जीएसटी के इन नए बदलावों से छोटे कारोबारियों को मिलेगी बड़ी राहत

जीएसटी परिषद की 29वीं बैठक 4 अगस्त, 2018 को संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने किया। इस बैठक में छोटे एवं मझोले कारोबारियों की रिफंड की समस्या को निपटाने के लिये एक उप समिति के गठन का प्रस्ताव किया गया, जिसकी अध्यक्षता राज्य के वित्त मंत्री करेंगे। एमएसएमई से जुड़े दूसरे क्षेत्रों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की बात इस बैठक में की गई। इस बैठक में डिजिटल भुगतान पर प्रोत्साहन देने का फैसला लिया गया। अब भीम एप से डिजिटल भुगतान करने पर 20 प्रतिशत कैशबैक मिलेगा।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को बेहतर बनाने के लिये सरकार लगातार कोशिश कर रही है। इस क्रम में सरकार जीएसटी के 28 प्रतिशत कर के स्लैब को खत्म करना चाहती है। साथ ही  वह 12 एवं 18 प्रतिशत के स्लैब को मिलाकर एक करना चाहती है। इस आलोक में केंद्र सरकार राज्यों से चर्चा कर रही है। मौजूदा समय में जीएसटी के 28 प्रतिशत के स्लैब में 37 उत्पाद हैं, जिन्हें इस स्लैब से बाहर निकालने का प्रस्ताव है।

जीएसटी के फिटमेंट समिति के प्रमुख सुशील मोदी का कहना है कि जीएसटी कर स्लैब में बदलाव से कर संग्रह पर ज्यादा प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जीएसटी दर के कम होने से कर देने वाले कारोबार में इजाफा होगा एवं कारोबारियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी, जिससे कर संग्रह में नुकसान होने के बजाय मुनाफा होगा।

जीएसटी परिषद की 29वीं बैठक 4 अगस्त, 2018 को संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने किया। इस बैठक में छोटे एवं मझोले कारोबारियों की रिफंड की समस्या को निपटाने के लिये एक उप समिति के गठन का प्रस्ताव किया गया, जिसकी अध्यक्षता राज्य के वित्त मंत्री करेंगे। एमएसएमई से जुड़े दूसरे क्षेत्रों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की बात इस बैठक में की गई। इस बैठक में डिजिटल भुगतान पर प्रोत्साहन देने का फैसला लिया गया। अब भीम एप से डिजिटल भुगतान करने पर 20 प्रतिशत कैशबैक मिलेगा।

जीएसटी परिषद की 28वीं बैठक में सरकार ने सैनेटरी नेपकिन, चीनी पर लगने वाले उपकर, बम्बू फ्लोरिंग आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक फैसला किया था। इतना ही नहीं उक्त बैठक में सरकार 5 करोड़ रूपये तक के टर्नओवर करने वाले कारोबारियों को हर महीने रिटर्न भरने से छूट दी थी।     

केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक जीएसटी से पहले की कर प्रणाली में घरों में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर वस्तुओं पर 31 प्रतिशत कर लगता था। जेटली के अनुसार, जीएसटी लागू होने के बाद पिछले एक साल में 384 सामानों पर कर की दर कम हुई है। गौरतलब है कि केंद्र और राज्य स्तर के कुल 17 करों को मिलाकर जीएसटी 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था।

जेटली ने कहा कि 28 प्रतिशत कर श्रेणी को खत्म करने से कारोबारियों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि 13 महीने की रिकॉर्ड अवधि में जीएसटी परिषद ने 28 प्रतिशत के कर श्रेणी को चरणबद्ध तरीके से लगभग खत्म कर दिया है। जेटली के अनुसार जीएसटी में सुधार के बाद केवल विलासिता की वस्तुओं पर ही कर लगेंगे। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र की 68 श्रेणियों में कर की दरें कम हुई हैं।

इधर, जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को और भी सरल बनाने का प्रस्ताव है। इससे रिटर्न दाखिल करने की संख्या पहले की तुलना में काफी कम हो जाएगी। जीएसटी के तहत पहले करदाता को महीने में तीन रिटर्न और एक सालाना रिटर्न दाखिल करने की जरूरत होती थी। इस तरह, कारोबारियों को 1 साल में कुल 37 बार रिटर्न दाखिल करने होते थे।

जीएसटी परिषद ने एक इनपुट रिटर्न एवं एक इनपुट-आउटपुट रिटर्न को खत्म किया है। फिलहाल, बड़े कारोबारी महीने में दो रिटर्न और एक सालाना रिटर्न या साल में 25 रिटर्न भरते हैं, जबकि छोटे कारोबारियों को महीने में एक रिटर्न-समरी इनपुट आउटपुट रिटर्न और तिमाही में एक सप्लाई रिटर्न भरने की जरूरत होती है। इस तरह उन्हें साल में 17 रिटर्न भरने होते हैं।

अब सरकार ने सरलीकृत रिटर्न का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत बड़े कारोबारी एक मासिक रिटर्न और एक सालाना रिटर्न भरेंगे। इस तरह कारोबारी को साल में 13 रिटर्न भरने होंगे, जो मौजूदा 25 रिटर्न की तुलना में काफी कम हैं। छोटे व्यवसायियों को केवल तिमाही रिटर्न भरना होगा। वर्तमान में 1.5 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार करने वाले कारोबारियों को छोटे कारोबारी की श्रेणी में रखा गया है।

सरलीकृत रिटर्न प्रक्रिया पर अमल होने के बाद 5 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार करने वाले को छोटा कारोबारी माना जायेगा। इसके तहत कुल तीन तरह के तिमाही रिटर्न होंगे। एक निर्माताओं या सेवा प्रदाताओं के लिये और दो अन्य रिटर्न कारोबारियों के लिए।

हालांकि, खरीदारों को अपने इनवॉइस लगातार अपलोड करना और विक्रेता इनवॉइस का रिकॉर्ड रखना होगा, क्योंकि आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अगले महीने की 10 तारीख तक अपलोड किये गये बिलों पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध होंगे। इसके अलावा कारोबारी को अगले महीने की 20 तारीख तक मासिक आधार पर कर चुकाने होंगे। कहा जा सकता है कि जीएसटी के नियमों एवं प्रक्रिया में सुधार से करदाताओं को राहत मिलेगी और आगामी महीनों में सरकार को भी इसका बेहतर लाभ मिलेगा।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)