‘परमाणु ब्लैकमेलिंग करने वालों के लिए जवाब है आईएनएस अरिहंत’

अरिहंत की इस सफलता के साथ ही भारत दुनिया में जमीन, पानी और आकाश तीनों से परमाणु हमला करने में सक्षम देशों में शामिल हो गया है। अमेरिका, फ़्रांस, रूस, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत छठा देश बना है, जिसके पास स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी है। निश्चित ही यह एक बड़ी सफलता है।

मोदी सरकार द्वारा वायु सेना की जरूरतों के मद्देनजर किया गया राफेल सौदा हो या तोपों की कमी से जूझती थल सेना के लिए अत्याधुनिक हल्की होवित्जर तोपों का देश में निर्माण करना हो अथवा एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का समझौता हो, ये तथा ऐसे ही और भी कई छोटी-बड़ी चीजें इस बात की तस्दीक करती हैं कि ये सरकार देश की रक्षा आवश्यकताओं के प्रति सिर्फ बातों में ही गंभीर नहीं है, बल्कि धरातल पर भी ठोस ढंग से कार्य कर रही है।

देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण से लेकर विदेश से खरीदने तक मोदी सरकार हर प्रकार से हमारी सेनाओं को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसी क्रम में अब भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और इतिहास रच दिया है। ये इतिहास भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने अपना पहला गश्त पूरा करके रचा है।

अरिहंत की इस सफलता के साथ ही भारत दुनिया में जमीन, पानी और आकाश तीनों से परमाणु हमला करने में सक्षम देशों में शामिल हो गया है। अमेरिका, फ़्रांस, रूस, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत छठा देश बना है, जिसके पास स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी है। निश्चित ही यह एक बड़ी सफलता है।

देखा जाए तो चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न किन्तु संदिग्ध पड़ोसी देशों से घिरे भारत को इस रूप में मजबूत होने की सख्त आवश्यकता थी। वो भी तब जब पड़ोसी पाकिस्तान से ऐसे बयान आते हों कि हमने परमाणु बम शब-ए-बारात के लिए नहीं बनाए। बात ये है कि पाकिस्तान अपनी परमाणु ताकत के जरिये भारत को ब्लैकमेल करने की कोशिश करता रहा है।

अरिहंत की कामयाबी के बाद जाहिर है कि पाकिस्तान की इन ब्लैकमेलिंग को माकूल जवाब मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात का जिक्र करते हुए ठीक ही कहा कि ‘आज के इस युग में, एक विश्वसनीय परमाणु निवारक समय की मांग है। आईएनएस अरिहंत की सफलता उन्हें माकूल जवाब देगी जो परमाणु हथियारों के बूते ब्लैकमेलिंग की फिराक में रहते हैं। आईएनएस अरिहंत की सफलता राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है। देश के दुश्मनों के लिए, यह एक खुला चैलेंज है।’

इस परमाणु पनडुब्बी की क्षमताओं पर नजर डालें तो ये पानी से 750 किमी से लेकर 3500 किमी तक की दूरी वाली मिसाइलें दाग सकती है। साथ ही ये पानी के अंदर से पानी की सतह पर मौजूद पोतों सहित आसमान में उड़ते विमानों को निशाना बनाने में भी सक्षम है। कुल मिलाकर अरिहंत न केवल भारत की नौसेना के बेड़े को और अधिक मजबूती देने वाला है, बल्कि देश की सुरक्षा के प्रति हमारी निश्चिन्तता को बढ़ाता भी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)