‍तिगत स्‍तर पर सेवाओं तक आसान पहुंच बनेगी और सरकारी कामकाज भी सरल हो जाएगा। स्‍पष्‍ट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्‍यवस्‍था के हर स्‍तर पर तकनीक रूपी पहरेदार बैठा रहे हैं ताकि भ्रष्‍टाचार मुक्‍त भारत का ख्‍वाब हकीकत में बदल सके।

2014 में लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में नरेंद्र मोदी ने जनता से अपील की थी कि उन्‍हें प्रधानमंत्री नहीं दिल्‍ली का ऐसा चौकीदार बनाइए जो देश के खजाने को सुरक्षित रख सके। जनता ने उनकी अपील सुनी और भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जनता की अपेक्षाओं पर खरा भी उतरे। तीन साल के कार्यकाल में केंद्र में एक भी घोटाले का न होना इसका ज्‍वलंत प्रमाण है।

अब प्रधानमंत्री केंद्र सरकार की योजनाओं में होने वाले भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए हर स्‍तर पर तकनीक रूपी चौकीदार बैठाने की कवायद में जुटे हैं। रसोई गैस सब्‍सिडी में होने वाली बंदरबांट को रोकने के बाद अब सरकार राशन की दुकानों से सब्‍सिडी वाले अनाज के लिए आधार संख्‍या को अनिवार्य करने जा रही है। इसके लिए 30 जून, 2017 तक का समय दिया गया है। इसके बाद लाभार्थियों को राशन की दुकान पर आधार नंबर देना होगा ताकि लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे सब्‍सिडी ट्रांसफर की जा सके। सरकार की इस पहल का मकसद खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.4 लाख करोड़ रूपये की भारी-भरकम सब्‍सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है।

देखा जाए तो आधार संख्‍या भ्रष्‍टाचार रोकने का कारगर हथियार साबित हुआ है। इसी को देखते हुए सरकार डिजिटल भारत की दिशा में आगे बढ़ रही है। सभी प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के बाद लाभार्थियों के खाते में सीधे धन का अंतरण होने लगेगा। इससे न केवल भ्रष्‍टाचार की जड़ पर प्रहार होगा बल्‍कि डिजिटल भारत का ख्‍वाब हकीकत में बदल जाएगा। देखने में भले ही यह लक्ष्‍य कठिन प्रतीत हो रहा है लेकिन राजनीतिक प्रतिबद्धता से इसके पूरा होने में ज्‍यादा देर नहीं लगेगी।

यहां सभी को फोटो युक्‍त मतदाता पहचान पत्र मुहैया कराने की योजना का उल्‍लेख प्रासंगिक है। न्‍यायालय के हस्‍तक्षेप से जब यह लक्ष्‍य निर्धारित किया गया था तो कई लोगों को यह दुष्‍कर लग रहा था लेकिन वह तय वक्‍त पर पूरा हो गया। देश में चुनावों के दौरान होने वाली फर्जी वोटिंग रोकने में फोटो युक्‍त मतदाता पहचान पत्र मील का पत्‍थर साबित हुआ। इसी प्रकार जब आधार संख्‍या आधारित कैश सब्‍सिडी ट्रांसफर होने लगेगी  तब बिचौलियों की बहुलता, भ्रष्‍टाचार, लीकेज जैसी समस्‍याओं का अपने आप खात्‍मा हो जाएगा।

जहां तक राशन प्रणाली के तहत अनाज की खरीद पर दी जाने वाली सब्‍सिडी का सवाल है, तो राशन की दुकान और खुले बाजार में बिकने वाले अनाज की कीमतों में भारी अंतर भ्रष्‍टाचार के लिए उर्वर जमीन मुहैया कराता है। जब राशन की दुकान पर तीन रूपये किलो बिकने वाला चावल खुले बाजार में तीस रूपये किलो बिकेगा तब मुनाफा कमाने का लालच भला कौन रोक पाएगा। कीमतों का यह अंतराल फर्जी राशन कार्डों और अनाज की कालाबाजारी को बढ़ावा देता है।

ग्राम प्रधान व कोटेदार भ्रष्‍ट तरीके अपनाकर फर्जी राशन कार्ड बनवा लेते हैं और इन कार्डों के नाम पर मिलने वाले राशन को वे खुले बाजार में बेच लेते हैं। इतना ही नहीं, वे लक्षित समूहों को उनके हक का पूरा अनाज नहीं देते हैं। इसी का नतीजा है कि जिन ग्राम प्रधानों व कोटेदारों के खेत परती पड़े हैं, वे हर साल सैकड़ों क्‍विंटल अनाज बेचते हैं। इसे उत्‍तर भारत के किसी भी गांव में देखा जा सकता है। यही भ्रष्‍टाचार गांवों में जाति की राजनीति और गुटबंदी को बढ़ावा देने का काम करता है।

देश के 24 करोड़ राशन कार्डों में से 60 फीसदी आधार संख्‍या से जोड़े जा चुके हैं। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर फर्जी कार्ड पाए गए। उदाहरण के लिए आधार संख्‍या से जोड़ने के बाद आंध्र प्रदेश में 4.53 करोड़ से 3.86 करोड़, तेलंगाना में 3.08 करोड़ से 2.82 करोड़ और दिल्‍ली 96 लाख से 70 लाख राशन कार्ड धारक रह गए। अब तक 11 राज्‍यों ने राशन प्रणाली का आटोमेशन कर दिया है। अब 30 जून की समय सीमा निर्धारित होने से राशन प्रणाली के आटोमेशन में तेजी आएगी। इससे फर्जी राशन कार्ड अपने आप कम हो जाएंगे। राशन प्रणाली में ई सिस्‍टम लागू होने के बाद सरकार अनाज भंडार कम करेगी। दो से ढाई करोड़ कम भंडारण से हर साल 50,000 करोड़ रूपये की बचत होगी। ढुलाई खर्च में अतिरिक्‍त 7000 करोड़ की कमी आएगी। इसके बाद सरकार इस बची धनराशि को सीधे सब्‍सिडी देगी जिससे किसान मनचाही फसल उगाएंगे न कि गेहूं-धान जिसकी एफसीआई खरीद करती है।

फिलहाल केंद्र सरकार की 78 योजनाओं के तहत दी जाने वाली सब्‍सिडी सीधे बैंक खातों में भेजी जा रही है जिनमें एलपीजी सब्‍सिडी और मनरेगा की मजदूरी प्रमुख है। 2015-16 में कुल 61284 करोड़ रूपये की सब्‍सिडी सीधे बैंक खाते में भेजी गई जिससे इन योजनाओं में बिचौलियों का लगभग खात्‍मा हो गया। अब केंद्र सरकार अपने 73 मंत्रालयों की 1067 योजनाओं में से आधे अर्थात 530 योजनाओं के तहत दी जाने वाली सब्‍सिडी को सीधे बैंक खाते में भेजने की योजना पर काम रही है।

अब तक 58 मंत्रालयों की 447 योजनाओं का चयन किया जा चुका है। इनमें वजीफा, परमाणु ऊर्जा अनुसंधान, फसल बीमा, डेयरी स्‍कीम, खिलाड़ियों, दस्‍तकारों को दी जाने वाली सब्‍सिडी आदि को शामिल किया गया है। 2018 के अंत तक सभी प्रकार की उर्वरक सब्‍सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में भेजने की योजना है। इतना ही नहीं आगे चलकर सरकार जमीन की रजिस्‍ट्री, यात्रा की टिकट जैसे सभी क्रियाकलापों को आधार नंबर से जोड़ेगी। इससे न केवल भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगेगी बल्‍कि व्‍यक्‍तिगत स्‍तर पर सेवाओं तक आसान पहुंच बनेगी और सरकारी कामकाज भी सरल हो जाएगा। स्‍पष्‍ट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्‍यवस्‍था के हर स्‍तर पर तकनीक रूपी पहरेदार बैठा रहे हैं ताकि भ्रष्‍टाचार मुक्‍त भारत का ख्‍वाब हकीकत में बदल सके।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)