ऑस्कर में भारतीयता के सुरों की अनुगूँज
‘नाटू नाटू’ और ‘द एलीफैंट व्हिस्पेरर्स’ को ऑस्कर मिलने से विश्व पटल पर भारतीयता के भावों की अनुगूंज हुई है। इसके बाद भारतीय सिनेमा को देखने के विदेशी नजरिये में बदलाव आने की उम्मीद है।
इतिहास के कंधे पर बैठकर झूठ की राजनीति करना कब छोड़ेगी कांग्रेस ?
उचित होगा कि कांग्रेस अपनी वर्तमान दुर्दशा को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करे तथा अपने अहंकारी चरित्र का त्याग करते हुए स्वयं में सुधार लाने का प्रयास करे।
पीएम-श्री योजना : स्कूली शिक्षा में सुधार की पहल
पीएम-श्री योजना के तहत विकसित स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा निर्धारित कसौटियों के अनुरूप स्वयं को एक उदाहरण की तरह प्रस्तुत करते हुए अपने आसपास के स्कूलों को भी अपनी व्यवस्थाएं सुधारने के लिए प्रेरित करेंगे।
सरदार वल्लभभाई पटेल : स्वतंत्र भारत की एकता के महान सूत्रधार
31 अक्टूबर, 1875 की तारीख इतिहास में दर्ज है, जब आजाद भारत की एकता और अखण्डता के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था।
आदि से अंत तक प्रकृति-प्रेम की भावना से पुष्ट लोकपर्व है छठ
भारत पर्वों का देश है। यहाँ एक पर्व बीतता नहीं कि अगला हाजिर हो जाता है। भारतीय पर्वों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे किसी न किसी आस्था से प्रेरित होते हैं। अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही पर्वों की कड़ी में पूर्वी भारत में सुप्रसिद्ध छठ पूजा का नाम भी प्रमुख रूप से आता है।
उत्तर प्रदेश : सुशासन की स्थापना में सफल सिद्ध होता योगी मॉडल
मुख्यमंत्री योगी के शासन में यूपी कानून-व्यवस्था और विकास के मानदंडों को मजबूती से थामकर सुशासन की परिकल्पना को सिद्ध करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।
ई-शासन से सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करती मोदी सरकार
देश में ई-शासन को मजबूती से स्थापित करने के लिए मोदी सरकार कमर कसके जुटी हुई है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं।
हिंदी दिवस विशेष : भारत की सांस्कृतिक विविधता की सच्ची प्रतिनिधि है हिंदी
किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान का आधार उसकी भाषा में सन्निहित होता है। वस्तुतः भाषा ही वो प्राणतत्व होती है, जो किसी संस्कृति को काल के निर्बाध प्रवाह में भी सतत जीवंत और गतिशील रखती है।
वैश्विक नेता के रूप में स्थापित होते मोदी
राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे मोदी के कार्यों को तो दुनिया देख-परख रही ही है, बीते आठ सालों में विश्व पटल पर भी मोदी का नेतृत्व-कौशल उभरकर सामने आया है।
अपनी जड़ों से जुड़कर मानसिक दासता से मुक्त होगा भारत!
भारत अपनी जड़ों से जितना अधिक जुड़ेगा, उतना ही उसमें आत्मगौरव और आत्मविश्वास की भावना का विकास होगा तथा मानसिक दासता से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा।