बीएसएनएल और एमटीएनएल को संकट से उबारने की कोशिश में जुटी मोदी सरकार

सरकार की पुनरुद्धार योजना में 3 अहम मुद्दों कर्मचारियों की संख्या में कटौती, राजस्व अर्जन में बढ़ोतरी और कर्ज को खत्म करने पर जोर दिया गया है, जिनसे इन दोनों कंपनियों को मौजूदा संकट से उबारा जा सकता है। साथ ही, टेलीकॉम क्षेत्र के कुल कर्ज 6.1 लाख करोड़ रुपये से इन दोनों इकाइयों का कुल कर्ज बहुत ही कम है। इसलिये, इनके पुनर्जीवन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बीएसएनएल और एमटीएनएल को वित्तीय संकट से उबारने के लिये सरकार ने लगभग 70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी है, जिसके तहत दोनों इकाइयों का विलय, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, 4 जी स्पेक्ट्रम की सुविधा, दीर्घावधि बॉन्ड, दोनों इकाइयों की रियल एस्टेट संपत्ति को बेचकर पूँजी इकठ्ठा करने आदि का प्रस्ताव है। 

दोनों कंपनियों के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने के लिये 29,937 करोड़ रूपये आïवंटित किये गये हैं। जिन कर्मचारियों की उम्र 50 साल या उससे ऊपर है, वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिये पात्र होंगे। इस मद में 17,169 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है, जबकि पेंशन के मद में 12,768 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इस संबंध में इन कंपनियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, 2019 योजना का आगाज किया है, जिसके तहत लगभग 70000 से 80000 आवेदन आने का अनुमान है।  

बीएसएनएल और एमटीएनएल 4 जी स्पेक्ट्रम के लिये बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा, जिसके लिये 11,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। दोनों कंपनियों को 20,140 करोड़ रुपये का 4 जी स्पेक्ट्रम आवंटित किया जायेगा। 15,000 करोड़ रुपये का सॉवरिन बॉन्ड जारी करने का भी प्रस्ताव है, जिसकी भरपाई सरकारी कंपनियां करेंगी, लेकिन इनकी गारंटी केंद्र सरकार देगी। 

पहले चरण में मुद्रीकरण के लिये 38,000 करोड़ रुपये की रियल एस्टेट संपत्तियों को बेचने के लिये चिन्हित किया जायेगा, जिनमें जमीन के साथ-साथ किराये और पट्टे वाले भवन शामिल हैं। इक्विटी शेयर के रूप में बीएसएनएल को 14,115 करोड़ रुपये और एमटीएनएल को 6,295 करोड़ रुपये देने का भी प्रस्ताव है।

वित्त वर्ष 2018-19 में बीएसएनएल को 14,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जिससे इसका समेकित घाटा 90,000 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया, जबकि एमटीएनएल का घाटा 20,000 करोड़ रुपये का है। बीएसएनएल के राजस्व में सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 19,308 करोड़ रुपये की कमी आई है। एमटीएनएल को दिसंबर, 2018 की तिमाही में 832.26 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। एमटीएनएल की कुल लागत में कर्मचारियों पर आने वाला खर्च परिचालन से मिलने वाले 572.83 करोड़ रुपये राजस्व की तुलना में 29 प्रतिशत ज्यादा है।

बीएसएनएल और एमटीएनएल के लगभग 2,00,000 कर्मचारियों के कुल खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा वेतन और भत्ते के मद में जा रहा है, जबकि निजी दूरसंचार कंपनियां के कुल खर्च में कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते की लागत औसतन 5 प्रतिशत है। इसलिये, दोनों इकाइयों के कुछ कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देना जरूरी है। सरकार के निर्देशन में दोनों कंपनियों द्वारा शुरू की गई वीआरएस योजना, 2019 में पात्र कर्मचारियों को उस राशि के मुकाबले 125 प्रतिशत राशि मिलेगी, जो उन्हें नौकरी पर रहते हुए 60 साल की उम्र तक मिलती। इस कदम से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों को परेशानी नहीं होगी।  

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पैकेज में सरकार ने अनुग्रह राशि के रूप में 17,169 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं, जबकि 12,768 करोड़ रुपये पेंशन के मद में खर्च किये जायेंगे। बीएसएनएल के 1,76,000 कर्मचारियों में से करीब आधे कर्मचारी अगले 5 से 6 सालों में सेवानिवृत्त होंगे।  एमटीएनएल के वीआरएस पैकेज से राजस्व पर 2,120 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें  से 16,000 कर्मचारी अगले 5 से 6 सालों में सेवानिवृत्त होंगे।  

बीएसएनएल के ब्रॉडबैंड के 87.9 लाख ग्राहक हैं और वह इस सेगमेंट की सबसे बड़ी सेवा प्रदाता  कंपनी है। बीएसएनएल अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी भारती एयरटेल से करीब साढ़े तीन गुना बड़ी है, जिसके कुल 24.1 लाख ग्राहक हैं। एमटीएनएल के ग्राहकों को इसमें शामिल करने से बीएसएनएल के 130 लाख ग्राहक हो जायेंगे, जिनकी बाजार में कुल हिस्सेदारी लगभग 65 प्रतिशत है।

बीएसएनएल स्पीड, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमत के मामले में मौजूदा टेलीकॉम के बड़े खिलाड़ियों जैसे, भारती एयरटेल और जियो से भी मुक़ाबला कर सकती है। बीएसएनएल के लिये मोबाइल कारोबार में भी अवसर हैं। जियो के आने के बाद भी उसके पास 10 प्रतिशत मोबाइल उपभोक्ता हैं। उसके पास 15 करोड़ 2 जी और 3 जी ग्राहक हैं। 

बीएसएनएल अपने भरोसेमंद ग्राहकों को 4 जी सेवा दे सकती है, जिससे राजस्व में बीएसएनएल की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। वर्तमान में वोडाफोन आइडिया के पास 2 जी ग्राहकों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है, लेकिन वह  गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। अस्तु, बीएसएनएल 30 करोड़ से ज्यादा 2 जी ग्राहकों को 4 जी सेवाओं की पेशकश करके अपने साथ जोड़ सकती है। यह मुमकिन भी है, क्योंकि भारत में अभी भी सभी को 5 जी की सुविधा देने के लिये आधारभूत संरचना विकसित करने की जरूरत है, जिसका फिलहाल भारत में अभाव है।  

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 28 फरवरी 2019 तक बीएसएनएल और एमटीएनएल की फिक्स्ड-लाइन बाजार में 66.77 प्रतिशत की भागीदारी थी। बीएसएनएल ने इस अवधि में 9 लाख नये मोबाइल ग्राहक जोड़े हैं, जिससे उसका कुल ग्राहक आधार बढ़कर फरवरी में 11.62 करोड़ हो गया। 

आज भी निजी टेलीकॉम ऑपरेटर अपने कारोबार को बीएसएनएल और एमटीएनएल की मदद से आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि उनका खुद का नेटवर्क बहुत कम है, जबकि बीएसएनएल का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है। दरअसल, निजी ऑपरेटर आधारभूत संरचना तैयार करने में अपनी पूँजी नहीं फंसाना चाहते हैं। 

सरकार की पुनरुद्धार योजना में 3 अहम मुद्दों कर्मचारियों की संख्या में कटौती, राजस्व अर्जन में बढ़ोतरी और कर्ज को खत्म करने पर जोर दिया गया है, जिनसे इन दोनों कंपनियों को मौजूदा संकट से उबारा जा सकता है। साथ ही, टेलीकॉम क्षेत्र के कुल कर्ज 6.1 लाख करोड़ रुपये से इन दोनों इकाइयों का कुल कर्ज बहुत ही कम है। इसलिये, इनके पुनर्जीवन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)